CM शिंदे से मिलकर डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल ने मंत्रालय की बिल्डिंग से लगा दी छलांग, बड़ी वजह आई सामने
Narhari Zirwal एनसीपी के अजित पवार गुट के नेता हैं,.एनसीपी बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के साथ महायुति गठबंधन का हिस्सा है. लेकिन झिरवाल ने अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध कर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया. उनका यह कदम बीजेपी, अजित पवार और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है.
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Narhari Zirwal: लोकसभा चुनावों के दौरान एक नैरेटिव तेजी से उभरा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आरक्षण खत्म करना चाहती है. संविधान में बदलाव करने का इरादा रखती है. इसी नैरेटिव को महाराष्ट्र में तब और बल मिला जब विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल ने आरक्षण के खिलाफ सुसाइड करने की कोशिश की.
डिप्टी स्पीकर की सुसाइड की कोशिश
महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले मुंबई के मंत्रालय बिल्डिंग में तीसरी मंजिल से छलांग लगाकर सुसाइड की कोशिश की. हालांकि, वहां लगी सुरक्षा जाली ने उनकी जान बचा ली. यह कदम झिरवाल ने धनगर समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने के विरोध में उठाया.
नरहरि झिरवाल एनसीपी के अजित पवार गुट के नेता हैं,.एनसीपी बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के साथ महायुति गठबंधन का हिस्सा है. लेकिन झिरवाल ने अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध कर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया. उनका यह कदम बीजेपी, अजित पवार और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है.
मराठा और धनगर आरक्षण आंदोलन
महाराष्ट्र की राजनीति पहले से ही आरक्षण मुद्दों को लेकर गरमाई हुई है। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. मनोज जरांगे के आंदोलन ने लोकसभा चुनावों में महायुति को काफी नुकसान पहुंचाया था. अब, झिरवाल के इस कदम से आरक्षण पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जिससे महायुति के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं.
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सीएम से मुलाकात के बाद सुसाइड की कोशिश
सुसाइड की कोशिश से पहले नरहरि झिरवाल और कुछ आदिवासी विधायकों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी. जब उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो उन्होंने मंत्रालय की तीसरी मंजिल से कूदने की धमकी दी और आखिरकार छलांग लगा दी. हालांकि, उन्हें पहले से ही पता था कि सुरक्षा जाली के कारण उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा.
धनगर समाज और आरक्षण मांग
धनगर समाज महाराष्ट्र की कुल आबादी का लगभग 9 प्रतिशत है. यह समाज मराठवाड़ा क्षेत्र में प्रभावशाली वोट बैंक है. इस समाज को पहले विमुक्त जाति (VJNT) के तहत आरक्षण प्राप्त था. लेकिन उनकी मांग थी कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए. शिंदे सरकार ने इस मांग को पूरा किया, लेकिन नरहरि झिरवाल और उनके समर्थकों ने इसका विरोध किया.
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महाराष्ट्र में वर्तमान में 52 फीसदी रिजर्वेशन लागू है. इसमें ओबीसी को 19 फीसदी, अनुसूचित जाति और जनजाति को 13 प्रतिशत, और विमुक्त जातियों और स्पेशल पिछड़े वर्ग को 13 फीसदी रिजर्वेशन मिला हुआ है. धनगर समाज की मांग आदिवासी कैटेगरी में आरक्षण की थी, जिसे शिंदे सरकार ने स्वीकार कर लिया. लेकिन झिरवाल के विरोध ने इस मुद्दे को और ज्यादा उलझा दिया है.
झिरवाल का पॉलिटिकल करियर
नरहरि झिरवाल महाराष्ट्र की डिंढौरी विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं. पहले वे कांग्रेस में थे. लेकिन 1999 में शरद पवार के साथ एनसीपी में शामिल हो गए. 2023 में अजित पवार के एनसीपी से अलग होने पर उन्होंने भी उनका साथ दिया. अब, डिप्टी स्पीकर के पद पर रहते हुए, आरक्षण के खिलाफ उनका यह कदम बीजेपी और अजित पवार के लिए एक चुनावी चुनौती बन गया है.
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