तीसरे टर्म में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' लागू कर देंगे PM मोदी! कांग्रेस ने पूछा- बहुमत कहां है, पेच फंसेगा?

अभिषेक

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One Nation One Election: लोकसभा चुनाव में NDA गठबंधन की जीत के बाद बनी मोदी 3.0 सरकार के 100 दिन पूरे हो रहे है. मोदी सरकार का पिछले दो टर्म में सरकार बनने के बाद 100 दिनों का स्पेशल एजेंडा रहा है. इस बार भी चुनाव के बीच PM मोदी ने 125 दिन के एजेंडे की बात की थी जिसमें युवाओं के लिए स्पेशल 25 दिन रखने बात थी. हालांकि अभी तक इस एजेंडे को लेकर कोई ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं हुई है. इन्हीं सब के बीच ये चर्चा है कि, मोदी सरकार 3.0 में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' लागू किया जाएगा. पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में, PM मोदी ने 'One Nation, One Election' को लागू करने की बात कही थी. उन्होंने सभी राजनैतिक दलों से इस पर एकसाथ आने का आग्रह किया था. 

आपको बता दें कि, एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, 'वन नेशन, वन इलेक्शन' निश्चित रूप से मोदी सरकार के इसी कार्यकाल में लागू किया जाएगा.' हालांकि कांग्रेस ने इस पर एक बड़ा दावा कर दिया है. विपक्षी पार्टी का कहना है कि, बीजेपी सरकार के पास ऐसा करने के लिए बहुमत नहीं है. 

क्या है 'वन नेशन वन इलेक्शन'?

'वन नेशन, वन इलेक्शन' का मतलब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का चुनाव एक साथ हो. यानी पूरे देश में एक दिन, एक ही साथ वोट डाला जाएगा. इसके साथ पंचायत से लोकसभा चुनाव तक एक वोटर लिस्ट का भी आइडिया है. हाल के समय में PM मोदी और बीजेपी पार्टी इसे लागू करने को लेकर काफी ऐक्टिव दिखे है. इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई जिसने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी थी. 

वैसे आपको बता दें कि, वन नेशन वन इलेक्शन कोई नया आइडिया नहीं है. आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे. 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग करने के बाद 1970 से ये सिस्टम टूट गया. अब देश भर में एक साल में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे होते हैं.

रामनाथ कोविन्द की कमेटी ने सौंप दी थी रिपोर्ट 

वन नेशन वन इलेक्शन पर बनी पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाले हाई लेवल कमेटी ने इस साल मार्च में पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की. इसके साथ ही 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गई. कमेटी ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं से अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद से पारित कराना होगा. 

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कांग्रेस का दावा विधेयक पास कराने के लिए बीजेपी के पास नहीं है बहुमत 

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चल रही इस बहस के बीच बीते दिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बड़ी बात कही है. चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिदंबरम ने कहा कि, 'वर्तमान संविधान के तहत एक राष्ट्र एक चुनाव संभव नहीं है और मोदी सरकार के पास 5 संवैधानिक संशोधन पास कराने के लिए बहुमत नहीं है.' उन्होंने बताया कि, ये जानकारी उन्हें किसी सरकारी सूत्र ने बताई. यानी की कांग्रेस का ये दावा है कि, 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लागू कराने के लिए बीजेपी-NDA सरकार के लिए जो बहुमत चाहिए वो उसके पास नहीं है. 

कैसे होता है संविधान में संशोधन? क्या बीजेपी के पास नहीं है बहुमत?

एक देश, एक चुनाव मामले में संविधान संशोधन सिंपल मेजॉरिटी से होगा. इसके लिए संसद की यानी लोक सभा और राज्य सभा में आधे से अधिक सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है. वर्तमान में बीजेपी के पास अकेले दम पर मेजॉरिटी नहीं है. पार्टी नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और चंद्रबाबू नायडू की TDP के साथ गठबंधन में सरकार बनाए हुए है. बीजेपी के सहयोगी नीतीश कुमार ने वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने के पक्ष में समर्थन दिया है लेकिन चंद्रबाबू नायडू की तरफ से कोई रुख नहीं आया है. दिलचस्प बात ये है कि, बहुमत के लिए बीजेपी उनपर आश्रित है. यानी की बीजेपी के पास अभी भी स्पष्ट बहुमत नहीं है. 

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