महुआ मोइत्रा को ममता बनर्जी ने जिलाध्यक्ष बनाया, इससे पार्टी के अंदर उनका कद बढ़ा या घट गया?
झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ पर ‘पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने’ का आरोप लगाया था. उनपर कारोबारी दर्शन हिरानंदानी को अपनी संसद की लॉगिन आईडी शेयर करने का भी आरोप है.
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Mahua Moitra News: तृणमूल कांग्रेस(TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा को पार्टी ने पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर जिले का अध्यक्ष बनाया है. यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब महुआ कैश फॉर क्वेरी यानी सवाल के बदले पैसा लेने के मामले में घिरी हुई हैं. एथिक्स कमेटी ने उनकी संसद सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ पर गिफ्ट और कैश लेकर कारोबारी हीरानंदानी के पक्ष में सवाल पूछने का आरोप लगाया था. बीते दिनों इस बात की चर्चा तेज रही कि महुआ जब इन आरोपों का सामना कर रही थीं, तो TMC ने उन्हें उनकी लड़ाई में अकेला छोड़ दिया. अब चर्चा यह है कि महुआ को एक जिले का अध्यक्ष बना क्या पार्टी ने उनके साथ खड़े होने का संदेश दिया है या उन्हें साइड कर दिया है?
महुआ मोइत्रा ने जिलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर TMC सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का धन्यवाद किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि,’मुझे कृष्णानगर जिले का प्रेसिडेंट नियुक्त करने पर ममता बनर्जी और पार्टी का धन्यवाद. मैं हमेशा पार्टी के साथ कृष्णानगर के लोगों के लिए काम करूंगी’.
Thank you @MamataOfficial and @AITCofficial for appointing me District President of Krishnanagar (Nadia North) .
Will always work with the party for the people of Krishnanagar.— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) November 13, 2023
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महुआ को जिलाध्यक्ष बनाना दो संभावनाएं बताता है, दूसरी वाली इनके लिए ठीक नहीं
महुआ का कद घटा या बढ़ा इसे समझने के लिए हमने अपने सहयोगी इंडिया टुडे टीवी के कोलकाता ब्यूरो एडिटर इंद्रजीत कुंडू से बात की. उन्होंने बताया कि, ‘पिछले दिनों महुआ को लेकर जो भी घटनाक्रम हुआ उससे तृणमूल कांग्रेस में उनकी पोजीशन पर सवाल उठ रहे थे. पार्टी के अंदर भी उनपर दो तरह की राय थी. यही वजह थी की पार्टी महुआ को इतने दिनों से बैक नहीं कर रही थी. महुआ ने जिस तरह अकेले अपनी लड़ाई लड़ी, उन्होंने पार्टी को उनका साथ देने को मजबूर कर दिया.’
इंद्रजीत आगे कहते हैं कि, ‘पिछले दिनों जब अभिषेक बनर्जी इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ED) के समक्ष पेश हुए थे तब उन्होंने ये कहा था कि महुआ अपनी लड़ाई खुद लड़ सकती हैं. यह पहला मौका था जब पार्टी के किसी बड़े नेता ने उनपर ऐसी बात कही हो. जब महुआ एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुईं और रोते हुए बाहर निकलीं, तो पार्टी को ऐसा लगा की वह इसका सियासी फायदा उठा सकती है. यही वजह है कि पार्टी ने उनपर भरोसा जताते हुए कृष्णानगर का अध्यक्ष बनाया है. इससे पहले उनके क्षेत्र के विधायक और नेता उनके खिलाफ थे. लेकिन पार्टी ने महुआ को जिलाध्यक्ष बनाकर उन्हें साफ संदेश दे दिया है कि पार्टी उनके समर्थन में है.’
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इंद्रजीत ने पार्टी के इस कदम पर दो संभावनाएं जताईं. पहली ये की पार्टी ने उन्हें जिम्मेदारी देकर ये जता दिया है कि 2024 में उन्हें टिकट भी मिलने वाला है. वहीं, दूसरी तरफ ये कि पार्टी उन्हें सांगठनिक जिम्मेदारी देकर ग्राउन्ड वर्क पर फोकस कराना चाहती है और अगले चुनाव में शायद उन्हें टिकट न मिले. वैसे वह यह भी कहते हैं कि अभी सूत्र यही बता रहे हैं कि महुआ को 2024 के चुनाव में टिकट भी मिलेगा.
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पार्टी में क्या होती है जिलाध्यक्ष की भूमिका
किसी भी पार्टी में जिलाध्यक्ष का पद बहुत महत्वपूर्ण होता है. उसपर पूरे जिले के सांगठनिक ढांचे की जिम्मेदारी होती है. लोगों को जोड़ने से लेकर टिकट बंटवारे तक सभी में उनकी अहम भूमिका होती है.
महुआ पर ये हैं आरोप
झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ पर ‘पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने’ का आरोप लगाया था. उनपर कारोबारी दर्शन हिरानंदानी को अपनी संसद की लॉगिन आईडी शेयर करने और सवाल पूछने का भी आरोप है. निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर ये भी दावा किया था कि, लोकपाल ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपा है. वैसे अबतक इसे लेकर कोई दूसरी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. महुआ के खिलाफ शिकायत के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने उनपर लगे आरोपों की जांच एथिक्स कमेटी को सौंपी थी. अब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट स्पीकर को दे दी है. इसमें कमेटी ने बहुमत से महुआ की संसद सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की है. वैसे महुआ ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को निराधार और समिति की जांच को स्क्रिप्टेड भी बताया है.
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