कांग्रेस ने जीता लिये इतने सांसद की संसद के इस पद के हुई काबिल, क्या राहुल गांधी बनेंगे नेता विपक्ष?

रूपक प्रियदर्शी

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Rahul Gandhi: 10 साल से कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन 54 सांसद नहीं होने से विपक्ष का नेता नहीं मिला. इस बार ये संकट नहीं है. कांग्रेस के पास 99 सांसद हैं. उसे विपक्ष के नेता का पद मिलना ही है. सवाल ये है कि विपक्ष का नेता कौन होगा? वैसे कांग्रेस राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए पुश कर रही थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इंडिया गठबंधन के साथ कांग्रेस को विपक्ष में बैठना है. कांग्रेस के अंदर से ये आवाज तेज हो गई है कि राहुल गांधी को विपक्ष का नेता पद संभालना चाहिए. शशि थरूर, मणिक्कम टैगोर समेत कई सांसदों ने ये मांग उठाई है. 

राहुल बनेंगे विपक्ष के नेता?

कांग्रेस के साथ-साथ इंडिया का चेहरा राहुल गांधी ही थे. विपक्ष के नेता वाला मामला कांग्रेस के कोटे का है. इंडिया गठबंधन में शायद ही कोई होगा जो राहुल के नाम का अब विरोध करेगा. वैसे राहुल गांधी विपक्ष के नेता होंगे या नहीं, इसका फैसला भी सबसे पहले गांधी परिवार करेगा. फिर कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में प्रस्ताव, अनुमोदन वाली प्रक्रिया होगी. 

राहुल गांधी पर विपक्ष का नेता बनने का प्रेशर इसलिए भी है कि वही हैं जो संसद के अंदर और संसद के बाहर मोदी का मुकाबला करते रहे. 2014 और 2019 में राहुल गांधी संसद रहे लेकिन वो कांग्रेस संसदीय दल या लोकसभा में कांग्रेस के नेता नहीं थे. अधीर रंजन लोकसभा में कांग्रेस सांसदों के नेता थे. उनकी लीडरशिप में सोनिया, राहुल गांधी लोकसभा में होते थे. हालांकि इसकी आलोचना भी होती रही कि राहुल गांधी ने विपक्ष की बेंच से मोदी को टक्कर देने वाली जिम्मेदारी से कन्नी काट ली. 

लोकसभा में विपक्ष के नेता की सीट निर्धारित होती है. स्पीकर के बाई ओर विपक्ष वाली बेंच की पहली सीट छोड़कर विपक्ष के नेता बैठते हैं. पहली सीट डिप्टी स्पीकर के होती है. विपक्ष के नेता की बेंच प्रधानमंत्री की बेंच के बिलकुल सामने होती है. संसद चलाने से जुड़े मामलों को लेकर सरकार और लोकसभा स्पीकर विपक्ष के नेता से संपर्क में रहते हैं. 

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विपक्ष के नेता को मिलती हैं ये पावर

विपक्ष का नेता संवैधानिक पद है जिसे कैबिनेट मंत्री की रैंक मिलती है. हर महीने 3 लाख 30 हजार सैलरी मिलती है. कैबिनेट मंत्री लेवल का सरकारी घर, गाड़ी, सिक्योरिटी के साथ 14 स्टाफ मिलते हैं. कई सरकारी मामलों, ईडी डायरेक्टर, सीबीआई डायरेक्टर, चुनाव आयुक्त जैसे कई बड़े पदों पर होने वाली नियुक्तियों में विपक्ष के नेता की सहमति-असहमति जरूरी होती है. कई मामलों में प्रधानमंत्री के साथ विपक्ष के नेता का होना जरूरी होता है. राहुल गांधी अगर विपक्ष का नेता बनते हैं तो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठकें करनी होगी. विचार-विमर्श करना होगा. 

अधीर की जगह किसपर भरोसा जताएगी कांग्रेस?

विपक्ष का नेता नहीं होने के कारण सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता की हैसियत से 2014 से 2019 तक मल्लिकार्जुन खरगे को ये सब करना पड़ता था. 2019 से अधीर रंजन ने ये जिम्मा संभाला. अधीर रंजन चौधरी अपना चुनाव बेहरामपुर से हारकर लोकसभा से बाहर हो चुके हैं. कांग्रेस को पहले अधीर रंजन का विकल्प यानी लोकसभा में कांग्रेस का नेता ढूंढना है. वही विपक्ष का नेता भी होगा. 

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राहुल गांधी विपक्ष का नेता बनने से मना कर दें, इसके विकल्प बहुत सीमित हैं. सोनिया गांधी लोकसभा से राज्यसभा जा चुकी हैं. मल्लिकार्जुन खरगे पहले से राज्यसभा में हैं और कांग्रेस के नंबर के हिसाब विपक्ष के नेता का दर्जा पाए हुए हैं. पिछली लोकसभा वाले नेता अधीर रंजन लोकसभा में लौटकर आए ही नहीं. 

विपक्ष का नेता पद के लिए नियम को लेकर संविधान विशेषज्ञों की राय अलग-अलग रही है. लोकप्रिय नियम ये है कि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के पास 10 परसेंट सांसद हों. मतलब कम से कम 54 सांसदों वाली पार्टी का नेता ही विपक्ष का नेता हो सकता है. 2019 में कांग्रेस को सिर्फ 2 सांसद कम होने से और 2014 में 10 सांसद कम होने से विपक्ष के नेता का पद नहीं मिला था. ऐसी भी राय रही है कि नंबर जरूरी नहीं. विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी का नेता होना जरूरी है. इसी सब चक्कर के बीच बीजेपी ने कभी नहीं चाहा कि कांग्रेस के पास विपक्ष के नेता का पद जाए. स्पीकर ने भी किसी को नेता बनाया नहीं. इससे 10 साल से लोकसभा विपक्ष के नेता के बिना चली. इस बार नंबर गेम बदलने से विपक्ष का नेता नियुक्त बनना तय है.
 

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