Karawal Nagar Seat: सिटिंग विधायक का टिकट काट BJP ने Kapil Mishra को दिया टिकट, हारेंगे या जीतेंगे?

शुभम गुप्ता

करावल नगर इस बार हिंदू बनाम मुस्लिम के ध्रुवीकरण के चलते अहम सीट बन गई है. अगर हिंदू वोट बैंक AAP और कांग्रेस के बीच बंट गया, तो कपिल मिश्रा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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कपिल मिश्रा (फाइल फोटो)
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Karawal Seat Analysis: दिल्ली के राजनीतिक समीकरणों में आज हम आपको एक ऐसी सीट का विश्लेषण देंगे, जो बीजेपी का मजबूत गढ़ रही है. इसे छोड़कर साल 2015 में जब केजरीवाल की लहर ने दिल्ली में झाड़ू चलाई, तब भी बीजेपी इस सीट पर मजबूती से टिकी रही. हालांकि, उस चुनाव में बीजेपी के रथ को आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता कपिल मिश्रा ने रोका. लेकिन कपिल मिश्रा अब बीजेपी के फायरब्रांड नेता हैं और इस बार करावल नगर से बीजेपी ने अपने 5 बार के विधायक का टिकट काटकर कपिल मिश्रा को उतारा है.  

करावल नगर, जो साल 2020 में दंगा प्रभावित क्षेत्र रहा, इस बार के चुनाव में एक बार फिर सुर्खियों में है. तो आइए जानते हैं इस सीट पर हार-जीत के संभावित समीकरण.  

करावल नगर सीट पर आमने-सामने कौन?  

पार्टी उम्मीदवार
AAP मनोज त्यागी
Congress पीके मिश्रा
BJP कपिल मिश्रा

करावल नगर सीट के पिछले तीन चुनावी नतीजे  

साल पार्टी उम्मीदवार मार्जिन
2013 BJP मोहन सिंह बिष्ट 3083 वोट
2015 AAP कपिल मिश्रा 44441 वोट
2020 BJP मोहन सिंह बिष्ट 8223 वोट

साल 2020 में करावल नगर सीट के नतीजे

पार्टी उम्मीदवार कुल वोट
AAP दुर्गेश पाठक 88298 वोट
BJP मोहन सिंह बिष्ट 96721 वोट
Congress अरविंद सिंह 2242 वोट

2020 में आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर पूरी कोशिश की, लेकिन जीत का सेहरा बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट के सिर बंधा.  

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 करावल नगर का जातीय समीकरण  

- करावल नगर उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा से आए प्रवासियों का इलाका है.  
- यहां की बड़ी आबादी अनधिकृत कॉलोनियों में रहती है.  
- जातीय समीकरण में:  
  - 19% मुस्लिम वोटर  
  - 46% सवर्ण वोटर  
  - शेष ओबीसी और दलित वोटर  

कपिल मिश्रा के पक्ष में फैक्टर  

1. लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन: बीजेपी करावल नगर विधानसभा में काफी आगे रही थी.  
2. निगम चुनाव का परिणाम: बीजेपी ने यहां 5 में से 4 वार्ड में जीत दर्ज की.  
3. हिंदुत्व की राजनीति: 2020 के दंगों के बाद कपिल मिश्रा हिंदुत्व की राजनीति के पोस्टर बन गए.  
4. ध्रुवीकरण का असर: हिंदू-मुस्लिम वोटरों में विभाजन से बीजेपी को फायदा हो सकता है.  

कपिल मिश्रा के खिलाफ फैक्टर  

1. एंटी-इंकम्बेंसी: वर्तमान विधायक के खिलाफ असंतोष.  
2. बीजेपी में आंतरिक विवाद: तीन निगम पार्षदों और विधायक के बीच तनातनी.  
3. AAP का मजबूत उम्मीदवार: आम आदमी पार्टी ने जमीनी नेता को टिकट दिया है.  
4. कांग्रेस का ब्राह्मण उम्मीदवार: हिंदू वोटरों में सेंध लगा सकता है.   

करावल नगर इस बार हिंदू बनाम मुस्लिम के ध्रुवीकरण के चलते अहम सीट बन गई है. अगर हिंदू वोट बैंक AAP और कांग्रेस के बीच बंट गया, तो कपिल मिश्रा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.  

इस सीट पर मुकाबला कड़ा है, लेकिन अंतिम फैसला मतदाताओं के हाथ में है.

इनपुट- दिनेश यादव

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