डॉ. स्वामीनाथन: बंगाल के अकाल को देख खाई देश से भुखमरी दूर करने की कसम और भर दिए अनाज के भंडार
एमएस स्वामीनाथन ने प्रतिष्ठित भारतीय पुलिस सेवा(IPS) की नौकरी को छोड़ कृषि में रिसर्च करने को अपना भविष्य चुना और देश के लिए अनेकों कीर्तिमान किए.
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Dr. Swaminathan: आज देश की तीन हस्तियों को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट करते हुए सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी. भारत रत्न पाने वालों में से दो शख्स देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव है. वहीं तीसरा नाम इन सबसे अलग एक कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का है. वही डॉ. स्वामीनाथन जिन्हें भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है.
पीएम मोदी ने डॉ. स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर लिखा, ‘यह बेहद खुशी की बात है कि, भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है. उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए. हम उन्हें एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम के लिए पहचानते हैं. डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की. वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था.’
It is a matter of immense joy that the Government of India is conferring the Bharat Ratna on Dr. MS Swaminathan Ji, in recognition of his monumental contributions to our nation in agriculture and farmers’ welfare. He played a pivotal role in helping India achieve self-reliance in… pic.twitter.com/OyxFxPeQjZ
— Narendra Modi (@narendramodi) February 9, 2024
कौन है डॉ.एमएस स्वामीनाथन और क्या है उनका योगदान?
मनकोम्बु संबासिवन स्वामिनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुम्भकोणम में हुआ था. वो भारत के आनुवांशिक-विज्ञानी (प्राणी वैज्ञानिक) थे जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है. उन्होंने 1966 में मैक्सिको के गेहूं के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए. जिससे भारत में गेहूं की फसल की उत्पादकता में रिकार्ड वृद्धि हुई. बाद में उन्होंने ऐसे ही प्रयोग धान के बीजों के साथ किया जो भी सफल रहा. आज देश में अनाज की जो प्रचुर उपलब्धता है उसका श्रेय डॉ.स्वामीनाथन को ही जाता है.
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डॉ.स्वामीनाथन ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में बंगाल में आए अकाल को बहुत करीब से देखा था जिसमें लाखों लोगों को भुखमरी से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. तभी से उनका उद्देश्य भारत को भूखमरी यानी अनाज की कमी से निजात दिलाने की कसम खाई थी. उनके इरादे इतने पक्के थे कि, उन्होंने प्रतिष्ठित भारतीय पुलिस सेवा(IPS) की नौकरी को छोड़ कृषि में रिसर्च करने को अपना भविष्य चुना और देश के लिए अनेकों कीर्तिमान किए.
कृषि और सामाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए मिल चुके है ये अवॉर्ड
डॉ.स्वामीनाथन को कृषि और प्राणी विज्ञान के क्षेत्र में उनके काम के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके है. उन्हें साल 1967 में पद्मश्री, 1972 में पद्मभूषण, 1989 में पद्मविभूषण, 1971 में एशिया का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड रेमन मैगसेसे पुरस्कार और 1987 विश्व खाद्य पुरस्कार मिलें है.
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वैसे आपको बता दें कि, एमएस स्वामीनाथन का पिछले साल यानी 2023 में 28 सितंबर को 98 साल की आयु में निधन हो गया.
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