Tirupati Temple Laddu Controversy : मिलावाट पर जगद्गुरु शंकराचार्य का बड़ा बयान, नकली हिंदुओं की भी हो जांच

बृजेश उपाध्याय

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तस्वीर: न्यूज तक.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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द्वारिका शारदापीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने जताया दुख.

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बोले- मंदिर के संचालन का काम धर्माचार्यों का है, सरकार का नहीं है.

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर के महाप्रसाद 'श्रीवारी लड्‌डू' में मिलवाट पर द्वारिका शारदापीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती का बड़ा बयान आया है. मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में दिये गए बयान में स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी की मिलावट की खबर दुखद है. प्रसाद हमारी संस्कृति और परंपरा है. इसकी पवित्रता को बनाए रखना बहुत जरूरी है. 

स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि इस मिलावट की जांच होनी चाहिए और नकली दूध, नकली घी, नकली हिंदुओं की भी जांच होनी चाहिए. तिरुपति मंदिर के संचालकों को तुरंत इस गलती का सुधार करना चाहिए और भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए. 

मंदिर का संचालन सरकार का काम नहीं- शंकराचार्य

शंकराचार्य ने कहा कि मंदिर के संचालन का काम सरकार का नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में वर्ण व्यवस्था है. आश्रम व्यवस्था है और अधिकार व्यवस्था है. मंदिरों का संचालन राजनैतिक नेताओं को नहीं करना चाहिए. अगर तिरुपति बालाजी मंदिर का संचालन कोई धर्माचार्य, कोई सम्प्रदाय, कोई पीठाधीश्वर या परंपरा के आचार्य के पास होता तो यह गलती नहीं होती. भगवान के नैवेद्य की व्यवस्था क्या होगी ये धर्माचार्य तय करेंगे सरकार नहीं. शासन को इस बात विचार करना चाहिए. हम लोग यह मानते हैं कि असली दूध, नकली दूध, असली घी, नकली घी. ये भी जानना जरूरी है असली हिंदू नकली हिंदू. जो संचलाक हैं वे भूल सुधार करें. जिन्होंने ऐसा किया उनको दंडित किया जाए.

जगनरेड्डी सरकार के समय चर्बी वाले घी से बना था प्रसाद!

तिरुपति के प्रसिद्ध श्रीवारी लड्डू के घी में मिलावट को लेकर ये विवाद तब सामने आया जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) की तरफ से इस्तेमाल में लाए जा रहे घी में पशु चर्बी होने का दावा किया था. चंद्रबाबू नायडू ने प्रयोगशाला के रिपोर्ट का हवाला देते ये आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में मंदिर के प्रसाद के लिए खरीदे गए घी में मछली का तेल और गाय की चर्बी पाई गई थी. इस विवाद ने तूल पकड़ लिया है. 

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ये है पूरा मामला

तिरुमाला ट्रस्ट को लड्‌डू बनाने के लिए करीब 50 सालों से कर्नाटक मिल्क फेडरेशन नंदिनी घी की सप्लाई कर रहा था. जगन रेड्‌डी सरकार में ट्रस्ट ने घी के लिए टेंडर जारी किए थे. टेंडर में घी का रेट इतना कम रखा गया कि नंदिनी घी ने नीलामी में हिस्सा नहीं लिया. इसके बाद इसका ठेका एआर डेयरी समेत अलग-अलग कंपनियों को दे दिया गया. इन्हीं कंपनियों के घी में मिलावट का आरोप है. जुलाई 2024 में टीडीपी सरकार आई तो जांच के बाद मिली गड़बड़ियों के बाद इन कंपनियों का ठेका रद्द कर वापस कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को ठेका दिया गया. इसके बाद नंदिनी घी की सप्लाई शुरू हो गई.  

लड्‌डू की पवित्रता बहाल की गई- TTD

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये बताया कि यहां श्रीवारी लड्डू प्रसादम की पवित्रता फिर से बहाल कर दी गई है. प्रसादम अब पूरी तरह से शुद्ध है. टीटीडी का कहना है कि प्रसादम की पवित्रता को आगे भी बरकरार रखा जाएगा.  

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