पहलगाम आतंकी हमले पर कन्हैया कुमार का सामने आया रिएक्शन, कह दी ये बड़ी बात
Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले पर जहां देश शोक में डूबा है, वहीं कुछ लोग नफरत, जाति और धर्म के नाम पर कट्टरता को बढ़ावा दे रहे हैं.
ADVERTISEMENT

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले से पूरा देश पीड़ा में है. मंगलवार यानी 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने बैसरन घाटी में वहां आए पर्यटकों को गोलियों से भून दिया. इसमें कई राज्यों के लोग शामिल है जिनकी या तो जिंदगी ही छीन गई या फिर वो मौत से अभी भी लड़ रहे है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस घटना को लेकर काफी चिंतित है. वे पल-पल का अपडेट ले रहे और मामले पर संज्ञीन नजर बनाए हुए है. इसी क्रम में बिहार के कन्हैया कुमार ने भी इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
एक्स(X) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा-
"मैंने बड़ी कोशिश की. इस कायराना आतंकी हमले पर लोगों की सुरक्षा और शांति के अलावा सरकार से केवल दोषियों को सख्त सजा और आम लोगों को न्याय की अपील के सिवा कुछ नहीं बोलूंगा लेकिन बेहद शर्म और दुःख से कुछ सवाल पूछने पड़ रहे हैं."
आगे लिखा-
"ये हमारे देश और समाज के अपने लोग हैं जो आपदा में अवसर को अपने जीवन का मूल मंत्र बना चुके हैं? ये हमारे ही लोग हैं, जो हमारे ही बीच रहते हैं, वो एक घिनौने अपराध को दूसरे जघन्य अपराध से जायज ठहरा रहे हैं? मजहब और धर्म के नाम पर आतंकवाद हो या जन्म के नाम पर जातिवाद का उन्माद- ये दोनों ही मानवता, समानता, न्याय और एकता के दुश्मन हैं. यह देखना बेहद तकलीफदेह है कि जब पहलगाम के घिनौने आतंकी हमले से पूरा देश शोक में डूबा है तब कुछ लोग इस आपदा में अवसर को तलाशते हुए धर्म और पहचान की आड़ में नफरत, ऊंच-नीच, भेदभाव, जातिवाद, असमानता, अन्याय और लोगों को आपस में लड़ाने की राजनीति को जायज ठहरा रहे हैं."
यह भी पढ़ें...
इसी क्रम में उन्होंने लिखा-
"लोकतंत्र, संविधान और न्याय-व्यवस्था को अपराधी बता रहे हैं. सरकार की बजाय विपक्ष से सवाल पूछ रहे हैं. देश के वर्तमान प्रधानमंत्री की जगह पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी को दोषी ठहरा रहे हैं. चाइना और पाकिस्तान से सवाल पूछने की जगह देश के अपने ही लोगों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. एक कट्टरता की आड़ में दूसरी कट्टरता को सही ठहरा रहे हैं. सही मायने में सवाल या तो आतंकवाद से होगा या इससे देश को सुरक्षित रखने की जिम्मेवारी वाले पदों पर बैठे लोगों से. जो लोग जान बूझकर गलत सवाल उठा रहे हैं, इन लोगों से बस इतना ही कहना है कि ‘देशभक्ति’ असल में सरकारी चापलूसी से बहुत ज्यादा श्रेष्ठ और स्वाभिमान की भावना है और ‘देशप्रेम’ को समझना तो एक कठिन साधना है. जिसको भी देशभक्ति और देशप्रेम हासिल है वो कभी भी नफरत और उन्माद के पोषक नहीं हो सकते."
फिर लिखा-
हमारे देश में जो नफरत का खेल जारी है यही असल में हिंसा, डर, आतंक और नरसंहार को जन्म देती है. हर इंसान को यह याद रखने और बार-बार दोहराने की जरूरत है कि इंसान से इंसान के बीच नफरत, हिंसा, असमानता और भेदभाव असल में इंसानियत और मानवता के दुश्मन हैं. यही डर, लोभ और घृणा को जन्म देता है. अगर हम सचमुच आतंकवाद को हराना चाहते हैं तो हमको डर और नफरत को हराना होगा. देश में प्यार, बराबरी, न्याय और शांति चाहने वाले लोगों से यही उम्मीद है कि ऐसे नाजुक वक्त में हम संवेदना, साहस और सावधानी से रहेंगे और ऐसे लोग, दल या विचार जो नफरत, हिंसा, अन्याय और आतंक को बढ़ावा दे रहे हों उनका डटकर मुकाबला करेगें.
अंत में उन्होंने कहा-
तमाम असहमतियों के बावजूद आतंकवाद के विषय पर सरकार से यह उम्मीद है कि वो राजनीतिक और चुनावी उद्देश्यों को भूलकर देश में अमन, शांति, न्याय और तरक्की के दुश्मनों का, आतंक और आतंकी का, हर उस सोच का जो देश में संविधान के खिलाफ है और जो अन्याय को जायज ठहराता हो उसका सही निदान करेगी. आतंक के खिलाफ पूरी मानवता एकजुट खड़ी है और न्याय की उम्मीद में है. इस बीभत्स आतंकी घटना में अगर किसी का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वो है- मानवता, प्रेम, न्याय, सुख, शांति, मुश्किलों से भरी जिन्दगी में सुकून के दो पल की उम्मीद और देश के आमलोगों के विश्वास का. जिन लोगों ने अपनों को खोया है उस परिवार के असीम दुःख की कल्पना भी भयावह है. इन मुश्किल परिस्थितियों में भी यह उम्मीद कायम है कि यह कठिन दौर भी बीतेगा नफरत, भेदभाव, हिंसा, अन्याय, अपराध, असमानता और आतंक की हार होगी और मानवता की जय होगी. पूरा देश इस शोक की घड़ी में उस परिवार के साथ एक परिवार की तरह खड़ा है जिन्होंने अपनों को खोया है.
ये खबरें भी पढ़ें:
जानें कौन हैं IB अफसर मनीष रंजन...जिन्हें आतंकियों ने पत्नी-बच्चों के सामने ही मार दी गोली!
पहलगाम में अटैक करने आए आंतकी अपने बैग में क्या-क्या लेकर आए थे? बड़ी जानकारी पता लगी