प्रियंका गांधी को बैग देकर सुर्खियां बटाेरने वाली पूर्व IAS अपराजिता सारंगी कौन हैं? जानिए बिहार कनेक्शन
इस बार संसद का शीतकालीन सत्र काफी हंगामेदार रहा. अडाणी, संविधान पर चर्चा, आंबेडकर का अपमान और अंत में पक्ष-विपक्ष में धक्कामुक्की. कई मुद्दों पर जमकर बहस हुई. पर प्रियंका गांधी की बैग पॉलिटिक्स भी सुर्खियों में रहा लेकिन एक नाम और है, जिसने खूब सुर्खियां बंटोरी, वो हैं अपराजिता सारंगी.
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इस बार संसद का शीतकालीन सत्र काफी हंगामेदार रहा. अडाणी, संविधान पर चर्चा, आंबेडकर का अपमान और अंत में पक्ष-विपक्ष में धक्कामुक्की. कई मुद्दों पर जमकर बहस हुई. पर प्रियंका गांधी की बैग पॉलिटिक्स भी सुर्खियों में रहा लेकिन एक नाम और है, जिसने खूब सुर्खियां बंटोरी, वो हैं पूर्व आईएएस और भाजपा सांसद और अपराजिता सारंगी. उन्होंने एक बैग प्रियंका गांधी को जाकर दिया, जिसकी खूब चर्चा हुई. अब इनके बिहार कनेक्शन की चर्चा होने लगी है...
दरअसल, हुआ ये कि सत्र के दौरान प्रियंका गांधी ने सबसे पहले मोदी-अडानी भाई-भाई वाला बैग दिखाया. उसके बाद फिलिस्तीन के समर्थन वाले बैग की चर्चा हुई. इतना ही नहीं प्रियंका गांधी बांग्लादेश के हिंदुओं के समर्थन वाले बैग के साथ भी नजर आई. इसी बीच बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने जवाबी मोर्चा संभाला और 1984 वाला बैग प्रियंका गांधी को थमा दिया. इस बैग ने सिख दंगे की याद दिला दी.
दरअसल बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी को एक बैग गिफ्ट कर दिया, जिस पर 1984 लिखा था और खून के धब्बे बने थे. खून से रंगा यह बैग 1984 के सिख दंगों की याद दिला रहा है कि 1984 में हुए दंगे के दौरान प्रियंका गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार थी. इसलिए सारंगी ने ऐसा किया. बैग को गिफ्ट करने के बाद अपराजिता सारंगी ने बताया कि प्रियंका गांधी ने यह बैग स्वीकार कर लिया है लेकिन कुछ नहीं कहा.
कौन हैं अपराजिता सारंगी?
- ओडिशा के भुवनेश्वर से बीजेपी की लोकसभा सांसद हैं.
- अपराजिता सारंगी पूर्व में IAS अधिकारी रही हैं.
- 2019 में भुवनेश्वर से चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंची थीं.
- केंद्र सरकार की ग्रामीण विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत थीं.
- 2018 में वीआरएस लेने के बाद बीजेपी में शामिल हो गईं.
- अपराजिता सारंगी मूल रूप से बिहार के भागलपुर की रहने वाली हैं.
- पिता अजीत मिश्रा भागलपुर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे.
- 1994 में अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी परीक्षा पास करके आईएएस अधिकारी बनीं.
- इस दौरान उनको ओडिशा कैडर मिला.
- उन्होंने ओडिशा में काम के दौरान ही संतोष सारंगी से शादी कर ली.
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