डिस्को डांसर मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड देने का ऐलान, गजब का है फिल्मी सफर

सुमित पांडेय

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मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा की गई है.
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इंडियन सिनेमा के आइकन मिथुन चक्रवर्ती को बड़ा सम्मान

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डिस्को डांसर फिल्म से रातोंरात मिली थी प्रसिद्धि

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पीएम मोदी ने दी बधाई, कहा- वो सांस्कृतिक प्रतीक

फिल्मों में जिंदगी मेरा गाना... गाने वाले और लोगों को झुमाने वाले बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मिथुन दा यानि मिथुन चक्रवर्ती को बड़ा सम्मान मिला है. उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजे जाने की घोषणा की गई है. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह बड़ी खबर साझा की. उन्होंने लिखा, "मिथुन दा का फिल्मी सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है और उनकी मेहनत व योगदान हमेशा हमारी पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा."

70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में होंगे सम्मानित

मिथुन चक्रवर्ती को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार 8 अक्टूबर को होने वाले 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाएगा. अश्विनी वैष्णव के इस ट्वीट के बाद फिल्म इंडस्ट्री और मिथुन के प्रशंसकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मौके पर ट्वीट करते हुए मिथुन को बधाई दी. उन्होंने लिखा, "मुझे खुशी है कि श्री मिथुन चक्रवर्ती जी को भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. वे एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं, जिन्हें उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए पीढ़ियों से सराहा जाता रहा है. उन्हें बधाई और शुभकामनाएं."

बॉलीवुड से राजनीति तक मिथुन दा का सफर

मिथुन चक्रवर्ती का करियर सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं रहा. हाल के वर्षों में वह राजनीति में भी सक्रिय हो गए हैं. वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े और विभिन्न चुनावों में बीजेपी के लिए प्रचार भी किया. उनके इस नए अवतार ने उन्हें राजनीति के मंच पर भी एक महत्वपूर्ण चेहरा बना दिया है. हालांकि, उनकी असल पहचान एक अभिनेता के रूप में ही रही है और यह सम्मान उन्हें उनकी फिल्मों में योगदान के लिए ही दिया जा रहा है.

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मिथुन चक्रवर्ती का फिल्मी सफर

मिथुन चक्रवर्ती का फिल्मी सफर भारतीय सिनेमा के सबसे प्रेरक और सफल कहानियों में से एक है. उनका असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1976 में मृणाल सेन की फिल्म 'मृगया' से की थी. इस फिल्म में उनके बेहतरीन अभिनय के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. यह उनकी अभिनय क्षमता का पहला बड़ा प्रमाण था.

लेकिन मिथुन को असली पहचान 1982 में आई फिल्म 'डिस्को डांसर' से मिली. यह फिल्म सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जबरदस्त हिट साबित हुई. मिथुन के डांस मूव्स और स्टाइल ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया और वह एक नई पीढ़ी के डांस आइकन बन गए.

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बहुमुखी प्रतिभा वाले मिथुन दा

मिथुन सिर्फ एक एक्शन या डांस हीरो नहीं रहे, बल्कि उन्होंने हर तरह की भूमिकाओं में अपनी छाप छोड़ी. चाहे वह एक गरीब किसान का किरदार हो, एक गुस्सैल नौजवान हो, या फिर एक मजाकिया चरित्र, हर तरह की भूमिकाओं में मिथुन ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया. उनकी फिल्मों की लिस्ट में सुरक्षा, सिटीज़न, प्रेम प्रतिज्ञा, अग्निपथ, हमसे बढ़कर कौन जैसी कई यादगार फिल्में शामिल हैं.

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उन्होंने अपने करियर में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया और विभिन्न पुरस्कार अपने नाम किए. उन्होंने हिंदी फिल्मों के अलावा बांग्ला, उड़िया, भोजपुरी और तमिल सिनेमा में भी काम किया.

दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड की महत्ता

दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान है, जिसे भारतीय सिनेमा के जनक धुंडीराज गोविंद फाल्के के नाम पर दिया जाता है. हर साल यह पुरस्कार उस कलाकार या तकनीशियन को दिया जाता है, जिसने भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान दिया हो. मिथुन चक्रवर्ती को यह सम्मान उनके बहुमूल्य योगदान और सिनेमा में उनके द्वारा किए गए अनगिनत प्रयोगों के लिए दिया जा रहा है.

उनकी निजी जिंदगी और सामाजिक योगदान

मिथुन सिर्फ फिल्मों और राजनीति तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में भी बड़ा योगदान दिया है. उन्होंने चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ मिलकर बच्चों के अधिकारों के लिए काम किया. वह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए हमेशा लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं. मिथुन चक्रवर्ती की जीवन यात्रा न सिर्फ सिनेमा के छात्रों के लिए, बल्कि समाज के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

प्रधानमंत्री की बधाई और मिथुन का योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई सराहना इस बात का प्रतीक है कि मिथुन का योगदान सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह भारतीय संस्कृति और समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से हैं. उनकी बहुमुखी प्रतिभा और उनकी लगन ने उन्हें एक आइकन बना दिया है, जिन्हें आज हर पीढ़ी सराहती है.

8 अक्टूबर को उन्हें जब दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, तो यह सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि उनके करोड़ों प्रशंसकों के लिए भी गर्व का पल होगा. मिथुन चक्रवर्ती एक ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने हर चुनौती को स्वीकार किया और सिनेमा के साथ-साथ समाज के लिए भी अपने योगदान को हमेशा महत्व दिया.

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