अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आखिर कौन हो सकता है दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री?

अभिषेक

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AAP leaders Atishi (L) and Gopal Rai (R) and Arvind Kejriwal's wife Sunita Kejriwal (centre) are the possible contenders to become the Delhi Chief Minister. (Photo: X and PTI)
AAP leaders Atishi (L) and Gopal Rai (R) and Arvind Kejriwal's wife Sunita Kejriwal (centre) are the possible contenders to become the Delhi Chief Minister. (Photo: X and PTI)
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Who can be the next CM of Delhi?: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले दिनों जमानत पर जेल से निकलें. जेल से निकलने के बाद बीते दिन यानी रविवार को पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग की. इस मीटिंग के बाद उन्होंने एक बड़ा ऐलान किया. CM अरविंद केजरीवाल ने ये घोषणा की कि, वह दो दिन बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री के रूप में तभी लौटेंगे जब लोग उन्हें 'ईमानदारी का प्रमाण पत्र' देंगे. केजरीवाल ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, जो शराब नीति मामले में आरोपी हैं, उनको अपना उत्तराधिकारी बनने से इनकार कर दिया. केजरीवाल ने कहा कि वह और सिसोदिया अपने-अपने पदों पर तभी लौटेंगे जब लोग कहेंगे कि हम ईमानदार हैं. 

अरविंद केजरीवाल की इस घोषणा के बाद अब बस यही चर्चा हो रही है आखिर दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस पद के लिए कुछ संभावित दावेदार हैं. आइए बताते हैं कई कौन है वो दावेदार जो बन सकते है दिल्ली के मुख्यमंत्री. 

दिल्ली सरकार में मंत्री और केजरीवाल की करीबी आतिशी 

नीतिगत सुधारों के प्रति अपने गतिशील दृष्टिकोण और सामाजिक मुद्दों पर अपनी वकालत के लिए जानी जाने वाली आतिशी दिल्ली शराब नीति मामले में 21 मार्च को ED के अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किए जाने के बाद सबसे अधिक दिखाई देने वाली आप नेता थीं. 
CM केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से वह दिल्ली सरकार के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और 14 विभागों की प्रभारी हैं, जो कैबिनेट मंत्रियों में सबसे अधिक है. उनके पास दिल्ली सरकार के प्रमुख मंत्रालय शिक्षा, वित्त, योजना, पीडब्ल्यूडी, जल, बिजली और जनसंपर्क हैं. आतिशी दिल्ली विधानसभा की शिक्षा संबंधी स्थायी समिति की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. 

गोपाल राय

AAP के भीतर अपने जमीनी स्तर के काम और व्यापक अनुभव के लिए जाने जाने वाले, 49 वर्षीय गोपाल राय छात्र सक्रियता की पृष्ठभूमि वाले एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं, और लंबे समय से दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी रहे हैं. वह पर्यावरण, वन और वन्यजीव, विकास और सामान्य प्रशासन विभाग के कैबिनेट मंत्री हैं. एक प्रदर्शन के दौरान एक बार उनकी बांह में गोली लग गई थी और वे आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गए थे. गोपाल राय को दिल्ली के श्रमिक वर्ग समुदायों के साथ गहरे संबंध के लिए जाना जाता है. श्रम अधिकारों में उनकी पृष्ठभूमि और पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने के उनके प्रयास मतदाताओं को प्रभावित करते है. प्रदूषण नियंत्रण से लेकर श्रम कल्याण तक, शहर के गंभीर मुद्दों से निपटने में उनका व्यावहारिक अनुभव उन्हें मुख्यमंत्री के दावेदारों में से एक बनाता है. 

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कैलाश गहलोत

कैलाश गहलोत दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं, जो परिवहन मंत्री के रूप में अपने काम के लिए जाने जाते हैं. उनके नेतृत्व में, दिल्ली सरकार ने शहर के परिवहन बुनियादी ढांचे में सुधार करने में पर्याप्त प्रगति की, जिसमें बस सेवाओं का विस्तार, इलेक्ट्रिक बसों की शुरूआत और सड़क सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास शामिल हैं. कैबिनेट मंत्री होने के नाते, 50 वर्षीय आप नेता ने मजबूत प्रशासनिक क्षमताओं का प्रदर्शन किया है और बड़े पैमाने की परियोजनाओं का प्रबंधन करने और नौकरशाही जटिलताओं से निपटने की उनकी क्षमता प्रभावी शासन के लिए फायदेमंद होगी. पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक होने के नाते कैलाश गहलोत को मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया जा सकता है. 

सुनीता केजरीवाल

सुनीता केजरीवाल अरविंद केजरीवाल की पत्नी हैं. अपने पति की तरह भारतीय राजस्व सेवा (IRS) की पूर्व अधिकारी सुनीता केजरीवाल ने दो दशकों से अधिक समय तक आयकर विभाग में सेवा की. वह दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में आप के लोकसभा अभियानों में एक प्रमुख चेहरा थीं. CM की गिरफ्तारी के बाद वो नियमित रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस में आती थीं और लोगों के लिए अरविंद केजरीवाल के संदेशों को उसी कुर्सी पर पढ़ती थीं जिस पर उनके पति बैठते थे और अपने वीडियो भाषण देते थे. उन्होंने दिल्ली और रांची में विपक्षी INDIA ब्लॉक की रैलियों में भी भाग लिया और अपने पति को निशाना बनाने के लिए अक्सर भाजपा की आलोचना की. 

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पूर्व नौकरशाह होने के नाते, सुनीता केजरीवाल को नौकरशाही प्रक्रियाओं को संभालने और जटिल सार्वजनिक प्रणालियों को समझने में विशेषज्ञता हासिल है जो दिल्ली की बहुमुखी चुनौतियों के प्रबंधन में फायदेमंद होगी. हालांकि उनकी गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि और संवैधानिक बाधाएं उनके मुख्यमंत्री बनने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं. 

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