ट्रैकमैन की परेशानियों को समझने राहुल गांधी उतरे पटरियों पर, रेलवे के सिस्टम पर खड़े किए कई बड़े सवाल

News Tak Desk

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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सड़क से संसद तक अपनी वजनदार उपस्थिति दर्ज करा चुके राहुल गांधी इस बार दिल्ली छावनी पहुंचे.

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राहुल गांधी ने रेलवे कर्मचारियों के साथ तकरीबन दो घंटे से अधिक वक्त बिताया.

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इस दौरान ट्रैक पर काम करने वाले कर्मचारियों ने अपनी परेशानियों और दुख-दर्द को राहुल गांधी के साथ साझा किया.

Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों अपनी मौजूदगी देश के आम लोगों के बीच दिखाकर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. सड़क से संसद तक अपनी वजनदार उपस्थिति दर्ज करा चुके राहुल गांधी इस बार दिल्ली छावनी पहुंचे और यहां कई ट्रैकमैन के साथ पटरियों पर जाकर उनकी परेशानियों को समझने की कोशिश की.

राहुल गांधी ने ट्रैक पर काम करने वाले कर्मचारियों से ट्रैक की एक-एक बारीकी को पूछा और समझने की कोशिश की, कि आखिर कैसे वे लोग इतने भारी-भरकम लोहे के सामान को उठाकर कई किमी. तक इधर से उधर चलते हैं. ट्रैक पर काम करने के दौरान किस तरह की दिक्कतों का सामना उनको करना पड़ता है. राहुल गांधी ये जानकर हैरान हुए कि कई बार रेलवे के इन कर्मचारियों को अपनी जिंदगी को भी दांव पर लगाना पड़ता है.

राहुल गांधी ने रेलवे कर्मचारियों के साथ तकरीबन दो घंटे से अधिक वक्त बिताया और इस दौरान ट्रैक पर काम करने वाले कर्मचारियों ने अपनी परेशानियों और दुख-दर्द को राहुल गांधी के साथ साझा किया. राहुल गांधी ने बोला कि पूरा भारतीय रेलवे नेटवर्क पटरियों पर दिन-रात काम करने वाले इन कर्मचारियों की मेहनत और समर्पण पर निर्भर है लेकिन इसके बावजूद इन कर्मचारियों को उनका वाजिब हक नहीं मिल रहा है.

राहुल गांधी ने पोस्ट के जरिए रखीं ट्रैकमैन की समस्याएं

राहुल गांंधी ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा कि 'रेलवे को गतिशील और सुरक्षित बनाए रखने वाले ट्रैकमैन भाइयों के लिए सिस्टम में ‘न कोई प्रमोशन है, न ही इमोशन’. भारतीय रेल कर्मचारियों में ट्रैकमैन सबसे ज्यादा उपेक्षित हैं, उनसे मिल कर उनकी समस्याओं और चुनौतियों को समझने का मौका मिला'.

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राहुल गांधी आगे लिखते हैं कि 'ट्रैकमैन 35 किलो औजार उठाकर रोज 8-10 कि.मी. पैदल चलते हैं. उनकी नौकरी ट्रैक पर ही शुरू होती है और वो ट्रैक से ही रिटायर हो जाते हैं. जिस विभागीय परीक्षा को पास कर दूसरे कर्मचारी बेहतर पदों पर जाते हैं, उस परीक्षा में ट्रैकमैन को बैठने भी नहीं दिया जाता है. ट्रैकमैन भाइयों ने बताया कि हर साल करीब 550 ट्रैकमैन काम के दौरान दुर्घटना का शिकार होकर जान गंवा देते हैं, क्योंकि उनकी सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं'.

इन मांगों को हर हाल में सुना जाना चाहिए- राहुल गांधी

राहुल गांधी ने आगे बताया कि विपरीत परिस्थितियों में बिना बुनियादी सुविधाओं के दिन-रात कड़ी मेहनत करने वाले ट्रैकमैन भाइयों की इन प्रमुख मांगों को हर हाल में सुना जाना चाहिए.

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1. काम के दौरान हर ट्रैकमैन को ‘रक्षक यंत्र’ मिले, जिससे ट्रैक पर ट्रेन आने की सूचना उन्हें समय से मिल सके.

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2. ट्रैकमैन को विभागीय परीक्षा (LDCE)के जरिए तरक्की का अवसर मिले. ट्रैकमैन की तपस्या से ही करोड़ों देशवासियों की सुरक्षित रेल यात्रा पूरी होती है, हमें उनकी सुरक्षा और तरक्की दोनो सुनिश्चित करनी ही होगी.

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