Delimitation से क्यों नाराज हैं साउथ के बड़े-बड़े नेता, ये है असली कहानी!

कीर्ति राजोरा

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दक्षिण भारत में पैर जमाने की कोशिश में जुटी बीजेपी एक बार फिर सेंटीमेंट के फेर में फंसी है. नई शिक्षा नीति में हिंदी पढ़ाने की व्यवस्था बनी तो तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने आसमान सिर पर उठा लिया.

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दक्षिण भारत में पैर जमाने की कोशिश में जुटी बीजेपी एक बार फिर सेंटीमेंट के फेर में फंसी है. नई शिक्षा नीति में हिंदी पढ़ाने की व्यवस्था बनी तो तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने आसमान सिर पर उठा लिया. हिंदी के खिलाफ स्टालिन ने ऐसी मुहिम छेड़ी कि डीएमके के साथ विरोधी पार्टियों AIADMK, एक्टर विजय की पार्टी को भी साथ आना पड़ा. निशाने पर है बीजेपी जिसके खिलाफ माहौल बना कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए हिंदी थोपने की फिराक में है. हिंदी को लेकर तवा गर्म ही था कि स्टालिन ने दक्षिण भारत का एक और सेंटीमेंटल इश्यू उठाकर बीजेपी को घेर लिया. 2026 में लोकसभा सीटें नए सिरे से तय करने के लिए डिलिमिटेशन किए जाने की बात है. डिलिमिटेशन मोदी सरकार के समय हो रहा है इसीलिए स्टालिन को शक हो रहा कि तमिलनाडु समेत पूरे दक्षिण भारत के साथ नाइंसाफी हो जाएगी. अभी तमिलनाडु से 39 सांसद चुनकर लोकसभा जाते हैं. स्टालिन ने भविष्यवाणी कर दी है कि डिलिमिटेशन हुआ तो तमिलनाडु के 8 सांसद घट जाएंगे.

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