एक्सक्लूसिव: भाई राहुल गांधी को जिताने और स्मृति को हराने के लिए इस प्लान पर काम करेंगी प्रियंका
रायबरेली और अमेठी में पांचवें चरण में 20 जून को मतदान होना है. इसी के तहत प्रियंका गांधी की टीम ने पार्टियों की खामियों को दूर करने और अमेठी पर फिर से कब्जे के लिए एक फुल प्रूफ प्लान के साथ तैयार है.
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Priyanka Gandhi Vadra: जैसे-जैसे चुनावी मौसम चरम पर है, कांग्रेस माइक्रो मैनेजमेंट के फार्मूले पर काम करते हुए बीजेपी का मुकाबला करने में जुटी हुई है. लोकसभा के आगामी चरणों में कांग्रेस पार्टी के विरासत की लड़ाई उत्तर प्रदेश की दो सीटों अमेठी और रायबरेली में है. विरासत की इस लड़ाई में प्रियंका गांधी वाड्रा मुख्य भूमिका में दिखती नजर आ रही हैं. 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में हार के बाद से, यह लंबे समय के बाद होगा कि प्रियंका गांधी अगले बारह दिनों के लिए अमेठी के भुवेमऊ गेस्ट हाउस में डेरा डालेगी. उनके डेरा डालने की वजह अपनी पारिवारिक विरासत को बचाने और बीजेपी से अमेठी को वापस जीतने की सबसे बड़ी चुनौती है.
वैसे आपको बता दें कि, रायबरेली और अमेठी में पांचवें चरण में 20 जून को मतदान होना है. इसी के तहत प्रियंका गांधी की टीम ने पार्टियों की खामियों को दूर करने और अमेठी पर फिर से कब्जे के लिए एक फुल प्रूफ प्लान के साथ तैयार है.
चुनाव अभियान को प्रियंका कर रही लीड
इस चुनाव में प्रचार अभियान की कमान प्रियंका गांधी ने खुद अपने हाथों में ली हुई है. उन्होंने बूथ लेवल पर मैनेजमेंट, एक-एक घर पहुंचने की रणनीति और सोशल मीडिया आउटरीच से लेकर पूरा का पूरा एक बहु-आयामी रणनीति बनाई हुई है. इसके साथ ही उनका साथ देने के लिए रायबरेली में भूपेश बघेल और अमेठी में अशोक गहलोत शामिल होने जा रझे है. टीम प्रति दिन करीब बीस गांवों में घर-घर जाकर प्रचार करेगी और कुल मिलाकर अभियान के अंतिम दिन 18 जून तक रायबरेली और अमेठी के करीब 400 से 500 गांवों तक पहुंचने का लक्ष्य है.
प्रियंका फैक्टर के दम पर पूरे मुकाबले से लड़ेगी कांग्रेस
प्रियंका गांधी 1999 से जब उनकी मां सोनिया गांधी ने चुनावी राजनीति में पदार्पण किया और अमेठी से चुनाव लड़ा तबसे पार्टी की प्रमुख स्टार प्रचारक रही हैं. अपने चुनावी भाषणों में प्रियंका अक्सर अपनी दादी और पिता के साथ चुनावी रैलियों के दौरान हुई मुलाकातों को याद करती रही हैं. बीजेपी पर वो तीखे हमले करती हैं और पीएम मोदी पर समय-समय पर उनके कटाक्ष अक्सर वायरल होते रहे हैं. वैसे जब इंडिया टुडे ने उनसे सवाल किया कि, उन्होंने इस बार चुनाव क्यों नहीं लड़ा तो उन्होंने जवाब दिया, 'चुनाव अभियान का मैनेजमेंट कौन करेगा, हमें पूरे चुनाव मैनेजमेंट की देखरेख के लिए किसी की जरूरत है'.
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प्रियंका गांधी के यहां प्रचार करने का फायदा यह है कि, वो इन दोनों लोकसभा सीटों (रायबरेली और अमेठी) को अच्छी तरह से जानती हैं. वह यहां कि, हर नुक्कड़ और कोने, लोगों के स्वभाव और पार्टी की ताकत और कमजोरी को जानती हैं. वैसे यह उनके लिए एक लिटमस टेस्ट होगा क्योंकि उन्हें न केवल हिंदी हार्ट लैंड के अंदरूनी इलाकों में अपनी पार्टी की विश्वसनीयता बचाने की चुनौती हैं वहीं 2019 में मिले अपने भाई राहुल गांधी को मिलेकरारी हार का बदला लेने का भी दवाब है. नतीजे जो भी हो लेकिन कुल मिलाकर यह चुनाव दिलचस्प जरूर होने वाला है.
पिछले चुनाव में हो गई थी चूक!
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने यहां आखिरी तीन दिनों में ही प्रचार किया था और नतीजों में पार्टी को बड़ा झटका लगा. भाई राहुल गांधी को अमेठी में स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था. 'पार्टी इन्टर्नल रणनीति से वाकिफ एक नेता ने कहा, पिछली बार हम इसलिए नहीं हारे थे कि, लोग राहुल जी को नहीं चाहते थे. हम खराब चुनाव मैनेजमेंट के चलते हारे थे, लोगों में पार्टी के चुनाव प्रबंधकों के खिलाफ बहुत गुस्सा था जो हार की वजह बना. हालांकि इस बार अमेठी पर विशेष फोकस है और रायबरेली में पार्टी का लक्ष्य राहुल जी के लिए जीत का अंतर वायनाड से बड़ा करने का है. बता दें कि, 2019 में राहुल गांधी ने केरल के वायनाड में करीब 4 लाख तीस हजार वोटों से जीत दर्ज कर रिकॉर्ड बनाया था.
रिपोर्ट: मौसमी सिंह
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