लक्ष्यराज सिंह ने नामंजूर किया विश्वराज सिंह का महाराणा बनना, महाराणा प्रताप के वंशजों की लड़ाई सड़क पर आई
450 साल से चल रही परम्परा के हिसाब से खून से राजतिलक हुआ. गद्दी पर बिठाने की पगड़ी दस्तूर की रस्म हुई. 21 तोपों की सलामी दी गई. मेवाड़ के उत्तराधिकारी घोषित हुए, लेकिन उदयपुर सिटी पैलेस में दाखिल नहीं हो सके. कोई है जिसके लिए विश्वराज सिंह महाराणा के रूप में स्वीकार नहीं हैं.
ADVERTISEMENT
न्यूज़ हाइलाइट्स
उदयपुर में राजघराने ऐसा हाल, आपसी विवाद में राजमहल के दरवाजे बंद.
भयंकर बवाल, क्या है ये राजघराना विवाद का ये पूरा मामला?
राजतंत्र चला गया. राजशाही चली गई. राजमहल या तो लक्जरी होटल बन गए या खंडहर बन गए. तब भी राजा हैं. राजसी ठाठ-बाट है. राजतिलक की रस्में निभाई जा रही हैं. बदल चुके भारत में राजा बनना और राजतिलक कराना कितना मुश्किल है, ये बात उदयपुर में राजा विश्वराज सिंह को मेवाड़ राजपरिवार की गद्दी की विरासत संभालते समझ आ गई होगी.
450 साल से चल रही परम्परा के हिसाब से खून से राजतिलक हुआ. गद्दी पर बिठाने की पगड़ी दस्तूर की रस्म हुई. 21 तोपों की सलामी दी गई. मेवाड़ के उत्तराधिकारी घोषित हुए, लेकिन उदयपुर सिटी पैलेस में दाखिल नहीं हो सके. कोई है जिसके लिए विश्वराज सिंह महाराणा के रूप में स्वीकार नहीं हैं.
मेवाड़ रियासत की क्या है लड़ाई?
ये कहानी है राजस्थान के मेवाड़ रियासत की लड़ाई की. उसी मेवाड़ रियासत की जिसके 54वें राजा महाराणा प्रताप हुआ करते थे. हल्दी घाटी में मुगलों से लड़ते हुए महाराणा प्रताप ने जान दे दी थी. भारत के इतिहास में वीर योद्धा का दर्जा हासिल है महाराणा प्रताप को. उन्हीं के वंशज मेवाड़ की खत्म हो चुकी रियासत पर दावा करने के लिए सड़क पर पत्थरों से लड़ रहे हैं.
ADVERTISEMENT
कैसे हुआ विवाद
जो आशंका थी वही हुआ. मेवाड़ के 77वें महाराणा विश्वराज सिंह मेवाड़ के राज्याभिषेक को लेकर भयंकर विवाद शुरू है. राजस्थान में बीजेपी की सरकार है. विश्वराज सिंह राजसमंद के नाथद्वारा सीट से बीजेपी विधायक हैं. उनकी पत्नी महिमा कुमारी बीजेपी सांसद हैं. विश्वराज सिंह के पिता बीजेपी के चितौड़गढ से सांसद भी रहे. फिर भी राजगद्दी की लड़ाई में बार-हार हार रहा है विश्वराज सिंह का परिवार. विश्वराज के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन इसी महीने 10 तारीख को 83 साल की उम्र में हुआ. उनके बाद बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक हुआ, लेकिन उसी राजतिलक के साथ शुरू हो गया राजपरिवार में नया महायुद्ध.
राष्ट्रपति से भी जुड़ गया राजघराने का ये विवाद?
इस महायु्द्ध की एक आहट अक्तूबर में तब दिखी जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उदयपुर सिटी पैलेस का दौरा किया. अरविंद सिंह मेवाड़ और लक्ष्यराज सिंह ने राष्ट्रपति का स्वागत किया था. तब विश्वराज सिंह और महिमा कुमारी ने इसे अपने खिलाफ माना. उन्होंने विवादित प्रॉपर्टी बताकर राष्ट्रपति को आने से मना किया था. आपत्ति जताई कि विवादित प्रॉपर्टी का दौरा राष्ट्रपति की गरिमा के खिलाफ है. तब महेंद्र सिंह मेवाड़ जीवित थे, लेकिन न तो महेंद्र सिंह का परिवार आया, न राष्ट्रपति से मुलाकात कराई गई. कहा गया कि राष्ट्रपति का निजी दौरा था.
ADVERTISEMENT
राजघराने की लड़ाई क्यों है?
मेवाड़ राजघराने पर वर्चस्व के लिए करीब 40 साल से बड़े भाई महेंद्र सिंह और छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के साथ विवाद चल रहा है. इन दोनों के पिता भगवत सिंह थे जो ऑफिशियली मेवाड़ के अंतिम महाराणा माने गए. आजादी के बाद राजशाही चली गई, लेकिन राजाओं के पास राजघराने की परम्परा, संपत्ति, राजमहल रहे. भगवंत सिंह ने राजघराने को आगे ले जाने के लिए महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन नाम का ट्रस्ट बनाया. ट्रस्ट से मेवाड़ राजघराना चलने लगा. उदयपुर की मशहूर सिटी पैलेस भी इसी राज परिवार की संपत्ति है.
ADVERTISEMENT
अंतिम राणा ने वसीयत कर दी
मेवाड़ के आखिरी महाराणा भगवंत सिंह ने वसीयत में ट्रस्ट की जिम्मेदारी छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को दी. बड़े बेटे महेंद्र सिंह को ट्रस्ट से दूर रखा. भगवंत सिंह के जाने के बाद अरविंद सिंह मेवाड़ ट्रस्ट के चेयरमैन और राजघराने की संपत्तियों के सर्वेसर्वा हो गए. अरविंद सिंह के बेटे होने के नाते लक्ष्यराज सिंह के हाथ में सारा कंट्रोल चला गया. मेवाड़ चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए अरविंद सिंह मेवाड़ उदयपुर राजघराने की गद्दी संभालते हैं. उदयपुर के विशाल सिटी पैलेस में रहते हैं. महेंद्र सिंह मेवाड़ का परिवार सिटी पैलेस समोर बाग में रहता है.
ऐसे शुरू हुआ विवाद
महाराणा भगवंत सिंह के निधन के बाद भयंकर विवाद शुरू हुआ. बड़े बेटे होने के नाते महेंद्र सिंह ने राजतिलक कराकर खुद को महाराणा घोषित किया. छोटे बेटे अरविंद सिंह ने पिता महाराणा भगवंत सिंह की वसीयत पेश करते हुए खुद को संपत्ति का वारिस बताया. कहा जाता है भगवंत सिंह के उसी वसीयत पर आज तक फसाद हो रहा है.
लक्ष्यराज सिंह को मिलनी चाहिए राजगद्दी- अरविंद सिंह
विश्वराज सिंह के चाचा हुए अरविंद सिंह और चचेरे भाई हुए लक्ष्यराज सिंह. विश्वराज उम्र में लक्ष्यराज से बड़े हैं. पिता भगवंत सिंह के फैसले के बाद भी महेंद्र सिंह ने राजघराने पर दावा नहीं छोड़ा था. उनके निधन के बाद परम्परा के तहत बेटे विश्वराज सिंह का राज्याभिषेक कर महाराणा घोषित कर दिया. इसी राज्याभिषेक को गलत बता रहे हैं अरविंद सिंह मेवाड़ और लक्ष्यराज सिंह मेवाड़. अरविंद सिंह मेवाड़ का दावा है कि राजगद्दी विश्वराज सिंह को नहीं, बल्कि उनके बेटे लक्ष्य राज सिंह को मिलनी चाहिए.
लक्ष्यराज सिंह कहे जाते हैं उदयपुर के युवराज
उदयपुर के युवराज कहे जाते हैं 39 साल के लक्ष्य राज सिंह मेवाड़. उन्होंने उदयपुर, अजमेर के मेयो कॉलेज और मुंबई से पढ़ाई की. ऑस्ट्रेलिया से ग्रेजुएशन किया है. सिंगापुर से हॉस्पिटैलिटी का कोर्स किया. काम सीखने के लिए वेटर बनकर होटल, कैफे में काम किया. उदयपुर लौटकर होटल्स का फैमिली बिजनेस चलाने लगे. 2014 में उनकी शादी ओडिशा की राजकुमारी से हुई.
ओडिशा के बालांगीर के पूर्व राजपरिवार की बेटी निवृत्त कुमारी देव उनकी पत्नी बनीं.
राजतिलक से पहले ही ऐलान- विश्वराज सिंह की पैलेस में एंट्री नहीं
विश्वराज सिंह के राज्याभिषेक से पहले ही अरविंद सिंह और लक्ष्यराज सिंह ने ऐलान कर दिया था कि विश्वराज सिंह को सिटी पैलेस में जाने नहीं देंगे. लीगल नोटिस में कहा कि किसी अनाधिकृत व्यक्ति को सिटी पैलेस में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. परम्परा के मुताबिक विश्वराज सिंह सिटी पैलेस में धूणी माता और करीब 50 किलोमीटर दूर एकलिंग शिव मंदिर में दर्शन करने जाना चाहते थे.
दोनों ही स्थानों अरविंद और लक्ष्यराज सिंह के कब्जे में हैं. ऐसे में यहां घुसने के लिए जमकर संघर्ष हुआ.
मामला कोर्ट में, फैसले का इंतजार
उदयपुर में जमकर बवाल हुआ. पथराव हुआ. संघर्ष हुआ. उदयपुर का जिला और पुलिस प्रशासन सिर्फ बंदोबस्त देखता रहा. पैलेस, मंदिरों और फोर्ट पर कब्जे के लिए पारिवारिक लड़ाई अदालत में चल रही है, लेकिन कोई फैसला नहीं आया है. कुछ संपत्ति पर स्टे लगा है. कुछ को लेकर अवमानना का भी केस चल रहा है.
यह भी पढ़ें:
ADVERTISEMENT