SEBI ने IPO के लिए नया नियम बनाया, अब कारोबारियों के लिए रास्ता हुआ और आसान
SEBI IPO rules: सेबी के सख्त रूल्स के चलते कंपनियों को IPO लाने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है पर शायद अब ऐसा न करना पड़े.
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SEBI IPO Rule changes: भारतीय शेयर बाजारों में तेजी के दौर ने ऐसी तमाम कंपनियों को भी बाजार का रुख करने को मजबूर किया है जो अभी तक बाजार से दूर थीं. जो कंपनियां लिस्टेड नहीं थीं उन्होंने फटाफट प्राइमरी मार्केट में एंट्री करने या कहिए कि IPO लाने की तैयारी कर ली. कई कंपनियों के IPOs को न सिर्फ इन्वेस्टर्स का अच्छा रेस्पॉन्स तगड़े सब्सक्रिप्शन के तौर पर मिला, बल्कि कइयों की लिस्टिंग भी इश्यू प्राइस से जबरदस्त प्रीमियम पर हुई. और इसी के चलते 2023 IPO के लिए बंपर साल बन गया. कंपनियों ने 2023 में 49,000 करोड़ रुपए की मोटी पूंजी IPO से जुटा ली.
हालांकि, सेबी के सख्त रूल्स के चलते कंपनियों को IPO लाने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. लेकिन, अब ipo लाने का मन बना रही कंपनियों को बड़ी राहत मिलने वाली है. अब मार्केट रेगुलर सेबी IPO लाने वाली कंपनियों के लिए नियमों को आसान बना सकता है. और आपको बता दें कि अगर ऐसा जल्द हुआ तो 2023 की तरह से मौजूदा 2024 भी IPO का साल बन सकता है. अब आप सोचने वाले होंगे कि आखिर ऐसा क्या होने वाला है तो चलिए आपको बताते हैं पूरा मामला.
असल में मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के एक एक्सपर्ट पैनल ने एक सुझाव किया है. एक्सपर्ट पैनल ने कहा है कंपनियों को IPO नियमों में कुछ रियायत मिलनी चाहिए. कमेटी का सुझाव है कि कंपनियों को ऑफर डॉक्युमेंट जमा कराने के बाद इश्यू साइज में बदलाव करने की इजाजत दी जानी चाहिए. साथ ही पैनल ने ये भी सिफारिश की है कि लिस्टिंग के बाद प्रमोटरों के अनिवार्य मिनिमम 20% contribution के लिए भी और ठिकाने दिए जाने चाहिए.
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कंपनियों को बड़ी रियायत देने का सुझाव
यहां एक और बड़ी रियायत कंपनियों को दिए जाने का सुझाव पैनल ने दिया है. अभी कंपनियों को IPO के लिए तीन दिन का वक्त मिलता है. अब इस अवधि में कोई बैंकिंग स्ट्राइक या ऐसी ही कोई स्थिति पैदा होने पर IPO का एक और दिन मिल सकता है.
इस एक्सपर्ट कमेटी के चेयरमैन सेबी के फॉर्मर Whole time member एस के मोहंती हैं. साथ ही इसमें फाइनेंस मिनिस्ट्री, कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री, स्टॉक एक्सचेंज और लीगल एक्सपर्ट भी शामिल हैं. कमेटी ने लिस्टिंग और डिसक्लोजर नियमों में भी कई बदलाव करने के सुझाव दिए हैं. इस पैनल का गठन पिछले बजट में किए गए ऐलान के बाद हुआ था. पिछले बजट में फाइनेंशियल रेगुलेटर्स से कहा गया था कि वे कंप्लायंस का बोझ कम करें और नियमों को आसान बनाएं.
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मौजूदा वक्त में कंपनियों को अपने पोस्ट-ऑफर इक्विटी शेयर कैपिटल का मिनिमम 20% हिस्सा MPC के तौर पर रखना होता है. इसका मकसद ये है कि प्रमोटरों की आम लोगों से पैसा जुटाने के बाद जवाबदेही बनी रहे. सेबी के पैनल ने दूसरी कई और सिफारिशें दी हैं. इनमें प्रमुख पदों को भरने की टाइम लिमिट को 3 महीने से बढ़ाकर 6 महीने किए जाने की बात है. ये ऐसे पदों के लिए होगी जिन्हें रेगुलेटरी और सरकारी एप्रूवल्स की जरूरत होती है.
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27 कंपनियों को सेबी से IPO लाने के लिए मिली हरी झंडी
कई सरकारी सेक्टर की कंपनियों और बैंक और NBFCs को इस तरह के एप्रूवल लेने पड़ते हैं. सेबी के पैनल ने बोर्ड मीटिंग्स की पहले से सूचना देने को लेकर भी नियम आसान करने के लिए कहा है. 2023 की बात करें तो ये साल IPOs के नाम रहा है. इस दौरान 173 स्मॉल और मीडियम साइज कंपनियों ने और 57 मेनबोर्ड कंपनियों के IPO बाजार में दाखिल हुए. इन 57 IPO से कंपनियों ने कुल 49,000 करोड़ रुपए जुटाए हैं. इतना ही नहीं 27 कंपनियों को सेबी से IPO लाने के लिए हरी झंडी मिल चुकी है. ये कंपनियां कुल 29,000 करोड़ रुपए जुटाने वाली हैं.
ऐसे में सेबी के एक्सपर्ट पैनल की सिफारिशें अगर मानी जाती हैं तो इससे देश के प्राइमरी मार्केट में एक बड़ा बदलाव आ सकता है. अगर ये नियम जल्द लागू होते हैं तो इससे 2024 में IPO लाने जा रही कंपनियों के लिए भी एक बड़ा सपोर्ट मिल सकता है. और इससे 2024 भी IPO का साल बन सकता है. अहम बात ये भी है कि शेयर बाजार जिस तरह से हर रोज नए रिकॉर्ड बना रहा है उसमें IPO लाने की मंशा रखने वाली कंपनियां भी बेहतर रेस्पॉन्स की उम्मीद में उत्साहित हो सकती हैं.
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