अमेरिकी चुनाव में यूपी के गाजियाबाद की सबा हैदर का जलवा, रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवार को हरा दिया

कीर्ति राजोरा

07 Nov 2024 (अपडेटेड: Nov 7 2024 8:12 PM)

सबा हैदर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की रहने वाली हैं. अमेरिका के ड्यूपेज काउंटी बोर्ड के चुनाव में सबा हैदर ने डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की है. उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवार पैटी गुस्टिन को करीब साढ़े आठ हजार वोटों से हरा दिया है. सबा को 39,365 वोट मिले और पैटी गुस्टिन ने 30,844 मत हासिल किए.  

तस्वीर: न्यूज तक.

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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सबा हैदर के माता-पिता गाजियाबाद में रहते हैं.

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सबा 2007 में पति के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गई थीं.

अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप कमला हैरिस को हराकर दूसरी बार राष्ट्रपति बन गए हैं. ट्रंप की जीत में 7 स्विंग स्टेट्स का अहम रोल रहा है. इसकी चर्चा भी खूब हो रही है. वैसे इस चुनाव में भारतीयों का भी जलवा कम नहीं रहा, जिसका जिक्र खुद डोनाल्ड ट्रंप कर चुके हैं. इस बीच एक नाम जिसकी चर्चा खूब है वो हैं सबा हैदर. 

सबा हैदर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की रहने वाली हैं. अमेरिका के ड्यूपेज काउंटी बोर्ड के चुनाव में सबा हैदर ने डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की है. उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवार पैटी गुस्टिन को करीब साढ़े आठ हजार वोटों से हरा दिया है. सबा को 39,365 वोट मिले और पैटी गुस्टिन ने 30,844 मत हासिल किए.  

पिछले चुनाव में हार गईं थी सबा

 सबा हैदर पिछली बार के चुनाव में एक हजार के अंतर से हार गई थीं. सबा हैदर शिकागो के इलिनॉइस जिला में रहती हैं. उन्होंने पिछली हार का बदला इस बार जीत से ले ली है. उन्होंने लगभग 9000 वोटों से जीत हासिल की है. यहां 9.30 लाख मतदाता हैं. उनके कार्य क्षेत्र के अंदर नौ जिले और टाउन आएंगे.  

सबा हैदर के पिता गाजियाबाद में रहते हैं

सबा हैदर के पिता अली काजम परिवार के साथ संजय नगर के चित्रगुप्त विहार में रहते हैं. सबा शिकागो में पति और बच्चों के साथ रहती हैं. उनका एक बेटा है, जिसका नाम अजीम अली है और एक बेटी आइजह अली है. उनके पति का नाम अली काजमी है, जो बुलंदशहर के औरंगाबाद मोहल्ला सादात के रहने वाले हैं. सबा हैदर की मां स्कूल चलाती हैं और बड़े भाई अब्बास हैदर और छोटे भाई जीशान हैदर दुबई में कारोबार करते हैं. 

2007 में अमेरिका शिफ्ट हो गईं थीं सबा

सबा हैदर के पिता का कहना है कि सबा ने इंटर तक की पढ़ाई होली चाइल्ड स्कूल से की. आरसीसी गर्ल्स कॉलेज से बीएससी करने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से वाइल्ड लाइफ साइंसेज में गोल्ड मेडल के साथ एमएससी की परीक्षा पास की. 2007 में शादी होने के बाद पति के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गई थीं. वह योग टीचर और ट्रेनर हैं.  

पिता ने बेटी की जीत पर दिया ये रिएक्शन

अली काजम बेटी सबा की जीत पर कहते हैं कि आज मैं अपनी बेटी पर गर्व महसूस कर रहा हूं. मेरी बेटी इंटेलिजेंट है. दामाद कंप्यूटर साइंस इंजीनियर है. राजनीति हमारे खून में है. उसको अमेरिका में मौका मिला तो उसने कर दिखाया. उसके दोस्तों ने उसे प्रेरित किया और उसने चुनाव जीत लिया. सबा की मां चांदनी भी अमेरिकी चुनावों में अपनी बेटी की जीत से खुश हैं.  

जीत के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने इंडिया की तारीफ तो कि, लेकिन सवाल ये भी है कि डोनाल्ड ट्रंप से भारत को कितना फायदा?
डोनाल्ड ट्रंप की जीत से भारत को 5 फायदे हो सकते हैं, लेकिन नुकसान भी हैं.

डोनाल्ड ट्रंप के जीत से भारत को कितना फायदा?

मैन्युफैक्चरिंग और डिफेंस सेक्टर में तेजी आ सकती है. अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग और सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने पर उनका ध्यान भारत डायनेमिक्स और एचएएल जैसी भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए बेहतर हो सकता है. ऐसे में सप्लाई चेन में सुधार होगा जिससे भारतीय व्यापार को मदद मिल सकती है. ट्रंप के नेतृत्व में कारोबारी माहौल में सुधार हो सकता है. इससे संभावित रूप से कॉर्पोरेट टैक्स में कमी आ सकती है. 

ट्रेप की जीत से नुकसान

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से ब्याज दरों में तेजी आ सकती है. इससे अमेरिकी चीजों की बढ़ी हुई लागत से भारतीय कारोबार पर असर पड़ सकता है. ट्रंप की जीत से भारतीय शेयर मार्केट में शुरू में बेशक तेजी आई हो, लेकिन लंबे समय तक यह तेजी रहेगी, इस पर संशय रहेगा. ट्रंप की नीतियां शेयर मार्केट में अस्थिरता पैदा कर सकती हैं. वीजा को लेकर भी भारतीयों के लिए परेशानी हो सकती है. ट्रंप ने पिछली बार H-1B वीजा पर बैन लगा दिया था. इससे अमेरिका में मौजूद भारतीय आईटी कंपनियां बहुत ज्यादा प्रभावित हुई थीं. ट्रंप ने भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना की है. ट्रंप प्रशासन भारत पर ट्रेड बैरियर को कम करने के लिए दबाव डाल सकता है. इससे आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे. 

अमेरिकी चुनाव दुनिया की सबसे जटिल चुनाव माना जाती है. राष्ट्रपति बनने के लिए बहुमत का आंकड़ा 270 होता है...क्योंकि यहां पर कुल 538 इलेक्टोरल कॉलेज हैं और जीत के लिए 270 या उससे ज्यादा इलेक्टोरल वोट्स की जरूरत होती है. 

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