जयपुर हादसे में 14 की हुई मौत, 30 लोग अब भी ICU में लड़ रहे जिंदगी और मौत की जंग
Jaipur LPG Tanker Blast: जयपुर-अजमेर हाईवे पर भांकरोटा में 20 दिसंबर को सुबह छह बजे एक एलपीजी टैंकर में विस्फोट हो गया. विस्फोट इतना भीषण था कि आग ने आसपास के क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया. कई वाहन और पास की दुकानें जलकर खाक हो गईं. इस दुर्घटना में कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए.
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Jaipur Accident: जयपुर के भांकरोटा क्षेत्र में हुए एलपीजी टैंकर ब्लास्ट की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है. इस दर्दनाक हादसे में अब तक 14 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, 30 से अधिक लोग अब भी आईसीयू में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिनमें से 9 वेंटिलेटर पर हैं. कई पीड़ितों की हालत गंभीर है, और उनकी पहचान अब तक नहीं हो पाई है. यह हादसा एक बड़े प्रशासनिक और सुरक्षा चूक की ओर इशारा करता है.
जयपुर-अजमेर हाईवे पर भांकरोटा में 20 दिसंबर को सुबह छह बजे एक एलपीजी टैंकर में विस्फोट हो गया. विस्फोट इतना भीषण था कि आग ने आसपास के क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया. कई वाहन और पास की दुकानें जलकर खाक हो गईं. इस दुर्घटना में कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए. पीड़ितों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है.
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में क्या मिला?
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने इस घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हादसे का कारण हाईवे पर बनाया गया एक कट है, जिसे खोलने के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) और ट्रैफिक पुलिस की संयुक्त सहमति ली गई थी. यह कट जयपुर-अजमेर हाईवे पर रिंग रोड से हैवी ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए खोला गया था.
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NHAI के परियोजना निदेशक अजय आर्य ने बताया कि कट 30 मीटर चौड़ा है, लेकिन बड़े वाहनों के लिए यह पर्याप्त नहीं है. जब बड़े वाहन टर्न लेते हैं, तो रोड की चौड़ाई कम पड़ जाती है. इसे देखते हुए कट के दोनों ओर सड़क को 6 लेन से बढ़ाकर 10 लेन करने का फैसला लिया गया है.
घटना से सबक लेते हुए NHAI ने कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षा उपायों का सुझाव दिया है
घटना स्थल पर 24 घंटे पुलिस की तैनाती सुनिश्चित की जाए.
भारी वाहनों को सुरक्षित मार्गदर्शन देने के लिए एस्कॉर्ट सिस्टम लागू किया जाए.
कट के पास ट्रैफिक को सुचारू बनाने के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाई जाए.
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रिपोर्ट के अनुसार, रिंग रोड पर क्लोवर लीफ (कनेक्टिंग फ्लाईओवर) न होने के कारण इस कट का उपयोग किया जा रहा है. यह कट अजमेर से जयपुर आने वाले ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए खोला गया है. इस हादसे के बाद जेडीए और ट्रैफिक पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. स्थानीय प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस की संयुक्त कमेटी की मंजूरी के बाद ही यह कट खोला गया था. हालांकि, कट खोलने के बाद वहां ट्रैफिक प्रबंधन और सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए.
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देखिए ये खास वीडियो रिपोर्ट...
पीड़ितों की स्थिति और राहत कार्य
अस्पतालों में भर्ती 30 से अधिक झुलसे लोगों का इलाज जारी है. इनमें से 9 वेंटिलेटर पर हैं. प्रशासन और अस्पताल स्टाफ लगातार घायलों की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. हादसे में झुलसे कई लोगों की पहचान नहीं हो सकी है, जिससे उनके परिवारों में चिंता और बढ़ गई है. यह हादसा हाईवे सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन की खामियों को उजागर करता है. प्रशासन को इस घटना से सबक लेते हुए सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोका जा सके. पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग भी जोर पकड़ रही है.
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