PM मोदी बनेंगे शांतिदूत? पुतिन के जवाब से बढ़ा है भारत का कद, जंग को खत्म कराने मिले सकारात्मक संकेत

News Tak Desk

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Russia-Ukraine war
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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ढाई साल से चल रही रूस-यूक्रेन युद्ध में काफी तबाही मच चुकी है.

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लेकिन अब रूस और यूक्रेन किसी अच्छे मध्यस्थ देश की मौजूदगी में शांति की ओर बढ़ने के संकेत दे रहे हैं.

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रूस और यूक्रेन दोनों का ही भरोसा भारत पर है और भारत इस दिशा में लगातार काम कर रहा है.

Russia-Ukraine war: ढाई साल से चल रही रूस-यूक्रेन युद्ध में काफी तबाही मच चुकी है. ऐसे में इस क्षेत्र में शांति बहाली के लिए दुनिया के कुछ बड़े नेता लगातार कोशिशें कर रहे हैं. इनमें सबसे बड़ा नाम है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का. पीएम मोदी ने पहले रूस और फिर यूक्रेन का दौरा कर शांति बहाली की गंभीर कोशिशें की हैं. जिसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आते नजर आ रहे हैं.

रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने अपने एक इंटरव्यू में बोला है कि भारत, ब्राजील और चीन रूस-यूक्रेन के बीच शांति बहाली के लिए गंभीर कोशिशें कर रहे हैं. पुतिन ने अपने इंटरव्यू में भारत की खूब सराहना की है. पुतिन ने भारत के साथ रूस के रिश्तों को विश्वास और गहरे भरोसे का रिश्ता बताया है. पीएम नरेंद्र मोदी को पुतिन ने कुछ समय पहले रूस दौरे के दौरान सर्वाेच्च सम्मान से भी नवाजा था.

रूस के दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के दौरे पर भी गए थे और वहां यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की को भरोसा दिलाया था कि भारत शांति प्रयासों के लिए अपना पूर्ण योगदान देने को तैयार है. पीएम मोदी ने जेलेंस्की के सामने यह भी कहा कि उन्होंने रूस दौरे के दौरान मीडिया के सामने रूसी राष्ट्रपति पुतिन की आंख में आंख में डालकर कहा कि यह युद्ध का दौर नहीं है और जल्द से जल्द सभी पक्षों को शांति बहाली की ओर बढ़ना चाहिए.

कुल मिलाकर जेलेंस्की और पुतिन दोनों ने ही अपने-अपने बयानों में भारत की तारीफ करते हुए कहा है कि भारत के शांति के लिए सभी प्रयास गंभीर हैं और भारत ही इस पूरे सीन में ऐसा देश है, जिसके अमेरिका के साथ भी अच्छे संबंध हैं और रूस के साथ भी. जिसकी वजह से भारत रूस-यूक्रेन वॉर में एक गंभीर मध्यस्थ की भूमिका अच्छे से निभा सकता है.

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पुतिन अब यूक्रेन से बातचीत को तैयार, यदि मध्यस्थ हो भारत

रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने कहा है कि वे अब अब यूक्रेन से बात करने को तैयार हैं. वे यह भी कह रहे हैं कि इस बातचीत में भारत मध्यस्थता कर सकता है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की तो भारत की भूमि पर शांति वार्ता करने का सुझाव भी रख चुके हैं. कुल मिलाकर रूस हों या यूक्रेन दोनों ही पक्ष चाहते हैं कि शांति वार्ता के लिए यदि भारत एक मध्यस्थ की भूमिका निभाता है तो भारत की मौजूदगी में इस शांति वार्ता को दोनों ही देश ठीक से अंजाम दे सकते हैं. रूस और यूक्रेन का यह रुख साबित करता है कि भारत का विश्व पटल पर कद और विश्वनीयता लगातार बढ़ती जा रही है.

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