शिवाजी मूर्ति मामले को लेकर घिरी BJP को नितिन गडकरी ने बताया कैसे गिरने से बच जाती प्रतिमा!

रूपक प्रियदर्शी

04 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 4 2024 3:40 PM)

शिवाजी प्रतिमा गिरने पर गडकरी का बड़ा बयान: "स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल होता तो मूर्ति नहीं गिरती"

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Shivaji Statue Row: मोदी सरकार में सबसे हिट और सफल माने जाने वाले मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं. उनके कार्यकाल की सफलता का रेट इतना ऊंचा है कि पिछले 10 सालों में उन्होंने तीसरी बार सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय का कार्यभार संभाला हुआ है. गडकरी को अच्छी सड़कों का जाल बिछाने, सरकारी खर्चों में कटौती और टिकाऊ निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए खूब सराहा जाता है. यहां तक कि विपक्ष भी गडकरी पर सवाल नहीं उठाता, फिर भी पार्टी और सरकार में उन्हें अक्सर किनारे पर समझा जाता है.

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'स्टेनलेस स्टील से बनती मुर्ति तो नहीं गिरती'

मंगलवार को नितिन गडकरी उद्योगपतियों की संस्था फिक्की (FICCI) के एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे. वे स्टेनलेस स्टील से पुल और सड़कों के निर्माण के फायदे बता रहे थे. इसी दौरान उन्होंने महाराष्ट्र में होने वाले आगामी चुनावों से पहले बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन चुके शिवाजी प्रतिमा विवाद पर टिप्पणी की. गडकरी ने कहा कि अगर छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा बनाने में स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल होता, तो वह कभी नहीं गिरती.

मुर्ति विवाद में घिरी बीजेपी!

यह बयान उस प्रतिमा के संदर्भ में था जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की श्रद्धा में बनवाई थी. 35 फीट ऊंची यह प्रतिमा समंदर किनारे स्थापित की गई थी और 4 दिसंबर को इसका अनावरण हुआ था. लेकिन, 26 अगस्त को, महज 8 महीनों में, यह प्रतिमा गिरकर चूर-चूर हो गई. इस घटना ने बीजेपी के लिए शिवाजी के अपमान का मुद्दा खड़ा कर दिया. पार्टी के लिए यह घटना एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन गई है, और इससे उबरने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

स्टील का हुआ उपयोग

गडकरी का बयान ऐसे समय पर आया है जब इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने बीजेपी पर तीखे हमले किए हैं.अब तक की रिपोर्टिंग के अनुसार, शिवाजी की मूर्ति बनाने में स्टील का भी इस्तेमाल हुआ था, फिर भी यह गिर गई. महाराष्ट्र के PWD की जांच रिपोर्ट में बताया गया कि नट-बोल्ट में जंग लगने के कारण मूर्ति गिरी. इस मूर्ति के निर्माण में महाराष्ट्र सरकार, नौसेना, प्राइवेट डिजाइनर और कंसल्टेंट शामिल थे. दावा किया जा रहा है कि 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा के कारण मूर्ति गिर गई.

शिवाजी की प्रतिमा गिरने के बाद इसे लेकर करप्शन और लापरवाही के आरोप भी लगे हैं. मिट्टी के मॉडल पर अप्रूवल लिया गया था, लेकिन मूर्ति 6 फीट की बजाय 35 फीट की बनाई गई. इस पूरी प्रक्रिया में अप्रूवल देने वाले भी अलग-अलग लोग थे. अब गडकरी का यह बयान बीजेपी के लिए इस मामले को सुलझाने में एक नया मोड़ ला सकता है.

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