अस्पताल में प्रेग्नेंट महिलाओं की जांच के वीडियो लीक, सोशल मीडिया पर इसे 1500 रुपए तक में बेच रहे
अस्पताल में महिलाओं की जांच के वीडियो सोशल मीडिया पर 999 से 1500 रुपए तक में बेचे जा रहे हैं. नारी अस्मिता की सोशल मीडिया पर सरेआम नीलामी की जा रही है.
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महाकुंभ में महिलाओं-युवतियों के नहाने और कपड़े बदलने के वीडियो की सोशल मीडिया पर सौदेबाजी के खुलासे के बाद एक और मामला सामने आया है. यहां नारी अस्मिता को चोट पहुंचाने वाले बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है. इस रैकेट को अस्पताल के प्रसूती विभाग के सीसीटीवी फुटेज को लीक कर सोशल मीडिया पर सौदा करते देखा गया है.
अस्पताल में महिलाओं की जांच के वीडियो सोशल मीडिया पर 999 से 1500 रुपए तक में बेचे जा रहे हैं. नारी अस्मिता की सोशल मीडिया पर सरेआम नीलामी की जा रही है. इस घटना ने लोगों को हिला कर रख दिया है. मामले का खुलासा होने के बाद उस अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है जहां से ये वीडियो लीक हुए हैं.
गुजरात के राजकोट का है ये मामला
गुजरात के राजकोट में एक प्रसूति अस्पताल में महिला मरीजों के मेडिकल जांच के दौरान रिकॉर्ड किए गए कई निजी वीडियो यूट्यूब चैनल पर सामने आए और उन्हें बेचने के लिए टेलीग्राम चैनल का इस्तेमाल किया गया. इस घटना के सामने आने के बाद भारी आक्रोश फैल गया. अस्पताल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
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महाकुंभ के थंबनेल का किया इस्तेमाल
पायल मैटरनिटी अस्पताल के सात वीडियो यूट्यूब चैनल मेघा एमबीबीएस पर अपलोड किए गए. इन्हें टेलीग्राम लिंक के जरिए 999 रुपये से लेकर 1,500 रुपये तक के शुल्क पर एक्सेस करने का ऑफिर दिया गया. पुलिस ने कहा कि टेलीग्राम अकाउंट ने दर्शकों को लुभाने के लिए अपने थंबनेल में महाकुंभ में महिलाओं के स्नान करने के फुटेज का भी इस्तेमाल किया.
गुजरात पुलिस के अनुसार, वीडियो सीसीटीवी फुटेज लग रहे हैं. इसमें महिला मरीजों की एक बंद कमरे में एक महिला डॉक्टर द्वारा जांच की जा रही है, या एक नर्स से इंजेक्शन लिया जा रहा है.
सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर अपराध) हार्दिक मकाडिया के मुताबिक आरोपी ने यूट्यूब चैनल पर ऐसे सात वीडियो अपलोड किए थे और विवरण में एक टेलीग्राम समूह का लिंक दिया था. उस समूह के सदस्यों से इसी तरह के वीडियो देखने के लिए शुल्क देने को कहा गया था. सदस्यों को सदस्यता शुल्क देने के लिए आकर्षित करने के लिए, आरोपी ने इसी तरह के वीडियो के स्क्रीन ग्रैब साझा किए थे."
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प्रारंभिक जांच से पता चला है कि टेलीग्राम समूह पिछले साल सितंबर में बनाया गया था, जबकि यूट्यूब चैनल इस साल जनवरी में लॉन्च किया गया था. पुलिस के अनुसार, चैनल को बढ़ावा देने वाले टेलीग्राम समूह में 90 से अधिक सदस्य थे. मकाडिया ने कहा, "ऐसे ही एक वीडियो में एक नर्स और महिला मरीज को गुजराती में बात करते हुए सुना जा सकता है."
अस्पताल के अधिकार ने किया ये दावा
राजकोट के पायल अस्पताल के एक अधिकारी ने दावा किया कि सीसीटीवी सिस्टम हैक हो सकता है. अस्पताल के अधिकारियों ने संवाददाताओं से कहा, "किसी ने अवैध रूप से हमारे वीडियो एक्सेस किए होंगे. हमने कुछ भी गलत नहीं किया है और पुलिस जांच में पूरा सहयोग करेंगे." हालांकि, अस्पताल ने यह नहीं बताया कि सीसीटीवी कैमरा उस कमरे में क्यों लगाया गया था, जहां महिलाओं की निजता से समझौता हो सकता था.
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स्टोरी: रौनक मजीठिया
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