CPI (M) नेता सीताराम येचुरी नहीं लगा पाए अपने नाम के आगे 'डॉक्टर', 12वीं में थे ऑल इंडिया टॉपर

बृजेश उपाध्याय

12 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 12 2024 6:47 PM)

sitaram yechury passed away : भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का 12 सितंबर को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. येचुरी पढ़ने लिखने में तेज तर्रार थे पर चाहते हुए भी अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लगवा पाए.

तस्वीर: इंडिया टुडे.

तस्वीर: इंडिया टुडे.

follow google news

न्यूज़ हाइलाइट्स

point

निमोनिया की शिकायत के कारण AIIMS में भर्ती थे येचुरी.

point

परिवार ने उनकी बॉडी को टीचिंग और रिसर्च के लिए AIIMS को डोनेट कर दी है.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का 12 सितंबर को दिल्ली के एम्स में निधन (Sitaram Yechury Death) हो गया. येचुरी पढ़ने लिखने में तेज तर्रार थे पर चाहते हुए भी अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लगवा पाए. भारतीय राजनीति में वामपंथ के स्तंभ, हंसमुख और मिलनसार सीताराम येचुरी ने 22 अगस्त को अस्पताल में रहते हुए पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा- 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझे एम्स से ही बुद्धो दा के प्रति भावनाएं प्रकट करना और लाल सलाम कहना पड़ रहा है.'

यह भी पढ़ें...

सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में हुआ था. इनके पिता का नाम सर्वेश्वर सोमायजुला येचुरी और माता का नाम कल्पकम येचुरी है. इनके पिता सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर और मां सरकारी अधिकारी थीं. इन्होंने हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाई स्कूल में दसवीं की पढ़ाई की. इनका अधिकांश बचपन हैदराबाद में ही बीता. वर्ष 1969 के तेलंगाना आंदोलन के दौरान येचुरी दिल्ली आए और यहां प्रेसिडेंट एस्टेट स्कूल में 12वीं में एडमिशन लिया.

येचुरी ने CBSE बोर्ड से 12वीं की परीक्षा में ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक लेकर आए. इसके बाद दिल्ली के ही सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स से ऑनर्स किया. इसके बाद इकोनॉमिक्स से पीजी करने के लिए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) आए. यहां पीजी के बाद पीएचडी में एडमिशन मिला.

पूरी नहीं हो पाई पीएचडी

जेएनयू में रहने के दौरान वर्ष 1974 में दौरान सीताराम येचुरी स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से जुड़ गए और राजनैतिक गतिविधियों में रुचि लेने लगे. इसके बाद जेएनयू में ही वे तीन बार छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए. कहा जाता है कि येचुरी ने जेएनयू में वामपंथ को धार दिया. पीएचडी करने के दौरान ही इमर्जेंसी में वे जेल गए. जेल से आए और राजनीति में कूद पड़े. इनकी पीएचडी अधूरी रह गई और नाम के आगे डॉक्टर लगाने का इनका सपना अधूरा रह गया. 

राजनीति में यूं बढ़ाते गए कदम

येचुरी वर्ष 1975 में CPI (M) के सदस्य बन गए. 1977-78 के बीच एक साल में 3 बार छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए. 1978 में छात्र संगठन एसएफआई के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव बने. 1984 में सीपीआई (मार्क्सवादी) की केंद्रीय समिति का हिस्सा बने. वर्ष 1992 में चौदहवीं कांग्रेस के लिए पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए. 2005 में पश्चिम बंगाल के लिए राज्यसभा के लिए चुने गए. वर्ष 2015 में CPI (M) के महासचिव बने. 2018 में फिर महासचिव बनाए गए. 2022 में तीसरी बार महासचिव चुने गए.  

बेटे का कोविड से हुआ था निधन

सीताराम येचुरी के बेटे आशीष येचुरी का कोरोना से 34 साल की उम्र में वर्ष 2021 में निधन हो गया. आशीष पेशे से पत्रकार थे. सीताराम येचुरी की पहली शादी इंद्राणी मजूमदार से हुई थी. इंद्राणी की मां वीना मजूमदार लेफ्ट-विंग एक्टिविस्ट और फेमिनिस्ट थीं इंद्राणी और सीताराम येचुरी से दो बच्चे हुए. बेटा आशीष और बेटी अखिला येचुरी. बेटी अखला एक प्रोसेसर हैं. येचुरी ने बाद में बीबीसी हिंदी सर्विस की पूर्व संपादक सीमा चिश्ती से की. 

    follow google newsfollow whatsapp