Charchit Chehra: 1999 में अमेठी में मां के लिए प्रचार करना हो, या भाई राहुल के चुनावों में जान झोंक देना, या फिर पति रॉबर्ट वाड्रा की लैंड डील में फंसना...प्रियंका फाइटर बन परिवार के साथ हर हाल में डटी रही. बेटी, बहन, पत्नी, मां...सारे फर्ज शिद्दत से अदा किए और अब तो एक रोल बढ़ गया है. वायनाड की जनता का संसद में प्रतिनिधत्व करने का. जैसे प्रियंका परिवार के लिए अलग-अलग भूमिकाओं में तत्पर नजर आती रहीं, वैसे ही उनके प्रचार, नोमिनेशन से लेकर शपथ ग्रहण तक राहुल-सोनिया के अलावा मुख्य किरदार अदा किया प्रियंका के परिवार ने. बेटे रेहान और बेटी मिराया को लेकर रॉबर्ट संसद पहुंचे. लैंड डील के विवाद के दौरान भले ही प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा पब्लिक व्यू में कम ही साथ नजर आए लेकिन पर्सनल लाइफ हो या राजनीतिक एंट्री रॉबर्ट वाड्रा अब फ्रंटफुट पर दिखते हैं. आज चर्चित चेहरा में बात प्रियंका गांधी की उस कहानी की जिसने उन्हें रॉबर्ट वाड्रा से जोड़ा.
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महज 13 साल की थी प्रियंका गांधी जब वो रॉबर्ट से पहली बार मिली. मुलाकात हुई एक कॉमन फ्रेंड के घर पर. दोनों दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल में साथ पढ़ते थे. रॉबर्ट की बहन मिशेल ने दोनों की मुलाकात करवाई थी. पहली मुलाकातों में ही प्रियंका की सादगी ने रॉबर्ट वाड्रा का मन मोह लिया था. दोनों की बातचीत शुरु हुई. दोस्ती हुई. दोनों दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल में साथ पढ़ते थे. जहां प्रियंका देश के बड़े राजनीतिक परिवार से थी तो वहीं रॉबर्ट बिजनेसमेन फैमिली से थे. मूल रुप से वाड्रा परिवार पाकिस्तान के सियालकोट से है, भारत विभाजन के समय वाडरा के दादा भारत आकर बस गए थे. मुरादाबाद में जन्में बिजनेसमेन थे और मां मूलत स्कॉटलैंड की रहने वाली हैं.
प्रियंका को भा गई ये बात
प्रियंका गांधी के मुताबिक रॉबर्ट उनसे वैसे ही मिलते थे जैसे वो दूसरे दोस्तों से मिलते थे. ये बात प्रियंका को भा गई. प्रियंका गांधी को रॉबर्ट की यह बात पसंद थी कि वो उनका फैमिली बैकग्राउंड जानते हुए भी उन्हें स्पेशल ट्रीट नहीं करते. इस बात से प्रियंका बहुत प्रभावित हुई. हालांकि रॉबर्ट चाहते नहीं थे कि कोई दोनों के रिश्ते के बारे में जाने क्योंकि वो ऐसा मानते थे कि लोग इसे समझेंगे नहीं और गलत मानेंगे.
शादी के लिए किसने प्रपोज किया
दोनों की बातें मुलाकातें बढ़ती गई. उसी दौरान जब दादी इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो रॉबर्ट प्रियंका की दोस्ती में लंबा पॉज आ गया. हालांकि कुछ समय बाद बातें फिर शुरु हो गई. साल आगे बढ़ते गए और घर पर शादी की बात भी करनी थी. वैसे दोनों का प्रपोजल फिल्मी नहीं था. रॉबर्ट वाड्रा का कहना है कि उन्होंने प्रियंका को घुटनों के बल बैठकर प्रपोज नहीं किया था बल्कि दोनों ने साथ बैठकर अपने रिश्ते पर गंभीरता से विचार किया था. बात आगे बढ़ी तो शादी तक पहुंची. परिवार वालों से मुलाकात हुई. लेकिन खबरों के मुताबिक रॉबर्ट के पिता इस रिश्ते से खुश नहीं थे. हालांकि बाद में उन्होंने हां भर दी. दोनों 18 फरवरी 1997 को शादी के बंधन में बंध गए. दोनों की शादी मां सोनिया गांधी के घर दस जनपथ पर हिंदू रीति रिवाज से हुई. प्रियंका और रॉबर्ट के दो बच्चे हैं - मिराया और रेहान.
रॉबर्ट वाडरा हाल में तो नहीं लेकिन बीते सालों में विवादों से घिर रहते थे. रॉबर्ट और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ लैंड डील मामला कांग्रेस के लिए साल 2012 के बाद किरकिरी बन गया था. इसके अलावा बीकानेर लैंड डील, पेट्रोलियम डील केस, यूके प्रॉपर्टी मनी लॉन्ड्रिंग केसेस में भी रॉबर्ट वाडरा घिरते हुए नजर आए थे. लेकिन दोनों एक दूसरे के साथ हर परिस्थिति में खड़े रहे.
रॉबर्ट को लग्जरी चीजों का शौक
जहां रॉबर्ट को प्रियंका की सादगी पसंद थी, वहीं रॉबर्ट के शौक अलग थे. उन्हें लग्जरी गाड़ियों, बाइक का शौक था. फिट भी रहना पसंद करते हैं. घंटों जिम में एक्सरसाइज करते हैं. गोल्फ खेलने और फार्मूला वन रेस देखने का भी शौक है. हैंडीक्राफ्ट आइटम्स और कस्टम ज्वैलरी का बिजनेस है और उनकी कंपनी का नाम 'आर्टेक्स एक्सपोर्ट्स' है. इसके अलावा भी रॉबर्ट वाड्रा कई कंपनियों में पार्टनर हैं.
अब संसद में भाई का साथ देंगी प्रियंका
उधर प्रियंका ने अपनी राजनीति की बागडोर संभाल ली है. प्रियंका का सहज व्यवहार उन्हें एक सुलभ नेता बनाता है. अब संसद में तीन गांधी सदस्य मौजूद रहेंगे. इन सबमें प्रियंका हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में धाराप्रवाह बोलने की कला में माहिर हैं. पार्टी के लिए कभी संकटमोचक बन जाती हैं तो कभी कैंपेन कर जीत दिला देती हैं तो कभी उनका जबरदस्त बैक रूम प्रबंधन देखने मिलता है. चूंकि वक्त वक्त पर प्रियंका गांधी की तुलना उनकी दादी इंदिरा गांधी से की जाती रही है, इसलिए लोगों की उनसे उम्मीदें बढ़ी होंगी.
2019 में प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी कांग्रेस महासचिव नियुक्त किया गया था. फिर एक साल बाद पूरे राज्य की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी गई थी. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रभाव डालने में प्रियंका सफल नहीं हुई. लेकिन 2024 का लोकसभा चुनाव आया तो उन्होंने उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में अहम भूमिका निभाई. उस दौरान चर्चा थी कि प्रियंका को रायबरेली से मैदान में उतारा जाएगा. हालांकि ऐसा हुआ नहीं.
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