बाबरपुर सीट: AAP का EX MLA कर रहा खेल खराब, केजरीवाल के खास गोपाल राय का क्या होगा?
2013 में आम आदमी पार्टी (AAP) की लहर के बावजूद अरविंद केजरीवाल यह सीट नहीं जीत पाए. लेकिन 2015 और 2020 में गोपाल राय ने बीजेपी के किले को ध्वस्त करते हुए ऐतिहासिक मार्जिन से जीत दर्ज की.
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Babarpur Seat Analysis: दिल्ली विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है. हर सीट पर कड़े मुकाबले की तैयारी हो रही है. आज बात करते हैं बाबरपुर सीट की, जो कभी बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी. 2013 में आम आदमी पार्टी (AAP) की लहर के बावजूद अरविंद केजरीवाल यह सीट नहीं जीत पाए. लेकिन 2015 और 2020 में गोपाल राय ने बीजेपी के किले को ध्वस्त करते हुए ऐतिहासिक मार्जिन से जीत दर्ज की.
अब सवाल उठता है कि मुस्लिम बहुल इस सीट पर गोपाल राय लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर पाएंगे या उनके ही पूर्व साथी और अब कांग्रेस उम्मीदवार हाजी इशराक खान उनका खेल बिगाड़ देंगे?
बाबरपुर सीट: कौन-कौन हैं आमने-सामने?
पार्टी | उम्मीदवार |
AAP | गोपाल राय |
कांग्रेस | हाजी इशराक खान |
बीजेपी | नरेश गौर (संभावित |
पिछले तीन चुनावों का हाल
साल | पार्टी | उम्मीदवार | मार्जिन |
2013 | बीजेपी | नरेश गौर | 4,507 वोट |
2015 | AAP | गोपाल राय | 35,488 वोट |
2020 | AAP | गोपाल राय | 33,062 वोट |
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2020 के चुनाव में गोपाल राय ने एकतरफा जीत दर्ज की थी.
बाबरपुर सीट का समीकरण
बाबरपुर सीट दिल्ली के मनी बसती वाले इलाकों में गिनी जाती है.
- विधानसभा बंटवारा: बाबरपुर विधानसभा 4 वार्डों में बंटी हुई है.
- जनसांख्यिकी:
- मुस्लिम बहुल इलाके: बाबरपुर, कबूल नगर, ईस्ट-येस्ट गोरख पार्क, वेलकम, न्यू जाफराबाद.
- हिंदू बहुल इलाके: बलबीर नगर, कर्दमपुरी, जनता कॉलोनी.
- जनसंख्या: 41% मुस्लिम, 59% हिंदू.
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गोपाल राय के पक्ष में काम करने वाले फैक्टर:
1. INDIA गठबंधन का फायदा: लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के कन्हैया कुमार आगे रहे.
2. गोपाल राय की छवि: शांत स्वभाव और जनता के लिए उपलब्ध रहने वाले नेता.
3. लगातार जीत: दो बार 30,000 से ज्यादा मार्जिन से जीत चुके हैं.
गोपाल राय के खिलाफ काम करने वाले फैक्टर:
1. मुस्लिम नाराजगी: 2020 के दंगों के बाद AAP के प्रति मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है.
2. 2022 नगर निगम चुनाव: AAP यहां केवल 1 वार्ड जीत पाई, बाकी 2 बीजेपी और 1 कांग्रेस के खाते में गए.
3. हाजी इशराक की चुनौती: पूर्व AAP विधायक हाजी इशराक अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
4. AIMIM का प्रभाव: अगर AIMIM ने उम्मीदवार उतारा, तो मुस्लिम वोटों में बंटवारा होगा.
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क्या होगा इस बार का समीकरण?
2020 में मुस्लिम वोट एकतरफा AAP के पक्ष में गए थे, लेकिन इस बार कांग्रेस और AIMIM के चलते बंटवारे की संभावना है. इसका सीधा फायदा बीजेपी को हो सकता है.
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कुल मिलाकर बाबरपुर विधानसभा का मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प रहेगा. गोपाल राय की जीत की हैट्रिक दांव पर है, और मुकाबला इस बार त्रिकोणीय हो सकता है.
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