Bihar Politics: चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव में 50 सीटों पर ठोकेंगे दावा! आगे और बढ़ सकती है डिमांड
Bihar Political News: चिराग पासवान क्या NDA से नाराज चल रहे हैं? चिराग पासवान का NDA गठबंधन से मोहभंग हो चुका है. ये ऐसे सवाल हैं जो इन दिनों सुर्खियों में हैं.
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न्यूज़ हाइलाइट्स
चिराग पासवान ने अपनी ही सरकार की नीतियों का 5 मौकों पर विरोध किया.
चिराग पासवान की पार्टी की डिमांड बिहार चुनाव में बड़ी हो सकती है.
बिहार में बीजेपी के लिए सीट बंटवारे का सामंजस्य बिठाना मुश्किल हो सकता है.
Bihar Political News: चिराग पासवान क्या NDA से नाराज चल रहे हैं? चिराग पासवान का NDA गठबंधन से मोहभंग हो चुका है. ये ऐसे सवाल हैं जो इन दिनों सुर्खियों में हैं. दरअसल, चिराग पासवान ने अपनी ही सरकार की नीतियों का 5 मौकों पर विरोध किया. नतीजन सरकार को अपने फैसले पर यू-टर्न लेना पड़ा. अब कहा जा रहा है चिराग पासवान की पार्टी की डिमांड बिहार चुनाव में बड़ी हो सकती है. इतनी बड़ी कि सबसे बड़े सहयोगी के तौर पर बीजेपी के लिए सीट बंटवारे का सामंजस्य बिठाना मुश्किल हो सकता है.
प्रदेश कार्यसमिति की बैठक करने जा रहे चिराग
केंद्रीय मंत्री और लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान बोधगया में पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक करने जा रहे हैं. इस बैठक में प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हिस्सा लेंगे. ये बैठक आम बैठक नहीं है. ये बैठक इस मायने में खास है कि इसमें पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मंत्रणा करेगी. इस बैठक में पार्टी की तरफ से बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर दावेदारी भी की जा सकती है. इससे पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक झारखंड की राजधानी रांची में करने के बाद चिराग ने ये कहकर चौंका दिया कि उनकी पार्टी 28 सीटों पर तैयारी कर रही है. इसमें अगर बीजेपी के साथ गठबंधन पर बात बनी तो ठीक है. नहीं तो पार्टी फ्रेंडली फाइट करने के लिए भी तैयार है.
'50 सीटों पर चुनाव की तैयारी'
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद पार्टी का हौसला सातवें आसमान पर है. चिराग का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में शत-प्रतिशत रहा है. ऐसे में विधानसभा चुनाव में उनका दवाब जरूर होगा पार्टी कम से कम 50 सीटों पर चुनाव लड़े. पार्टी अपने संगठन की मजबूती इसलिए भी ध्यान दे रहे हैं कि प्रशांत किशोर ने दलितों को बड़ी संख्या में टिकट देने का ऐलान कर रखा है. ऐसे में चिराग पासवान दलित राजनीति का स्पेस किसी और नेता को नहीं देना चाहते.
2020 में चिराग का प्रदर्शन
चिराग पासवान ने 2020 में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. कहा जाता है कि उनकी वजह से ही जेडीयू को नुकसान उठाना पड़ गया था. आंकड़े बताते हैं कि लोक जनशक्ति पार्टी ने 134 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. इनमें से 120 सीटों में 54 सीटों पर चिराग की पार्टी ने दूसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया था. लोजपा उम्मीदवार को पहले स्थान और दूसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों के जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले थे. दिलचस्प बात ये है कि इनमें से 25 सीटें ऐसी थी जहां नीतीश कुमार की पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी. 10 सीटों पर चिराग ने कांग्रेस को और 12 सीटों पर आरजेडी को नुकसान पहुंचाया था. मतलब चिराग की वजह से नीतीश कुमार की पार्टी तीसरे नंबर पर रही तो तेजस्वी यादव सरकार बनाने से चूक गए.
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बीजेपी-जेडीयू चिराग को हल्के में नहीं लेगी
बिहार में दलित वोट बैंक करीब 19 प्रतिशत के करीब है. लेकिन विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि चिराग पासवान के पास करीब 6 से 7 प्रतिशत का वोटबैंक इन्टैक्ट है. विरोध के बाद भी बीजेपी और जेडीयू को सत्ता में बने रहने के लिए ये वोटबैंक जरूरी है. चिराग पासवान एनडीए में एक मास लीडर हैं. उनमें भीड़ जुटाने की क्षमता एनडीए के अन्य क्षेत्रीय दलों की तुलना में ज्यादा है. ऐसे में उन्हें बीजेपी-जेडीयू हल्के में नहीं ले सकती है.
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चिराग ने किन मुद्दों पर NDA अलग रुख अपनाया
1. चिराग पासवान ने कोटा के भीतर कोटा के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया. केंद्र सरकार से अलग रुख रखने का ये पहला कदम था.
2. चिराग की पार्टी ने वक्फ बोर्ड बिल को भी अन्य विपक्षी दलों की तरह JPC में भेजने की मांग की.
3. लेटरल एंट्री में नियुक्ति का चिराग पासवान ने खुलकर विरोध किया. केंद्र सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा.
4. चिराग पासवान ने जातीय जनगणना का समर्थन किया है जो कांग्रेस-आरजेडी-सपा की प्रमुख मांगों में से एक रही है.
5. चिराग की पार्टी ने झारखंड विधानसभा चुनाव में BJP से बात नहीं बनने पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
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चिराग की डिमांड और बढ़ सकती है...
ये सभी फैसले इशारा करते हैं कि चिराग पासवान एनडीए में होते हुए भी अलग राग अलाप रहे हैं. चिराग पासवान की पार्टी के फिलहाल 5 सांसद हैं. केंद्र सरकार में चिराग महत्वपूर्ण भूमिका में है. एनडीए-3 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं है. बिहार विधानसभा चुनाव तक 4 राज्यों में चुनाव हैं. अगर यहां बीजेपी का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहता है तो चिराग पासवान का दवाब और मांगें और बढ़ सकती हैं.
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