महाराष्ट्र: किरीट सोमैया ने क्यों ठुकरा दी कैंपेन कमेटी की जिम्मेदारी, BJP आलाकमान से है खटपट या कोई और वजह?

रूपक प्रियदर्शी

12 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 12 2024 7:35 AM)

किरीट सोमैया को महाराष्ट्र चुनाव में कैंपेन कमेटी का सदस्य बनाया गया था, जिसे इन्होंने ठुकरा दिया. समिति में नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, देवेंद्र फडणवीस को भी रखा गया है. कमेटी का हेड रावसाहेब दानवे बनाए गए हैं.

फाइल फोटो: किरीट सोमैया के सोशल मीडिया X से.

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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सोमैया ने चिट्‌ठी लिखकर इस जिम्मेदारी को लेने से इनकार कर दिया.

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सोमैया ने ये भी सवाल उठाया कि बिना मेरे मंजूरी के मेरे नाम का ऐलान क्यों?

चुनाव (maharashtra assembly election 2024) आने पर किसी भी नेता की पहली ललक होती है कि चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिल जाए. जिनको चुनाव नहीं लड़ना होता है या जिनको टिकट नहीं मिलता उनका इस्तेमाल चुनाव लड़ाने के इंतजाम देखने के लिए होता है. किरीट सोमैया दूसरी कैटेगरी (kirit somaiya) वाले नेता हैं जिनको न तो चुनाव लड़ना है, न पार्टी ने लड़ाया. महाराष्ट्र में विधानसभा आए तो किरीट सोमैया को काम पर लगाया. बस यहीं हो गया कांड. अमित शाह ने कभी किरीट सोमैया के साथ खेल किया. अब खेल कर किरीट सोमैया ने बदला ले लिया. 

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बीजेपी और अमित शाह हक्के-बक्के हैं. लोकसभा चुनाव के बाद मन मुताबिक नहीं होने पर अब कोई चुप नहीं रहता.  
अनुशासित पार्टी में अनुशासनहीनता के मामले आ रहे हैं, लेकिन पार्टी कोई एक्शन लेने से बच रही है. जम्मू कश्मीर में चुनाव का टिकट बंटा तो बगावत हो गई. हरियाणा में टिकट कटने पर 20 बड़े नेताओं ने मोर्चा खाल दिया. अब किरीट सोमैया जैसे सीनियर नेता की इलेक्शन ड्यूटी लगी तो उन्होंने इसे करने से साफ मना कर दिया. 

चुनाव आने पर हर पार्टी में इलेक्शन कैंपेन कमेटी बनाई जाती है. चुनाव के समय सबसे ज्यादा एक्टिव रोल वाली कमेटी होती है जिसे चुनावी तैयारी का सबसे बड़ा जिम्मा होता है. किरीट सोमैया को बीजेपी हाईकमान ने इसी रोल के लिए चुना. कैंपेन कमेटी के हेड रावसाहेब दानवे बनाए गए. किरीट सोमैया को समिति का सदस्य बनाया. समिति में नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, देवेंद्र फडणवीस को भी रखा गया है. ये नियुक्ति हाईकमान मतलब अमित शाह के इशारे पर हुई होगी, लेकिन किरीट ने बेपर्दा कर दी महाराष्ट्र बीजेपी की कलह.

मुझसे पूछे बिना मेरे नाम का ऐलान क्यों- सोमैया

किरीट सोमैया ने प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और अभियान समिति के प्रमुख रावसाहेब दानवे को चिट्ठी लिखकर कह दिया कि वो ये काम नहीं करेंगे. किसी और को रख लीजिए. पार्टी के लिए सदैव समर्पित रहने वाले एक कार्यकर्ता ने हाईकमान को उलाहना दे दिया कि मेरी मंजूरी के बिना मेरे नाम का ऐलान किया कैसे. कृपया भविष्य में इस प्रकार का अपमानजनक व्यवहार न करें. पार्टी को उम्मीद नहीं था कि किरीट ऐसा कुछ करेंगे. बावनकुले ने कह दिया कि 
बीजेपी में जिम्मेदारियां सौंपने का नियम है, पूछने का नहीं. 

5 साल पहले सोमैया के साथ क्या हुआ था?

किरीट सोमैया का एक बार अपमान भी हो चुका था इसलिए उन्होंने निवेदन किया कि भविष्य में अपमानजनक व्यवहार न करें. 
अपमान का किस्सा 5 साल पुराना है. तब बीजेपी और शिवसेना की खूब पटती थी. बीजेपी और उद्धव ठाकरे एक होते थे. 
बीजेपी ने सोमैया को Anti-Corruption Scam Expose Committee का National convener बनाया था. उसी काम में शामिल था ठाकरे परिवार के करप्शन को भी उजागर करना. किरीट सोमैया की यही खुरपेची राजनीति उद्धव ठाकरे को पसंद नहीं आ रही थी. 

सोमैया के चलते ठाकरे ने PC में आने से किया इनकार

फरवरी 2019 में जब मुंबई में बीजेपी और उद्धव ठाकरे की प्रेस कॉन्फ्रेंस होनी थी. तब किरीट सोमैया भी मौजूद थे. उद्धव ठाकरे ने शर्त लगा दी कि पीसी में किरीट सोमैया रहेंगे तो मैं नहीं आऊंगा. ऐसा कहकर उद्धव ठाकरे ने बीजेपी नेताओं से ही किरीट सोमैया को प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल से बाहर करा दिया. किरीट बाहर चले गए वो भी अपमान का घूंट पीकर. उस घटना के बाद से किरीट सोमैया पार्टी में लगातार साइड लाइन रहे. बीजेपी ने 5 साल बाद याद किया तो किरीट को वही अपमान याद आ गया. उन्होंने अमित शाह का दिया काम भी ठुकरा दिया. 

किरीट की चर्चा पॉलिटिक्स से ज्यादा पॉलिटिकल इन्वेस्टिगेशन के लिए होती रही है. घपले-घोटाले करने वाले बड़े-बड़े घबराते हैं. किरीट चिटफंड स्कीम से ठगे गए लोगों के हितों की लड़ाई लड़ते हैं. बड़े-बड़े नेताओं के करप्शन की कुंडली रेडी रखते हैं. कभी इसकी परवाह नहीं करते कि पार्टी पोलखोल से नाराज होगी या नहीं. करप्शन के आरोपों से घिरे एनसीपी, शिवसेना, नारायण राणे जैसे नेता बीजेपी से जुड़े तो किरीट सोमैया हाईकमान के फैसलों के खिलाफ आवाज उठाने से नहीं चूके. हालांकि उन पर भी करप्शन के आरोप लगे. 

संसद में ये रिकॉर्ड है सोमैया के नाम

किरीट सोमैया बीजेपी के उन पुराने नेताओं में से हैं, जब पार्टी खास कुछ नहीं थी तब से किरीट सोमैया पार्टी की दरी बिछाने से लेकर झंडा उठाए हुए हैं. मुंबई के किरीट सोमैया ने राजनीति में एंट्री बिहार में जेपी आंदोलन से की थी. जेपी आंदोलन से होते हुए बीजेपी में आए. 1995 में पहली बार मुंबई की मुलुंड सीट से विधानसभा चुनाव जीते. 1999 में मुंबई की नॉर्थ ईस्ट सीट से कांग्रेस के दिग्गज गुरदास कामत को चुनाव में हराकर लोकसभा पहुंचे. तब वाजपेयी की एनडीए सरकार का शासन थे. किरीट संसद में इतने एक्टिव रहे कि उन्होंने सबसे ज्यादा 832 सवाल पूछने वाले सांसद का रिकॉर्ड बना दिया. 

बीजेपी का कार्यकर्ता हूं, कार्यकर्ता ही रहूंगा- सोमैया

शुरू-शुरू में मोदी-शाह वाली बीजेपी में किरीट सोमैया की कद्र थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट मिला. चुनाव जीते भी लेकिन इससे आगे कुछ और हुआ नहीं. 2019 आते-आते ऐसी नौबत हो गई कि सीटिंग सांसद होने के बाद भी टिकट कट गया. विधानसभा चुनाव भी लड़ने को नहीं मिला. 2019 से किरीट महाराष्ट्र बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं, लेकिन पार्टी में नेता के तौर पर नहीं, सिर्फ कार्यकर्ता बनकर. अब रोल मिला भी तो उन्होंने खुद ठुकरा दिया. कह रहे हैं बीजेपी कार्यकर्ता हूं और कार्यकर्ता ही रहूंगा.

सेक्स वीडिया कंट्रोवर्सी में भी फंसे?

पिछले साल किरीट सोमैया एक बड़ी कंट्रोवर्सी में फंसे. एक मराठी चैनल ने ऐसा सेक्स वीडियो दिखाया जिसमें दावा किया कि किरीट सोमैया किसी महिला के साथ आपत्तिजनक हालत में दिखे. किरीट ने कहा कि चूंकि मैं करप्शन के मामले उठाता हूं इसलिए फंसाने की साजिश की गई है. तब महाराष्ट्र की शिंदे-बीजेपी सरकार ने किरीट के बचाव में एक्शन लिया था.

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