प्रशांत किशोर ने बताया क्यों बार-बार छोड़ी पढ़ाई, डॉक्टर पत्नी से कैसे हुई पहली मुलाकात

शुभम गुप्ता

ADVERTISEMENT

newstak
social share
google news

Prashant Kishor: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (पीके) ने आज अपनी पार्टी 'जन सुराज' की लॉन्चिंग करने जा रहे हैं. पीके ने घोषणा की है कि पार्टी की लॉन्चिंग के बाद भी उनकी 'जन सुराज पदयात्रा' जारी रहेगी. प्रशांत किशोर ने यह साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. पार्टी कम से कम 40 विधानसभा सीटों पर महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी. यह कदम बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है. इस बात का ऐलान करते समय उन्होंने पहली बार अपनी पत्नी का सार्वजनिक तौर पर परिचय कराया. 25 अगस्त को उन्होंने जन सुराज महिला संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया था.

इस कार्यक्रम में पहली बार उन्होंने अपनी पत्नी डॉ. जाह्नवी दास को भी सार्वजनिक रूप से बुलाया और उनका परिचय कराया. पीके ने महिलाओं के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनके संगठन के पुरुष मेंबर्स जिस तरह से काम कर पा रहे हैं, उसके पीछे महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है. उन्होंने कहा कि जब महिलाएं पुरुषों का बोझ उठा रही हैं, तो उन्हें अधिक अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए.

कौन हैं डॉ. जाह्नवी दास?

प्रशांत किशोर की पत्नी, डॉ. जाह्नवी दास, असम की रहने वाली हैं और पेशे से डॉक्टर हैं. दोनों की मुलाकात संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के हेल्थ प्रोग्राम के दौरान हुई थी, जो धीरे-धीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. बाद में उन्होंने शादी कर ली. इस दंपति का एक बेटा भी है और फिलहाल डॉ. जाह्नवी अपनी डॉक्टरी की प्रैक्टिस छोड़कर बिहार में अपने पति और बेटे के साथ रह रही हैं.

पीके के परिवार के बारे में जानिए

प्रशांत किशोर का परिवार बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव से ताल्लुक रखता है. उनके पिता, दिवंगत श्रीकांत पांडे, एक डॉक्टर थे. प्रशांत किशोर ने बताया कि उनके पिता की पोस्टिंग जहां-जहां हुई, उन्होंने वहीं के सरकारी स्कूलों में अपनी शुरुआती पढ़ाई की. बाद में वह पटना साइंस कॉलेज और हिंदू कॉलेज से पढ़ाई करते रहे, लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं के कारण बीच में पढ़ाई छोड़ दी.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

करियर की शुरुआत 

प्रशांत किशोर ने ग्रेजुएशन लखनऊ से पूरा किया और फिर यूएन में नौकरी मिली. उनके अनुसार पढ़ाई के दौरान उन्होंने कई बार ब्रेक लिया और अलग-अलग जगहों पर काम किया.  प्रशांत ने बताया कि उन्होंने हर दो साल में पढ़ाई छोड़ दी. बारहवीं के बाद तीन साल छोड़ी, फिर ग्रेजुएशन के बाद दो साल छोड़ी. उन्होंने बताया कि 2018 में उनकी माताजी का निधन हो गया था और बाकी परिवार अब दिल्ली में रहता है.

UN की नौकरी छोड़ नरेंद्र मोदी की टीम से जुड़े

पहली बार पीके 2011 में संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की टीम से जुड़े थे. 2013 में  इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी यानी I-PAC  बनाई और साल 2014 में प्रशांत किशोर ने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस यानी कैग की स्थापना की. इसे भारत की पहली राजनीतिक एक्शन कमेटी माना जाता है. 2014 के आम चुनावों में वह बीजेपी की ओर से पीएम पद के उम्मीदवार और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के लिए चुनावी रणनीतिकार बने थे. जैसे ही 2014 में बीजेपी की सरकार केंद्र में आई और नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, वैसे ही इसके साथ ही उनकी पहचान भी लोगों के सामने आ गई. 

ADVERTISEMENT

डॉक्टर परिवार में जन्मे पीके ने हेल्थ एक्सपर्ट की नौकरी छोड़ी

चुनानी रणनीतिकार का काम करने से पहले पीके हैदराबाद से संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करते थे. इस दौरान उन्हें पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के लिए बिहार भेजा गया, उस वक्त राबड़ी देवी सीएम थीं. इसके बाद उन्हें अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में काम करने के लिए भेजा गया. पीके ने संयुक्त राष्ट्र में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में काम किया. डॉक्टर परिवार में जन्में पीके की इसमें दिलचस्पी नहीं थी, इसलिए 8 साल तक इस क्षेत्र में करने के बाद वो राजनीति में आ गए. 

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT