EVM और VVPAT को लेकर फैसला सुरक्षित, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से ठीक पहले क्या-क्या कहा

संजय शर्मा

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Supreme Court on EVM-VVPAT: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर गुरुवार यानी आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने एक महत्वपूर्ण बात ये कही कि, हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता और याचिकाकर्ताओं को EVM के हर पहलू के बारे में आलोचनात्मक होने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, चुनाव प्रकिया की अपनी गरिमा होती है. किसी को ये आशंका नहीं रहनी चाहिए कि, इसके लिए जो जरुरी कदम उठाए जाने थे, वो नहीं उठाए गए. 

सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ये रही दलीलें 

दो जजों की बेंच के समक्ष याचिकाकर्ता ADR के वकील निजाम पाशा ने दलील दी कि, यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वोटर अपना VVPAT स्लिप बैलट बॉक्स में खुद डाले. जस्टिस खन्ना ने इस पर सवाल किया कि क्या इससे वोटर की निजता का अधिकार प्रभावित नहीं होगा? इस पर वकील निजाम पाशा ने दलील दी कि वोटर की निजता से अधिक जरूरी है उसका मत देने का अधिकार.

एक और याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि, सभी पर्चियों के मिलान की स्थिति में चुनाव आयोग मतगणना में 12-13 दिन लगने की बात कह रहा है. ये दलील गलत है. ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि, VVPAT मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती है, अगर वह लाइट हमेशा जलती रहे तो पूरा फंक्शन मतदाता देख सकता है.

प्रशांत भूषण ने मैग्जीन की रिपोर्ट का दिया हवाला

जब चुनाव आयोग के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में EVM से संबंधित जानकारी देनी शुरू की तब प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि, केरल के कासरगोड में मॉक पोल हुआ. इसमें 4 EVM और VVPAT में भाजपा के लिए एक अतिरिक्त वोट दर्ज हो रहा था. उन्होंने बताया कि, केरल के एक मैग्जीन ने यह रिपोर्ट छापी थी.

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प्रशांत भूषण के इस दलील पर जस्टिस संजीव खन्ना ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से इस आरोप को क्रॉसचेक करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से पूछा कि, EVM के साथ छेड़छाड़ न हो सके, ये सुनिश्चित करने के लिए आपकी ओर से क्या प्रकिया अपनाई जा रही है? याचिकाकर्ताओं ने पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट का भी हवाला देते हुए कहा कि आयोग उस पर भी अपना रुख साफ करे. हालांकि चुनाव आयोग के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केरल के कासरगोड में मॉक पोलिंग के दौरान EVM के द्वारा बीजेपी के पक्ष में वोट रिकार्ड दर्ज होने की छपी खबरें झूठी हैं. 

चुनाव आयोग के अधिकारी ने कोर्ट में बताई मतदान की पूरी प्रक्रिया 

चुनाव आयोग के अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि EVM से मतदान में तीन यूनिट होते है. बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और तीसरा VVPAT. बैलेट यूनिट सिंबल को दबाने के लिए है, कंट्रोल यूनिट डेटा संग्रहीत करता है और VVPAT सत्यापन के लिए है. चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि, कंट्रोल यूनिट VVPAT को प्रिंट करने का आदेश देती है. यह मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देता है और फिर यह VVPAT के सीलबंद बॉक्स में गिर जाता है. प्रत्येक कंट्रोल यूनिट में 4 MB की मेमोरी होती है. मतदान से 4 दिन पहले कमीशनिंग प्रक्रिया होती है और सभी उम्मीदवारों की मौजूदगी में प्रक्रिया की जांच की जाती है और वहां इंजीनियर भी मौजूद होते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेड़छाड़ हो सकती है?

इस सवाल पर चुनाव आयोग ने बताया कि, इसे बदला नहीं जा सकता. यह एक फर्मवेयर है. यानी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है. इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता. पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं. राजनीतिक दलों के नुमाइंदों की मौजूदगी में उन्हें लॉक किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब आप EVM को भेजते हैं तो क्या उम्मीदवारों को टेस्ट चेक करने की अनुमति होती है. चुनाव आयोग ने बताया कि मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखने से पहले मॉक पोल आयोजित किया जाता है. उम्मीदवारों को रैंडम मशीनें लेने और जांच करने के लिए पोल करने की अनुमति होती है.

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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारी से पूछा कि, जब आप मैन्युअल काउंटिंग करते हैं तो आप 5000 - 7000 वोटों की गिनती करते हैं. कल तो हमें 1 लाख वोट बताए गए थे. आपको इसके लिए 5 घंटे की क्या जरूरत है? इसके अलावा एक सुझाव बारकोड का भी था. ECI अधिकारी ने कहा कि हमने अभी इसकी जांच नहीं की है. इस चुनाव के लिए तो यह संभव नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या बैलेट यूनिट में स्टोरेज डेटा और VVPAT पर्चियों के बीच कोई मिसमैच का मामला है?

ECI ने कहा अभी तक हमने 4 करोड़ से ज्यादा VVPAT की काउ़टिंग की है. अब तक एक भी मिसमैच का मामला नहीं मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि EVM में बीप की आवाज कब आती है?

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ECI: जब कंट्रोल यूनिट द्वारा वोट रजिस्टर हो जाता है.

SC: कंट्रोल यूनिट VVPAT को कमांड देता है और रजिस्टर होते ही बीप की आवाज आती है?

ECI: बीप स्लिप पर निर्भर है. एक सेंसर है जो स्लिप गिरने को रिकॉर्ड करता है. ECI ने कहा कि EVM एक स्वतंत्र मशीन है. इससे हैक या छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता. VVPAT को फिर से डिजाइन करने की कोई जरूरत नहीं है. मैन्युअल गिनती में मानवीय भूल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन मौजूदा सिस्टम में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गई है. जहां पर भी गड़बड़ी थी, वहां मॉक रन का डेटा नहीं हटाया गया. इसका ध्यान रखा गया है.

कोर्ट: ऐसे कितने मामले हैं?

मनिंदर सिंह: केवल एक

जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रशांत भूषण से कहा कि अब आप अपनी मांग को लेकर बहुत आगे जा रहे हैं. हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता. अगर चुनाव आयोग ने कुछ अच्छा किया है तो आप उसकी भी सराहना करें. हमने आपकी बात सुनी क्योंकि हम भी चिंतित हैं. क्या आपको हर चीज के बारे में बताना जरूरी है? इसपर याचिकाकर्ता के वकील ने सफाई देते हुए कहा कि, हम कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं. सुबह जो शिकायत की थी वो चुनाव एजेंट द्वारा की गई है.

कोर्ट- मतगणना के बाद, EVM को उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों के सामने सील किया जाना चाहिए. यदि ईवीएम मशीन 45 दिनों तक सुरक्षित रखी जाती है, तो व्यक्ति चुनाव याचिका दायर कर सकता है. एसजी तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनावों से ठीक पहले ऐसा होता रहता है. इसका असर मतदान पर पड़ता है, लोकतंत्र को नुकसान पहुंचता है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, याचिकाकर्ता मतदाताओ की पसंद और भरोसे को मजाक बना रहे हैं. एक याचिकाकर्ता साबू स्टीफन ने कहा कि डिजिटल डेटा में हेरफेर किया जा सकता है. कागज़ की पर्चियों में हेरफेर नहीं किया जा सकता. दोनों की समान रूप से गणना की जानी चाहिए. निष्कर्ष के बाद, दोनों का मिलान किया जाए. विसंगति आने पर कागज की पर्चियों को ही मान्य किया जाना चाहिए. 100% मिलान समय की मांग है.

याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि हम चुनाव आयोग के खिलाफ आरोप नहीं लगा रहे हैं. हम जो उजागर कर रहे हैं वह यह है कि हमें संदेह है, और ऐसे संदेह के कारण भी हैं. याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि चुनाव आयोग के वकील कहते हैं कि केवल एक ही बार गड़बड़ी हुई है, जिस पर हमने ध्यान दिलाया है. जबकि चुनाव आयोग के प्रतिनिधि ऐसा नहीं कहते. आयोग ये स्वीकार कर रहा हैं कि मानवीय त्रुटियां हैं.

एक याचिकाकर्ता के वकील संतोष पॉल ने कहा कि चिंता यह है कि सिस्टम में विश्वास होना चाहिए. विकसित देशों ने इस सिस्टम को छोड़ दिया है. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि ये मत कहिए कि विदेश भारत से ज्यादा विकसित है.

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