साइरस मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन बनाने के बाद ऐसा क्या हुआ, जिससे भड़क गए थे रतन टाटा और हटाकर ही माने

रूपक प्रियदर्शी

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रतन टाटा
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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2012 में साइरस मिस्त्री टाटा संस के छठे और सबसे यंग 44 साल की उम्र में चेयरमैन बने थे.

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विवाद के बाद दोनों के रिश्ते कभी सामान्य नहीं हुए

Cyrus Mistry: 1991 के बाद टाटा ग्रुप में दो चीजें एक साथ शुरू हुईं. रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की बागडोर संभाली. उसी दौर में नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था का कायापलट करना शुरू किया. टाटा के लिए दोनों बदलाव फायदेमंद साबित हुए. रतन टाटा के कमान संभालने के वक्त टाटा का टर्नओवर 4 बिलियन डॉलर था. जब रतन टाटा गए तो 160 बिलियन डॉलर के पार है.

1991 से 2012 तक रतन टाटा टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे. टाटा के लिए ऊंचाइयों का हर सपना साकार करते गए. जैसे हर किसी की जिंदगी और करियर में एक दौर रिटायरमेंट का आता है वैसा ही दौर रतन टाटा के लिए भी आया. 2012 में रतन टाटा रिटायर हो गए. लंबे वक्त तक चले टैलेंट हंट के बाद उन्होंने उत्तराधिकारी ऐसे एक व्यक्ति को चुना जो टाटा नहीं, मिस्त्री था. 

2012 में साइरस मिस्त्री टाटा संस के छठे और सबसे यंग 44 साल की उम्र में चेयरमैन बने थे. मिस्त्री दूसरे चेयरमैन बने जो टाटा परिवार से नहीं थे. साइरस के लिए ये जितना बड़ा प्रमोशन था उतना ही बड़ा ट्रस्ट जिसके लिए जाना जाता है टाटा ग्रुप और रतन टाटा. 

टाटा संस में 18 परसेंट स्टेक वाले शापूरजी पल्लोनजी परिवार से थे साइरस मिस्त्री जिसकी टाटा के साथ पार्टनरशिप 1936 से चल रही है. टाटा समूह में सबसे बड़ा सिंगल शेयरहोल्डर होता था शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप. ग्रुप का मेन बिजनेस रियल एस्टेट है. देश की बहुत बड़ी बिल्डर कंपनी मानी जाती है जिसने आरबीआई की बिल्डिंग, टाटा ग्रुप की बिल्डिंग्स, ताज महल टावर समेत कई आइकॉनिक बिल्डिंग बनाई. 

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शापूरजी पल्लोनजी के दो बेटे शापोरजी, साइरस मिस्त्री और दो बेटियां लैला, अल्लू हुए. 
अल्लू की शादी नोएल टाटा से हुई जो रतन टाटा के सौतेले भाई हैं.  इस तरह से साइरस और नोएल के बीच साला-जीजा वाला रिश्ता बना. रतन टाटा साइरस के जीजाजी के भाई ठहरे.इस लिहाज से साइरस मिस्त्री बाहरी होकर भी अंदर वाले ही थे. 

मिस्त्री को ऐसे मिली टाटा संस में तरक्की

वहीं से रतन टाटा के करियर में साइरस मिस्त्री का नाम एक विवाद के तौर पर जुड़ा. रतन टाटा की पसंद थे डायनामिक साइरस मिस्त्री. पहले ग्रुप का डिप्टी चेयरमैन बनाया. फिर चेयरमैन. कहा जाता है उन्होंने साइरस मिस्त्री को चुना भी, निकाला भी. क्यों, कैसे? अंदरखाने सचमुच क्या हुआ, कभी कोई जान नहीं पाया. इतना ही पता चला कि साइरस मिस्त्री के काम करने के तरीके, फैसलों को लेकर टाटा ग्रुप के अंदर असंतोष पनपा.  साइरस मिस्त्री का रतन टाटा से ही संघर्ष होने लगा. 

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4 साल में साइरस मिस्त्री की विदाई हो गई. 24 अक्तूबर 2016 को टाटा संस बोर्ड ने साइरस मिस्त्री को बर्खास्त कर दिया. कहा जाता है रतन टाटा ने साइरस के केबिन में जाकर इस्तीफा देने को कहा था. साइरस ने इनकार किया तो बोर्ड मीटिंग बुलाकर निकाल दिया. तत्काल कोई और विकल्प नहीं देखकर रिटायरमेंट छोड़कर रतन टाटा ने बतौर चेयरमैन री एंट्री ली.  जनवरी 2017 में एन चंद्रशेखरन का नाम फाइनल करके फिर रिटायर हो गए. आखिरी सांस तक रतन टाटा चेयरमैन एमेरिटस रहे. 

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देश का सबसे बड़ा कॉरपोरेट वाॅर बना रतन टाटा और साइरस मिस्त्री का झगड़ा

देश का सबसे बड़ा कॉरपोरेट वाॅर बना रतन टाटा और साइरस मिस्त्री का झगड़ा. निकाला क्यों? ये शायद साइरस मिस्त्री भी नहीं जान पाए. उन्होंने हार नहीं मानी. पूरे 5 साल तक रतन टाटा के टाटा संस के खिलाफ लड़े. 2018 में NCLAT ने  मिस्त्री को दोबारा चेयरमैन बनाने का आदेश दिया लेकिन टाटा संस भी अड़ गया कि साइरस को निकाल दिया तो वापस नहीं लेंगे. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा के फैसले पर मुहर लगा दी कि साइरस मिस्त्री को बर्खास्त करने में कुछ गलत नहीं हुआ. टाटा की जीत हुई. मिस्त्री की हार.

साइरस मिस्त्री की नेटवर्थ 70 हजार करोड़ की थी. टाटा की चेयरमैनशिप जरूरत नहीं, किसी मेडल की तरह थी जो छिन गई. साइरस को रतन टाटा से मेडल मिला. शायद उनकी वजह से गया भी. इतने बड़े कॉरपोरेट हंचो एक बार टाटा से हारे तो फिर जिंदगी से भी हार गए. 2021 में सुप्रीम कोर्ट में केस हारे. 2022 में मुंबई के पास पालघर में मर्सिडीज से अहमदाबाद जाते समय रोड एक्सीडेंट में साइरस मिस्त्री की मौत हो गई. 

विवाद के बाद दोनों के रिश्ते कभी सामान्य नहीं हुए

रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के रिश्ते कभी सामान्य नहीं हुए. साइरस मिस्त्री को श्रद्धांजलि देने या अंतिम संस्कार में भी रतन टाटा नहीं पहुंचे. टाटा संस से भी कोई नहीं गया. रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन टाटा जरूर पहुंची थी. पल्लोनजी और साइरस के बाद परिवार के बड़े बेटे शापूरजी मिस्त्री ग्रुप के चेयरमैन हैं. श्रद्धांजलि देते हुए शापोरजी ने कहा कि रतन टाटा के चले जाने से एक युग का अंत हुआ. 

साइरस मिस्त्री रतन टाटा के करीब 35 साल लंबे बोर्ड रूम बैटल का सबसे विवादित किस्सा है लेकिन उन्होंने ऐसे कई बैटल झेले और जीते. टाटा स्टील, टाटा केमिकल्स और इंडियन होटल्ड टाटा ग्रुप की तीन और बड़ी कंपनियां हैं. 1991 में चेयरमैन बनने पर रतन टाटा ने धमाका किया था. टाटा स्टील से रूसी मोदी, टाटा केमिकल्स से दरबारी सेठ और इंडियन होटल्स के अजीत केलकर को बाहर किया. तब तीन कंपनियों की सत्ता पर तीनों दिग्गज एकछत्र राज चला रहे थे जिसे ग्रुप की तरक्की के लिए घातक मानकर रतन टाटा ने चलने नहीं दिया. 

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