'INDIA' में घुसने का चांस ढूंढ रहे जगन मोहन रेड्डी? ऐसे भेजा सिग्नल

रूपक प्रियदर्शी

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INDIA Bloc: राहुल गांधी नहीं, ममता बनर्जी लीड करें इंडिया अलायंस-इस मुहिम के बहाने विपक्षी पार्टियां एक्टिव मोड में हैं. कम से कम ये बात हो रही है कि बीजेपी से लड़ने, हराने के लिए विपक्ष को एकजुट रहना है, और मजबूत होना है. राहुल जाएंगे, ममता आएंगी, पता नहीं ये होगा या नहीं लेकिन अच्छी खबर ये है कि इंडिया अलायंस को नए पार्टनर का सिग्नल मिला है. 

INDIA में आना चाहते हैं जगन रेड्डी?

आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी का सिक्का 4 जून तक चलता था. जिस बीजेपी की संगति में जगन मोहन रेड्डी 5 साल तक विपक्ष के खिलाफ राजनीतिक खेल खेलते रहे उसी बीजेपी को साथ लेकर चंद्रबाबू नायडू ने जगन मोहन रेड्डी की राजनीति पलट दी. जगन मोहन रेड्डी कहीं के नहीं रहे. बीजेपी ने न केवल ठुकरा दिया बल्कि जगन मोहन की बची-खुची पार्टी भी तोड़ रही है. दो राज्यसभा सांसद टर्म पूरा होने से बहुत पहले MLC  बनने के लिए इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. इंडिया अलायंस वालों ने इसलिए नहीं पूछते कि वो बीजेपी के मददगार हैं. अब जगन पड़ गए हैं अकेले. बीजेपी के साथ जाने का रास्ता नहीं. उन्होंने इंडिया अलायंस से सटने के लिए सिग्नल भेजा है लेकिन टर्म एंड कंडीशन के साथ.

इंडिया अलायंस की लीडरशिप पर जारी डिबेट में वाईएसआरसीपी के बड़े नेता और जगन मोहन के करीबी सांसद विजय साई रेड्डी कूद पड़े. विजय साईं ने कहा कि इंडिया अलायंस को लीड करने के लिए ममता बनर्जी आइडियल कैंडिडेट होंगी. ममता की तारीफ में विजय साईं आगे लिख गए कि ममता 42 लोकसभा सीटों वाले राज्य की सीएम हैं. उनके पास गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए आवश्यक राजनीतिक और चुनावी अनुभव है. उन्होंने बार-बार खुद को साबित किया है. 

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जगन रेड्डी के MP ने की CM ममता की तारीफ

विजय साईं ने ममता की तारीफ में जो लिखा है उसका एक इशारा कि अगर ममता बनर्जी इंडिया अलायंस को लीड करती हैं तो वाईएसआरसीपी विपक्ष के साथ हो सकता है. दूसरा इशारा ये है कि राहुल गांधी के रहते पार्टी विपक्ष से दूर ही रहेगी. जगन मोहन की चाल राहुल गांधी के खिलाफ है, कांग्रेस ने ये समझ लिया. विजय साईं रेड्डी के इंडिया अलायंस की पॉलिटिक्स में कूदते ही कांग्रेस के मणिकम टैगोर ने निशाने पर ले लिया. चैलेंज किया कि क्या जगन की पार्टी में हिम्मत है कि वो राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेंगे? या खोखली बयानबाजी करते हुए मोदी-शाह के लॉयल बने रहेंगे? 

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मणिकम टैगोर के चैलेंज के बाद भी वाईएसआरसीपी ने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन या विरोध पर स्टैंड नहीं लिया है. वाईएसआरसीपी के राज्यसभा में 11 सांसद थे. दो सांसदों के अचानक इस्तीफे से 9 रह गए हैं. अगर धनखड़ के खिलाफ वाईएसआरसीपी के सांसद विपक्ष के साथ हुए तो अविश्वास प्रस्ताव का वजन बढ़ जाएगा. लेकिन ऐसा होने का चांस कम है. वाईएसआरसीपी ने जगदीप धनखड़ को वोट देकर उपराष्ट्रपति चुनाव जिताया था.

चुनाव के बाद बदल गई हवा!

लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की मेहनत से देश की राजनीति पलट गई. क्रेडिट राहुल गांधी को गया. तब से राहुल गांधी, कांग्रेस, इंडिया गठबंधन का सब बढ़िया-बढ़िया चल रहा था. हरियाणा के चुनाव से चीजें पलटने लगी. कांग्रेस पहले हरियाणा हारी. फिर महाराष्ट्र में भी बड़ी चोट लगी. झटका शरद पवार, उद्धव ठाकरे को भी लगा लेकिन इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी को लेकर खुसर-फुसर शुरू हो गई. लोकसभा चुनाव में इंडिया और कांग्रेस से कन्नी काटने वाली ममता बनर्जी ने अचानक इंडिया गठबंधन में जंप मार दी. इस इरादे के साथ कि लीड करेंगी. कुछ पार्टियों ने ममता का नाम लेना भी शुरू कर दिया. 

पुराने कांग्रेस रहे जगन मोहन रेड्डी ने राहुल गांधी, सोनिया गांधी से निराश होकर अलग राह चुनी थी. 2009 में पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद कांग्रेस हाईकमान ने जगन मोहन रेड्डी को सीएम नहीं बनाया. उल्टे करप्शन के आरोपों की जांच तेज कराकर जेल भिजवा दिया. तब से जगन कांग्रेस के बैरी हो गए. जेल से निकले तो अलग पार्टी वाईएसआरसीपी बनाई. वहीं से रास्ता बनाते-बनाते अकेले दम पर सत्ता हासिल की.

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INDIA में जगह तलाश रहे जगनमोहन

लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद जगन मोहन जैसे नींद से जागे.  चुनाव में हराने के बाद चंद्रबाबू नायडू जगन मोहन से चुन-चुनकर बदला रहे हैं. चुनाव होते ही जब चंद्रबाबू के अत्याचार बढ़ने लगे तो जगन मोहन रेड्डी ने दिल्ली कूच किया. जंतर मंतर पर चंद्रबाबू नायडू के अत्याचारों की एक्जीविशन लगाई. विपक्ष के नेताओं से समर्थन मांगा था. अखिलेश यादव, संजय राउत जैसे नेता जंतर मंतर जाकर जगन मोहन को हौसला दे आए थे. न तो जगन ने बुलाया, न कांग्रेस से कोई गया. तब भी ये सवाल उठे कि बीजेपी से धोखा खाए जगन मोहन इंडिया गठबंधन में संभावनाएं तलाश रहे हैं लेकिन राह में रोड़ा है कांग्रेस जिसके हाथ में इंडिया अलायंस का रिमोट है. कांग्रेस भी जगन मोहन रेड्डी के लिए कभी पॉजिटिव या सॉफ्ट नहीं दिखी. 

कांग्रेस से जगन मोहन रेड्डी के बैर का एक कारण है उनकी सगी बहन वाई एस शर्मिला जिन्होंने जगन मोहन से अलग होने के बाद पहले अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया. फिर आंध्र प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष बन गईं. शर्मिला और कांग्रेस के एक होने से फायदा तो किसी को नहीं हुआ लेकिन जगन मोहन ने इसे अपने खिलाफ माना. उन्होंने चुनाव से पहले ही भविष्यवाणी कर दी कि शर्मिला ने गलती की है. वो शर्मिला के खिलाफ नहीं, शर्मिला के कांग्रेस में जाने के खिलाफ हैं.

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