अजीत पवार के छोटे बेटे जय पवार की हो सकती है पॉलिटिकल लॉन्चिंग, अपने ही फेमिली मेंबर के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव

रूपक प्रियदर्शी

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Maharashtra Election: पहले महाराष्ट्र में शरद पवार अकेले पवार होते थे. फिर भतीजे अजित पवार ने राजनीति की सीढ़ियां चढ़ी तो दो पवार हो गए. फिर पवार की बेटी सुप्रिया आईं. शादी के बाद सुले हो गईं. फिर पवार के एक और भतीजे रोहित पवार आए. 2024 के लोकसभा चुनाव में अजित पवार अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को ले आए. ये भी हो सकता है कि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार कई पवार चुनाव ही न लड़े और कई नए पवार चुनाव में उतरें. 

शरद पवार अब चुनाव नहीं लड़ते हैं. सुप्रिया सुले लोकसभा पहुंच गईं. सुनेत्रा पवार राज्यसभा सांसद बन चुकी हैं. अजित पवार भी इशारा कर रहे हैं कि हो सकता है वो भी चुनाव न लड़ें. इससे पवार परिवार की नेक्स्ट जेनरेशन के लॉन्चिंग का प्लॉट बन रहा है. कोई NCP अजित से लड़ेगा तो कोई NCP शरद पवार पार्टी से. सारे एक ही परिवार से होंगे लेकिन लड़ेंगे एक-दूसरे के खिलाफ. 6 महीने में फिर लड़ाई के सेंटर में होगी पवार फैमिली के गढ़ बारामती पर कब्जे की लड़ाई.

अजित पवार की राजनीति है डांवाडोल!

चाचा शरद पवार से बगावत करने के बाद करके अजित पवार बीजेपी की शह से डिप्टी सीएम तो बन गए लेकिन राजनीति बहुत डांवाडोल चल रही है. राजनीतिक गलियारे में चर्चा आम है कि कहीं बीजेपी चुनाव तक अजित पवार को डंप न कर दे. ऐसा हुआ तो अजित पवार कहीं के नहीं रहेंगे. MVA में घुसना नामुमकिन है. अकेले कभी दमखम का टेस्ट दिया नहीं. 

आगे-पीछे का सब सोच-समझकर अजित पवार नए सिरे से राजनीति धीरे-धीरे बढ़ा रहे हैं. इसी मकसद से निकाली है जन सम्मान यात्रा. चांस बन रहा है कि अजित पवार खुद नहीं लड़े तो छोटे बेटे जय पवार की पॉलिटिकल लॉन्चिंग करें. बड़े बेटे पार्थ पवार की सॉफ्ट पॉलिटिकल लॉन्चिंग अजित पवार करा चुके हैं. अब बारी है छोटे की. 

जन सम्मान यात्रा में फ्रन्ट पर दिखे जय पवार 

अजित पवार की जन सम्मान यात्रा जब बारामती पहुंची थी तो यात्रा के आगे-आगे जय पवार बाइक पर सवार थे. पॉलिटिकल एंट्री का दावा ठोंकते हुए कहा कि बारामती के लोगों के लिए वही करना चाहते हैं जो पिता अजित पवार कर रहे हैं. बारामती के युवा चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूं लेकिन चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा. संसदीय बोर्ड से किसी ने जय पवार की उम्मीदवारी कन्फर्म नहीं की है.  

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बारामती में ऐसे पोस्टर जगह-जगह दिख रहे हैं जिसमें अजित दादा को महाराष्ट्र का अगला सीएम बताया जा रहा है. जय पवार ने भी कन्फर्म किया है कि हम भी अजित दादा को सीएम बनाने के लिए ही काम कर रहे हैं. बारामती सीट से अजित पवार 1991 से चुनाव जीत रहे हैं. अजित पवार ने ऐसे भी बयान दिए कि 7-8  चुनाव लड़ लिए. अब और चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है. 

माना ये भी जा रहा है कि बारामती में अजित पवार के लिए कोई बहुत अच्छा माहौल नहीं हैं. हार जाएं इससे बेहतर है कि बेटे पर दांव लगाया जाए. न्यू कमर की हार से झटका भी नहीं लगेगा. बेटे की लॉन्चिंग भी हो जाएगी. जय पवार पिछले कई महीनों से बारामती में कैंप किए हुए हैं. बारामती में अजित दादा के वारिस के तौर पर जय दादा वाली इमेज गढ़ी जा रही है. गांव-गांव घूमने से लेकर जनता दरबार तक जय दादा का लगता है.

अब जानिए जय पवार के बारे में

28 साल के जय पवार दुबई में रहकर फैमिली बिजनेस संभालते रहे. पिता की बगावत और अलग NCP बनने तक वो राजनीति से दूर रहे. अजित पवार के हाथ एनसीपी आ गई तब जय पवार देश लौटे. पार्टी मामलों और बारामती की राजनीति पर फोकस शुरू किया. लोकसभा चुनाव में बारामती में मां के लिए घनघोर प्रचार किया था. 

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अजित पवार लड़ें या जय पवार-शरद पवार की ओर से भी तगड़ी तैयारी हो रही है. चर्चा तेज है कि शरद पवार अजित पवार के छोटे भाई श्रीनिवास पवार के बेटे युगेंद्र पवार को बारामती से लड़ाने की सोच रहे हैं. अगर अजित पवार लड़े तो चाचा-भतीजे की लड़ाई होगी. अगर अजित ने बेटे जय को उतारा तो दो चचेरे भाइयों में जंग होगी. पवार वर्सेस पवार का गंदा खेल अजित पवार ने ही शुरू किया था बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव लड़वाकर. डेढ़ लाख वोटों से सुनेत्रा की हार के बाद अजित पवार ने अफसोस जताया लेकिन सब हो जाने के बाद. 

शरद पवार के साथ होते हुए अजित पवार बेटे पॉर्थ पवार की लॉन्चिंग का असफल प्रयास कर चुके हैं. अजित पवार के कहने पर शरद पवार ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्थ पवार को मावल लोकसभा सीट से टिकट दिया था लेकिन शिवसेना से हार गए थे. बारामती चुनाव में चर्चा चली कि अगर सुनेत्रा नहीं लड़ी तो अजित पवार पार्थ को उतार सकते हैं. अजित पवार बेटे को एक और टेस्ट मैच में भेजने से बचे. पत्नी को जिताने का प्रयोग भी असफल रहा. अभी साफ नहीं कि विधानसभा चुनाव में अगर जय पवार बारामती से लड़े तो पार्थ पवार का क्या होगा.

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