महाराष्ट्र में NDA का सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय, कौन-कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, साफ हुई तस्वीर
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान हो गया है. इसके साथ महाविकास अघाड़ी और महायुति में सीट शेयरिंग को लेकर भी बातचीत तेज हो गई है. महायुति में सीटों पर मंथन आखिरी दौर में है. इसी सिलसिले में शुक्रवार देर रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने करीब ढाई घंटे बैठक ली.
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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान हो गया है. इसके साथ महाविकास अघाड़ी और महायुति में सीट शेयरिंग को लेकर भी बातचीत तेज हो गई है. महायुति में सीटों पर मंथन आखिरी दौर में है. इसी सिलसिले में शुक्रवार देर रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने करीब ढाई घंटे बैठक ली. इस बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दोनों डिप्टी सीएम अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक, महायुति के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर 260 सीटों पर सहमति बन गई है. 28 सीटों पर बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के बीच दावे-प्रतिदावे का मामला चल रहा है.
260 सीटों पर बनी सहमति
महायुति में 260 सीटों पर सहमति बन गई है. इनमें बीजेपी के लिए 142 सीटें, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के लिए 66 सीटें और अजित पवार की एनसीपी के लिए 52 सीटें तय की जा चुकी है. बची हुई 28 सीटों पर दावे-प्रतिदावे का मामला चल रहा है. राज्य विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं.
बीजेपी है महायुति में सबसे बड़ा दल
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें हैं. राज्य में महायुति गठबंधन की सरकार है, इसमें बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) शामिल है. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 105 सीटें जीती थीं. इस बार भी महायुति पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरने जा रही है. वर्तमान में बीजेपी के 103 विधायक हैं. शिवसेना (शिंदे) के पास 40 विधायक और एनसीपी (अजित) के पास 43 विधायक हैं.
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20 नवंबर को होंगे चुनाव
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. पिछले चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. हालांकि, चुनाव के बाद शिवसेना एनडीए से अलग हो गई और उसने एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली.
पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने. इसके बाद जून 2022 में शिवसेना में आंतरिक कलह के बाद पार्टी 2 गुट में बंट गई. एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 40 विधायकों को तोड़ दिया और बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. इसी तरह शरद पवार की एनसीपी भी दो गुट- शरद पवार और अजित पवार में बंट गई है.
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