बागेश्वर बाबा की जाति पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ऐसा क्या बोल दिया कि मच गया बवाल

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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने धीरेंद्र शास्त्री को लेकर बड़ा बयान दिया है.
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने धीरेंद्र शास्त्री को लेकर बड़ा बयान दिया है.
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मध्यप्रदेश में चल रही सनातन पद यात्रा और उसके साथ उठे जातिगत मुद्दों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा हिंदू एकता को लेकर दिए गए बयानों के बीच शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के एक बयान ने विवाद को और गहरा दिया. उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री की जाति पर टिप्पणी करते हुए उनके संदेश और उनके कर्मों में अंतर की ओर इशारा किया है. इससे बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के समर्थक नाराज हो गए हैं. इसके बाद शंकराचार्य के बयान की जमकर चर्चा हो रही है.

शंकराचार्य बोले: पहले अपनी जाति छोड़ें धीरेंद्र शास्त्री

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, "अगर धीरेंद्र शास्त्री जात-पात को खत्म करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले अपनी जाति छोड़ देनी चाहिए." उन्होंने आरोप लगाया कि शास्त्री खुद को ब्राह्मण मानते हुए दूसरों को जाति छोड़ने की नसीहत दे रहे हैं. यह बयान सीधे-सीधे धीरेंद्र शास्त्री के उस नारे पर सवाल खड़ा करता है, जिसमें उन्होंने कहा था, "जात-पात की करो विदाई."

धीरेंद्र शास्त्री का जात पात मिटाने का मैसेज 

धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी यात्रा के उद्देश्य पर जोर देते हुए कहा था कि जातिगत भेदभाव और सामाजिक विभाजन को मिटाना ही इस पद यात्रा का मुख्य लक्ष्य है. उन्होंने कहा, "हमें समाज के हर वर्ग को जोड़ना होगा। आदिवासियों को ‘अनादिवासी’ कहकर उनके ऐतिहासिक महत्व को स्वीकारना चाहिए."

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शास्त्री ने इस बात पर भी चिंता जताई कि हिंदू धर्म में एकता की कमी के कारण धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ रही हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि धर्मगुरुओं को गरीबों और हाशिए पर मौजूद लोगों तक पहुंचना चाहिए. धीरेंद्र शास्त्री ने इस यात्रा को लेकर कहा, "यहां आई भीड़ जागरूक हिंदुओं की है. हिंदू अब अपने विचारों के साथ संगठित हो रहा है."

उन्होंने हिंदुओं को एक विचारशील समुदाय बताते हुए कहा कि उनके हाथ में अब 'विचार की तलवार' है. उनका यह बयान हिंदू समाज को आत्मसजग और सशक्त बनाने के उनके प्रयासों का हिस्सा है.

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देखिए शंकराचार्य से खास बातचीत

शंकराचार्य के बयान से हुआ विवाद!

शंकराचार्य के बयान के बाद धीरेंद्र शास्त्री के समर्थकों में नाराजगी बढ़ गई. उनका कहना है कि शास्त्री का मकसद समाज को एकजुट करना है, जबकि शंकराचार्य का बयान इसे गलत दिशा में मोड़ने की कोशिश है. वहीं, दूसरी ओर कुछ सामाजिक समूह शंकराचार्य के बयान का समर्थन कर रहे हैं. उनका मानना है कि जातिगत भेदभाव को खत्म करने के लिए केवल नारेबाजी नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

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अब देखना यह होगा कि यह बहस समाज को एक नई दिशा देती है या फिर विवादों में उलझ कर रह जाती है. फिलहाल, सनातन पद यात्रा ने हिंदू एकता की दिशा में एक नई चर्चा को जन्म दिया है.

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