कौन हैं रश्मि शुक्ला, जिन्हें बीच चुनाव महाराष्ट्र DGP पद से हटाया गया? विवादों से रहा है नाता
Maharashtra Election 2024: कांग्रेस और अन्य दलों की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र की पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी रश्मि शुक्ला को तत्काल प्रभाव से ट्रांसफर करने का आदेश दिया है.
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न्यूज़ हाइलाइट्स
महाराष्ट्र चुनाव के बीच डीजीपी को चुनाव आयोग ने हटाया
फोन टैपिंग को लेकर विवादों में रही हैं रश्मि शुक्ला
कांग्रेस और विपक्ष की शिकायतों के बाद हुई कार्रवाई
Maharashtra Election 2024: कांग्रेस और अन्य दलों की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र की पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी रश्मि शुक्ला को तत्काल प्रभाव से ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, डीजीपी के तबादले के साथ ही आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे कैडर में अगले सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को उनका कार्यभार बिना देरी किए सौंप दें.
मुख्य सचिव को महाराष्ट्र के डीजीपी के रूप में नियुक्ति के लिए पैनल बना कर भेजने के लिए 24 घंटे की मोहलत दी गई है. यानी मंगलवार 5 नवंबर को दोपहर 1 बजे तक तीन आईपीएस अधिकारियों का पैनल भेजने का भी निर्देश दिया गया है. सूत्रों ने संकेत दिया है कि इस बात मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने इससे पहले समीक्षा बैठकों और राज्य में विधानसभा चुनावों की घोषणा के दौरान अधिकारियों को न केवल निष्पक्ष और उचित व्यवहार करने की चेतावनी दी थी.
राजीव कुमार ने अधिकारियों को ताकीद की थी कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय वो अपने आचरण में गैर-पक्षपाती होने की भी गारंटी रखें. बता दें कि रश्मि शुक्ला जून 2024 में डीजीपी के पद से रिटायर होने वाली थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार उन्हें एक्सटेंशन दे दिया था. बता दें कि कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग की है कि रश्मि शुक्ला की अब किसी पद पर नियुक्ति न हो.
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कौन हैं रश्मि शुक्ला?
महाराष्ट्र में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर रश्मि शुक्ला की नियुक्ति इसी साल जनवरी में की गई थी. इस पद पर पहुंचने वाली राज्य की पहली महिला अधिकारी थीं. 1988 बैच की आईपीएस अधिकारी शुक्ला महाराष्ट्र पुलिस में वरिष्ठ अधिकारियों में से एक रही हैं. राज्य की डीजीपी बनने से पहले शुक्ला केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात थीं. शुक्ला का करियर विवादों से जुड़ा रहा है, जिसमें राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) के प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान राजनीतिक नेताओं के फोन टैपिंग के आरोप भी शामिल हैं.
रश्मि शुक्ला 1988 बैच की भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी हैं, जो महाराष्ट्र में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुकी हैं. शुक्ला पुणे की पुलिस कमिश्नर रही हैं और बाद में उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीआरपीएफ का अतिरिक्त महानिदेशक नियुक्त किया गया. इसके बाद उन्हें सहस्त्र सीमा बल (SSB) का प्रमुख बनाया गया है. 2014 से 2019 के बीच जब राज्य में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार थी, वह राज्य खुफिया विभाग (SID) की प्रमुख थीं. इस दौरान उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महत्वपूर्ण काम किए.
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शुक्ला की नियुक्ति के बाद तत्कालीन डीजीपी रजनीश सेठ जो अक्टूबर में सेवानिवृत्त के बाद महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) का अध्यक्ष बना दिया गया. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद से विवेक फनसालकर कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्यरत थे. शुक्ला के साथ इस पद के लिए संदीप बिश्नोई और विवेक फनसालकर भी दावेदार थे. अंततः शुक्ला को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई.
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फोन टैपिंग विवाद केस में शुक्ला पर हुई थी एफआईआर
रश्मि शुक्ला विभिन्न विवादों से घिरे रहे हैं. SID के प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कई राजनीतिक नेताओं के फोन अवैध रूप से टैप करने का आरोप उन पर लगाया गया. 2019 में जब महा विकास अघाड़ी (MVA) की सरकार बनी, जिसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन था, तब उनके खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गईं. इन एफआईआर में आरोप था कि शुक्ला ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले, एनसीपी नेता एकनाथ खडसे और शिवसेना नेता संजय राउत के फोन टैप किए. यह घटनाएं तब की हैं, जब वह पुणे पुलिस आयुक्त थीं और बाद में एसआईडी की प्रमुख बनीं.
फोन टैपिंग की रिपोर्ट लीक होने के मामले में भी एक एफआईआर दर्ज की गई. जब शिंदे-फडणवीस सरकार सत्ता में आई तो इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया. तीन मामलों में से दो में शुक्ला को आरोपी बनाया गया था. हालांकि, बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ पुणे और मुंबई में दर्ज दो एफआईआर को खारिज कर दी गईं. तीसरा मामला, जिसे सीबीआई को सौंपा गया था अदालत द्वारा सीबीआई की फाइनल रिपोर्ट स्वीकार किए जाने के बाद बंद कर दिया गया. इससे शुक्ला के लौटने के रास्ते खुल गए.
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