Manesar Nagar Nigam: कैसे केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के खास ने मानेसर सीट से बीजेपी को दिया धोखा...जानिए कौन हैं ये
हरियाणा में हुए नगर निकाय चुनावों की मतगणना के नतीजे सामने आने लगे हैं. इसी बीच गुरुग्राम से लगी मानेसर नगर निगम के मेयर चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. यहां निर्दलीय प्रत्याशी जीत कर इतिहास रच दिया है.
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Manesar Nagar Nigam Chunav Parinam: हरियाणा में हुए नगर निकाय चुनावों की मतगणना के नतीजे सामने आने लगे हैं. इसी बीच गुरुग्राम से लगी मानेसर नगर निगम के मेयर चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. यहां निर्दलीय प्रत्याशी डॉक्टर इंद्रजीत यादव ने इतिहास रच दिया. वे मानेसर नगर निगम से पहली मेयर बनी गई हैं. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुंदर लाल यादव को हार का सामना करना पड़ा. बता दें कि डॉक्टर इंद्रजीत यादव 2293 वोटों से जीत दर्ज की.
निर्दलीय प्रत्याशी की ऐतिहासिक जीत
डॉक्टर इंद्रजीत यादव ने 6 राउंड की गिनती में पहले राउंड से बढ़त बनाई हुई थी जो की 6 राउंड तक बरकार रही और अंत में उन्होंने 2293 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. मानेसर नगर निगम की पहली मेयर के रूप में निर्वाचित होकर उन्होंने एक नया इतिहास रचा.
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का आशीर्वाद
डॉक्टर इंद्रजीत यादव की इस जीत में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का समर्थन महत्वपूर्ण माना जा रहा है. चुनाव से पहले, केंद्रीय मंत्री ने एक सर्वे के आधार पर डॉक्टर इंद्रजीत यादव का नाम बीजेपी की चुनाव समिति के समक्ष रखा था. हालांकि, भाजपा ने उनकी सलाह को नजर अंदाज कर दिया. उनकी जगह सुंदर लाल यादव को प्रत्याशी बनाया गया. इसके बाद से ही केंद्रीय मंत्री का आशीर्वाद डॉक्टर इंद्रजीत के साथ माना जा रहा था.
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कौन हैं डॉक्टर इंद्रजीत यादव ?
आपको बता दें कि डॉक्टर इंद्रजीत यादव एक समाजसेवी के रूप में जानी जाती हैं.वे लंबे समय से मानेसर क्षेत्र में एक्टीव थी. यही कारण है कि जनता के बीच वो कफी लोकप्रिय हैं. साल 2023 में एक होली मिलन समारोह के दौरान भीड़ ने उनके समर्थन में नारे लगाए थे. तब ही से उन्हें मानेसर की पहली मेयर बनने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने मानेसर के विकास को प्राथमिकता देने की बात कही थी.
बीजेपी को लगा बड़ा झटका
आपको बता दें कि पहली बार मानेसर नगर निगम बनाया है. ऐसे में इस सीट में चुनाव हारना बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. पार्टी की रणनीति और उम्मीदवार चयन को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
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