सपा सांसद बर्क को ये गलती पड़ गई महंगी, आए योगी सारकार के निशाने पर, अब अखिलेश का साथ बचा पाएगी साख

कीर्ति राजोरा

20 Dec 2024 (अपडेटेड: Dec 20 2024 10:43 AM)

रिपोर्ट के मुताबिक सपा सांसद जिया उर रहमान के घर के बिजली बिल में सालभर का रीडिंग जीरो था. घर में लगे दो मीटरों में से एक मीटर दादा शफीकुर्रहमान बर्क़ के नाम पर भी था जो उनके निधन के 10 महीनों के बाद भी चल रहा था.

follow google news

मुद्दतो रोया करोगे मेरे मर जाने के बाद, बहुत याद आएगी मेरे गुजर जाने के बाद...ये शेर दिवंगत सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क़ का है... उनका ये शेर याद आया है क्योंकि उनकी विरासत संभालने वाले पोते जिया उर रहमान बर्क इस वक्त मुसीबत में हैं. पहले संभल हिंसा में नाम और अब घर में बिजली चोरी के इल्जाम. 36 साल के जिया उर रहमान बर्क ने दादा के निधन के बाद उनकी विरासत संभाली. दादा गए तो पोते जिया उर रहमान बर्क ने नमाज-ए-जनाज़ा को संभल में इस तरह अता किया कि सबूत पेश कर दिए कि वो ही दादा की विरासत और सपा की उम्मीदवारी संभालने के लिए सबसे काबिल शख्स हैं.

अपनी काबिलियत जिया उर रहमान बर्क ने संभल का लोकसभा चुनाव जीतकर पेश की और विधायक से सांसद बने. विधायक रहते हुए बीजेपी पर जिया उर रहमान ने आरोप लगाए कि उन्हें खरीदने की कोशिश की गई, लेकिन अब जब वो सांसद बन गए हैं तो चुनाव के चंद महीनों बाद ही योगी सरकार के निशाने पर जिया उर रहमान बर्क हैं. इसलिए बन गए हैं चर्चित चेहरा. 

मीटर रीडिंग 0 पर फंसे सपा सांसद

यूपी के संभल में 19 दिसंबर की सुबह उस समय हलचल मच गई, जब भारी पुलिस फोर्स के साथ बिजली विभाग की टीम सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क के घर पहुंची, जहां हाल ही में लगाए गए स्मार्ट मीटर की रीडिंग को खंगाला गया. रिपोर्ट के मुताबिक सपा सांसद जिया उर रहमान के घर के बिजली बिल में सालभर का रीडिंग जीरो था. घर में लगे दो मीटरों में से एक मीटर दादा शफीकुर्रहमान बर्क़ के नाम पर भी था जो उनके निधन के 10 महीनों के बाद भी चल रहा था.

जांच पड़ताल के बाद बिजली विभाग ने एंटी पावर थेफ्ट की धारा 135 के तहत FIR दर्ज कराई है. इससे पहले जिया उर रहमान के खिलाफ संभल हिंसा के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में भी FIR दर्ज हैं. इस मामले में बर्क ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर FIR रद्द करने की मांग की थी. इन दोनों मामलों को लेकर अब जिया उर रहमान बर्क पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही है.

दादा की मौत के बाद विरासत में मिली संभल सीट

बता दें कि बर्क परिवार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी काफी करीबी माना जाता है. क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 में उनके दादा डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क़ को टिकट देकर प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन इस दौरान उनकी बीमारी के चलते मौत हो गई. जिस समय बर्क का निधन हुआ, उस समय वक्त जिया उर रहमान बर्क मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से विधायक थे और राज्‍यसभा चुनाव में वोट देने के लिए विधानसभा आए हुए थे. जैसे ही बर्क के निधन की खबर आई अखिलेश यादव जिया उर रहमान बर्क को सांत्‍वना देने खुद पहुंच गए थे, दोनों की तस्वीरें भी खूब वायरल हुईं. अखिलेश जिया उर रहमान का हाथ पकड़कर उन्‍हें ढांढस बंधाते हुए नजर आए थे.

27 फरवरी को दादा के निधन के बाद उनकी विरासत के लिए जिया उर रहमान को पिता ममलुक उर रहमान बर्क का तगड़ा कंपीटिटर माना गया. डॉ. बर्क के निधन के बाद उनके मौलाना बेटे ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से टिकट की दावेदारी पेश कर सियासी हलचल मचा दी थी, लेकिन डॉ. बर्क के समर्थक उनके पोते और तत्कालीन कुंदरकी विधायक जिया उर रहमान बर्क को उनकी राजनैतिक विरासत सौंपने की मांग कर रहे थे. 

तीजा कार्यक्रम में उलेमा ने तो उनकी ताजपोशी तक कर दी थी. 6 मार्च को अखिलेश यादव ने डॉ. बर्क के परिवार को ही उनकी राजनैतिक विरासत सौंपने की बात कही थी. इससे लोगों को विश्वास हो गया था कि पोते जिया उर रहमान को संभल लोकसभा का टिकट मिलेगा. इन सबके बीच डॉ. बर्क के बेटे ममलुकूर्रहमान बर्क की एक के बाद एक दो फेसबुक पोस्ट ने सियासी हलचल मचा दी थी. उस वक्त उन्होंने यहां तक लिख दिया था कि मेरे बारे में कुछ नहीं सोचा गया. इसके बाद जिया उर रहमान बर्क़ सपा के उम्मीदवार तो बन गए, लेकिन चर्चा में वो मुद्दा भी बहुत आया कि कैसे बीजेपी उम्मीदवार को उन्होंने लोकसभा का चुनाव में करारी शिकस्त दी. 

जिया उर रहमान ने लगाया था बीजेपी पर ये गंभीर आरोप

इसी साल फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव तक जिया उर रहमान कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक थे. उस वक्त उन्होंने आरोप लगाए थे कि बीजेपी ने उनको खरीदने की कोशिश की थी. मगर, वो बहके नहीं. उनका कहना था कि इस बात का उनके पास सबूत भी है जो कि समय आने पर दिखाएंगे कि वो अपनी कौम, देश और पार्टी के वफादार हैं. जिया उर रहमान ने ये भी कहा कि बड़े-बड़े मुख्यमंत्री और बड़े पदाधिकारी बीजेपी के सामने CBI और ED के डर से सरेंडर कर रहे हैं. मगर अखिलेश यादव बिना डरे पार्टी को संभाल रहे हैं. उन्होंने बीजेपी के सामने सरेंडर नहीं किया. बीजेपी ने कुछ विधायक तोड़े हैं. वो लोग भी इन्हीं चीजों से डरे हुए हैं और टूट गए. इस बार जिया उर रहमान बर्क़ खुद बड़े आरोपों का सामना कर रहे हैं, अब देखना होगा संभल हिंसा और घर में बिजली चोरी के आरोपों पर कैसे अपनी सफाई पेश करते हैं. 

यह भी पढ़ें: 

राहुल को संभल जाने से रोका तो दोनों नेता अड़े, फिर पुलिस ने ऐसा क्या कहा कि काफिला दिल्ली की तरफ मुड़ गया?
 

    follow google newsfollow whatsapp