फिर फंसी महुआ मोइत्रा, चली जाएगी सांसदी? जानिए पूरा मामला और क्या कहता है नया कानून
महुआ मोइत्रा के खिलाफ राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अभद्र टिप्पणी को लेकर मुकदमा दर्ज कराया है. कहा जा रहा है इसके कारण महुआ की संसद सदस्यता रद्द की जा सकती है.
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Mahua Moitra: टीएमसी सांसद महुआ मोईत्रा फिर एक बार मुसिबत में फंसती नजर आ रही हैं. दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. महुआ के खिलाफ राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अभद्र टिप्पणी को लेकर मुकदमा दर्ज कराया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक भारतीय न्याय संहिता के तहत ये पहली एफआईआर दर्ज की गई है.
राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से महुआ के खिलाफ दिल्ली पुलिस के सामने शिकायत की गई थी. इसी के तहत टीएमसी सांसद पर मुकदमा दर्ज हुआ है. ये मुकदमा स्पेशल सेल ने दर्ज किया है. कहा जा रहा है इसके कारण महुआ की संसद सदस्यता रद्द की जा सकती है. लेकिन क्या है मामला जिसको लेकर महुआ फिर मुसिबत में फंस गई हैं आईए जानते हैं.
क्या है मामला?
2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई थी और भगदड़ मच गई थी. भगदड़ इतनी भयंकर थी कि इसमें 121 लोगों की मौत और कई लोग घायल हो गए. मृतकों में ज्यादार महिलाएं और बच्चे थे.
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हादसे के दो दिन बाद राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा हाथरस पहुंची थी. इस दौरान उनके पीछे एक शख्स को छाता लेकर चलता देखा गया था. वीडियो सामने आने पर महुआ मोइत्रा ने एक अभद्र टिप्पणी कर दी थी. हालांकि उसके बाद उन्होंने उसे डिलीट भी कर दिया था.
महुआ मोइत्रा के बयान पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने कड़ी आपत्ति जताई थी और दिल्ली पुलिस को इसको लेकर शिकायत दर्ज करवाई. उन्होंने कहा कि टीएमसी सांसद की टिप्पणी बेहद अपमानजनक है और महिलाओं के सम्मान के साथ जीने के अधिकार का सरासर उल्लंघन है. इतनी ही नहीं आयोग ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है और तीन दिन के भीतर एक्शन रिपोर्ट भी मांगी है.
कितनी सजा हो सकती है?
महुआ मोइत्रा पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 79 के तहत आरोप दर्ज किया गया है. धारा 79 कहती है कि जो कोई भी महिला की गरिमा को अपमानित या ठेस पहुंचाता है तो दोषी पाए जाने पर जेल की सजा होगी. इसे तीन साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है. इसमें दोषी पाए जाने पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
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सदस्यता होगी रद्द?
कानून के तहत अगर कोई विधायक या सांसद पर आपराधिक मामले में दो साल या उससे अधिक समय की सजा होती तो तुरंत उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है. 1951 में आए जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(3) में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाएगी. इसके अलावा, सजा पूरी होने के बाद अगले छह साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है.
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अगर सांसद महुआ मोइत्रा दोषी पाई जाती हैं और उनकी दो या उससे अधिक सालों की सजा होती है तो उनकी सदस्यता चली जाएगी.
पहले भी संसद सदस्यता रद्द की जा चुकी है
पिछले साल टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा 'कैश फॉर क्वेरी' मामले में फंसी थी. झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ के खिलाफ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक चिट्ठी लिखी था. चिट्ठी में आरोप ये था कि महुआ ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर गौतम अडानी के खिलाफ संसद में सवाल पूछे. महुआ ने हीरानंदानी को संसद की लॉगइन आईडी और पासवर्ड भी दिया, जो सदन के नियमों के खिलाफ है. इस मामले में महुआ एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुई थीं जिसमें उन्हें दोषी पाया गया. कमेटी ने उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की थी. इसके बाद 8 दिसंबर 2023 को उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
महुआ ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताते हुए खुद को निर्दोष बताया था. हालांकि महुआ मोइत्रा ने माना था कि उन्होंने हीरानंदानी को पासवर्ड दिया था.
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