Shama Mohammad: दिवाली के दिन साड़ी पहनकर वाटर कैनन का सामना करते हुए खड़ी कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद की तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो गई है. शमा पुलिस के वाटर कैनन के सामने अडिग खड़ी नजर आ रही हैं. ये सीन तब का है जब कांग्रेस कार्यकर्ता एडीएम नवीन बाबू की संदिग्ध मौत के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस द्वारा रास्ता रोकने के बावजूद, शमा ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार विरोध प्रदर्शन में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. साड़ी पहने हुए शमा ने पुलिस बैरिकेड्स पर चढ़ते हुए प्रदर्शन किया, जो कि आज की कांग्रेस की युवा और निडर छवि का सिंबल बन गई. शमा मोहम्मद राहुल गांधी की टीम का एक प्रमुख चेहरा हैं.
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क्यों कर रही थीं प्रदर्शन?
केरल के कन्नूर में जहां ADM नवीन बाबू की संदिग्ध मौत को लेकर भयंकर हंगामा मचा है. एडीएम की मौत को लेकर ही केरल कांग्रेस के कार्यकर्ता विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस ने रास्ता रोक दिया. शमा मोहम्मद की हर तरफ चर्चा हो रही है न सिर्फ स्टैंड लेने के के लिए बल्कि उनकी दिलेरी के लिए भी. साड़ी पहनकर शमा विरोध प्रदर्शन में पुलिस के सामने दीवार बनकर डटी रहीं. वाटर कैनन की तेज धार झेली, टैंकर पर चढ़कर, पुलिस बैरिकेड्स पर चढ़कर जमकर प्रदर्शन किया. पुलिस वाले भी दंग थे शमा के साहस को देखकर.
केरल में एडीएम नवीन बाबू की मौत को लेकर बहुत सवाल हैं. जवाब नहीं मिल रहे. नवीन बाबू की मौत के लिए उनके भाई प्रवीण बाबू ने कन्नूर की पूर्व जिला पंचायक्ष अध्यक्ष रहीं पीपी दिव्या के खिलाफ आरोप लगाए हैं. आरोप है कि दिव्या के उकसाने पर ही नवीन बाबू को जान देने के लिए मजबूर होना पड़ा. डीएम की भूमिका भी सवालों के घेरे में हैं. नवीन बाबू को इंसाफ दिलाने और निष्पक्ष जांच के लिए कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद कार्यकर्ताओं के साथ उतरीं सड़क पर.
केरल की कांग्रेस में महिला नेतृत्व की आवाज
शमा मोहम्मद मूल रूप से केरल के कन्नूर जिले की निवासी हैं. उन्होंने कांग्रेस पार्टी में एक मजबूत पहचान बनाई है. शमा ने 2015 में कांग्रेस ज्वॉइन की और जल्द ही पार्टी में अपने लिए खास जगह बनाई. राहुल गांधी ने उन्हें दिसंबर 2018 में पार्टी की नेशनल मीडिया पैनलिस्ट के रूप में नियुक्त किया, और 2020 में वे राष्ट्रीय प्रवक्ता बनीं. उनके अनुसार, केरल की पार्टियों में "पुरुष वर्चस्व" की मानसिकता अभी भी हावी है. इससे महिलाओं को प्रमुख भूमिका निभाने का मौका मिलना मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि यूपी और राजस्थान जैसे राज्यों में महिलाएं राजनीतिक गतिविधियों में प्रमुखता से दिखाई देती हैं, लेकिन केरल में ऐसा देखना दुर्लभ है. शमा के राजनीतिक सफर में महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा, और स्वास्थ्य के मुद्दों को प्राथमिकता मिली है और उनका संघर्ष केरल की कांग्रेस में महिला नेतृत्व की आवाज को बुलंद करता है.
समाजसेवा और पारिवारिक जीवन
शमा का जन्म कन्नूर के न्यू माहे में हुआ था, लेकिन वह अपने परिवार के साथ कुवैत चली गईं. वहां उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई. कुवैत में उन्होंने पढ़ाई के साथ भरतनाट्यम सीखा और 100 व 200 मीटर रेसिंग में गोल्ड मेडल भी जीते. बाद में, उन्होंने मैंगलौर यूनिवर्सिटी से डेंटेस्ट की डिग्री ली और दिल्ली में प्रैक्टिस शुरू की. लेकिन जल्द ही पत्रकारिता में भी उनकी रुचि बढ़ी, और उन्होंने एक न्यूज चैनल में जर्नलिस्ट के रूप में काम किया. राजनीति में आने के बाद शमा ने समाजसेवा में भी सक्रियता दिखाई. वह ज़ोया चैरिटेबल ट्रस्ट की ट्रस्टी हैं, जो वंचित वर्गों के लिए काम करती है. 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान उन्होंने राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.उनके पति स्टेफनो पेल्ले, एक बिजनेसमैन हैं जिन्हें राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. शमा और स्टेफनो के दो बच्चे हैं.
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