तुर्की के दुश्मन से भारत की दोस्ती, ग्रीस के बंदरगाहों से व्यापार करेगा भारत

सांची त्यागी

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India-Greece Ties: आज भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में ऐसे ही नहीं गिना जाता. अपनी सख्त नीतियों के कारण आज भारत कड़े फैसले ले रहा है. भारत की पहुंच केवल पड़ोस और रूस अमेरिका तक सीमित नहीं है. भारत की पहुंच असीमित हो चुकी है. इसके तहत भारत मिडिल इस्ट से लेकर लेटिन अमेरिका, ग्लोबल साऊथ हर छोटे देश तक पहुंच चुका है.

इसमें एक देश ग्रीस भी है. पिछले साल प्रधामंत्री मोदी ग्रीस गए थे तो. और वहां से जो लाए और दे कर आए वो पाकिस्तान के दोस्त औऱ कश्मीर पर गलत बयानबाजी करने वाला तुर्की को पसंद नहीं आई. ग्रीक मीडिया आउटलेट ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट की मुताबिक, अनुमान बताते हैं कि 2030 तक, भारत अमेरिका और चीन के बाद, जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है.

ग्रीस के बंदरगाह पर भारत की नजर

भारत अपनी व्यापारिक पहुंच पर काम कर रहा है. इसके लिए भारत आर्थिक गलियारों पर जोर दे रहा है.  जो चीन की "बेल्ट एंड रोड पहल" के जैसी होनी चाहिए. इस योजना के तहत भारत अपने साझेदारों से बात कर रहा है. साथ ही भारत-मिडिल इस्ट-यूरोप इकॉनोमिक कोरिडॉर पर काम भी कर रहा है. ऐसे में ग्रीस का भारत को पोर्ट मिले तो ये और आसान हो जाएगा. इसके लिए भारत ग्रीस से संपर्क में है.

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यूरोप तक व्यापारिक मार्ग बनाने की तैयारी

भारत ने भूमि और समुद्र से उत्पादों के परिवहन के लिए एक गलियारे की परिकल्पना की है जो मध्य पूर्व और फिर भूमध्य सागर के माध्यम से मध्य और उत्तरी यूरोप तक पहुंचेगा. इस मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव ग्रीस हो सकता है, और भारत इसके लिए ग्रीस के तीन महत्वपूर्ण बंदरगाहों पर नजर टीकाएं हुए है. इसमें लावरियो का बंदरगाह, अलेक्जेंड्रोपोलिस और पेट्रास का बंदरगाह शामिल हैं.

ग्रीस सरकार से भारत कर रहा संपर्क

हेलेनिक रिपब्लिक एसेट डेवलपमेंट फंड (TAIPED) तीन निविदाओं की तैयारी कर रहा है और निवेशकों को आकर्षित कर रहा है. iEidiseis के अनुसार, प्रधान मंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस के नेतृत्व में भारत में व्यापार मिशन के दौरान विचाराधीन बंदरगाह भी भारतीयों को प्रस्तुत किए गए थे.

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हांलाकि पिछली निविदा प्रक्रिया यूक्रेन में युद्ध के कारण निरस्त कर दी गई थी, जो लगभग फाइनल होने वाली थई. हांलाकि देर अभी भी नहीं हुई है. रूसी आक्रमण के बाद, यूनानी सरकार- और पश्चिमी सहयोगियों की सिफारिशों के तहत - इसकी बिक्री के लिए सभी मापदंडों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहती थी.

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अंत में, पेट्रास का बंदरगाह टीएआईपीईडी द्वारा शोषण के लिए तैयार किया जाने वाला अगला बंदरगाह है, जो वर्तमान में निवेशकों को आकर्षित करने की प्रक्रिया की योजना बना रहा है.

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