Justice Sanjiv Khanna: कौन हैं जस्टिव संजीव खन्ना, जो बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस? जानिए

सुमित पांडेय

ADVERTISEMENT

भारत के नए चीफ जस्टिस होंगे संजीव खन्ना.
sanjeev_khanna
social share
google news

Justice Sanjiv Khanna Replacing CJI DY Chandrachud: भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर में सेवानिवृत्त हो रहे हैं, और उनके उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना को नामित किया गया है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने 12 अक्टूबर को केंद्र सरकार को जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी. 10 नवंबर को चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना सीजेआई का पदभार संभालेंगे. उनका कार्यकाल मई 2025 तक रहेगा. उनके कार्यकाल के दौरान वे लगभग 6 महीने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं देंगे.

12 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने CJI चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा, जिसमें उनसे अपने उत्तराधिकारी का नाम देने का अनुरोध किया गया था. डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 को मुख्य न्यायाधीर के रूप में पदभार संभाला था. परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय CJI के रिटायरमेंट से लगभग एक महीने पहले उन्हें पत्र लिखता है. जिसमें उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगा जाता है. इसके बाद वर्तमान CJI मंत्रालय को सिफारिश भेजते हुए अपना जवाब देते हैं. मौजूदा CJI की सिफारिश के बाद, सरकार की ओर से जल्द ही जस्टिस खन्ना को 11 नवंबर से अगले CJI के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दिया है. 

जस्टिस संजीव खन्ना का कानूनी करियर

जस्टिस संजीव खन्ना का कानूनी करियर बेहद महत्वपूर्ण और प्रभावशाली रहा है. 1983 में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल के साथ अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस की, जिसके बाद वह दिल्ली हाईकोर्ट में भी वकालत करते रहे. संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, कमर्शियल लॉ, आपराधिक कानून और कंपनी लॉ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उनकी प्रैक्टिस ने उन्हें विशेष कानूनी अनुभव और पहचान दिलाई.

ADVERTISEMENT

जस्टिस खन्ना ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में भी कार्य किया. इसके अलावा, वह आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील भी रहे. उनकी विशेषज्ञता आपराधिक कानून में भी रही, जहां उन्होंने कई मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट की सहायता की. उन्होंने अक्सर एमिकस क्यूरी के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

दिल्ली हाईकोर्ट में रही खास भूमिका

जस्टिस खन्ना को 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और 2006 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने दिल्ली न्यायिक अकादमी, दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र और जिला न्यायालय मध्यस्थता केंद्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी कानूनी समझ और न्यायिक जिम्मेदारियों के चलते उन्हें जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने किसी भी उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य नहीं किया, जो उनके लिए एक अनोखी स्थिति रही.

केजरीवाल को अंतरिम जमानत जस्टिस खन्ना ने दी

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस खन्ना ने कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं. उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी, जिससे उन्हें लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार करने की अनुमति मिली. इस फैसले ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया. इसके अलावा दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े एक अन्य मामले में, उन्होंने पीएमएलए मामलों में जमानत की वैधता पर बल दिया.

ADVERTISEMENT

गन्ना आंदोलन से बनी थी नायब सिंह सैनी की नेता के तौर पर पहचान, 2014 में पहली बार MLA, 10 साल बाद बने CM

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर बड़ा फैसला

जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता में एक पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़े मामलों में भी फैसला सुनाया, जिसमें 100% वीवीपैट सत्यापन की मांग को अस्वीकार किया गया. इसके साथ ही, वे जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 के निरसन को बरकरार रखने वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ का भी हिस्सा थे. इस निर्णय में उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 370 भारत की संघीय संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा था, लेकिन यह जम्मू-कश्मीर के लिए संप्रभुता का संकेत नहीं देता था.

ADVERTISEMENT

सिर्फ छह महीने का होगा कार्यकाल 

नए सीजेआई के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना के पास संवैधानिक और आपराधिक कानून में गहरा अनुभव है. उन्होंने भारत के न्यायिक क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है. अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनसे न्यायपालिका में सुधार और पारदर्शिता को और मजबूत करने की उम्मीद की जा रही है. उनका कार्यकाल मई 2025 तक रहेगा और इस दौरान उन्हें कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामलों का सामना करना होगा.

ये भी पढ़ें: केंद्रीय कर्मचारियों को मिल गई दिवाली से पहले बड़ी खुशखबरी, DA में इजाफा होने से बढ़कर मिलेगी सैलरी

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT