महाराष्ट्र में चुनाव वाले दिन प्रणीति शिंदे ने कर दिया बड़ा खेल, फंसा कौन? जानिए 

रूपक प्रियदर्शी

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praniti shinde
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Maharashtra Election: महाराष्ट्र की सोलापुर साउथ सीट को लेकर एमवीए में शुरू से बड़ी तकरार रही. शिवसेना यूबीटी जिद पर अड़ी थी कि सीट हम लेंगे. सोलापुर के कांग्रेसी दिग्गज सुशील कुमार शिंदे और प्रणीति शिंदे इस हक में नहीं थे कि कांग्रेस के हाथ से सीट निकल जाए. तकरार होती रही. राहुल गांधी को प्रणीति शिंदे का लॉजिक जोरदार लगा. कांग्रेस ने सीट का दावा नहीं छोड़ा. 

सुशील कुमार और प्रणीति शिंदे ने निर्दलीय उम्मीदवार का किया समर्थन 

एमवीए की फ्रेंडली सीट कन्फर्म थी लेकिन नामांकन के समय जो हुआ वो सुशील कुमार शिंदे और प्रणीति शिंदे की मर्जी के खिलाफ हुआ. कांग्रेस ने घोषित उम्मीदवार पूर्व विधायक दिलीप माने को पार्टी का सिंबल, AB फॉर्म नहीं दिया. मतलब कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार हटा दिया. शिवसेना यूबीटी के अमर रजनीकांत पाटिल एमवीए के उम्मीदवार बन गए. कांग्रेस के हितों के नाम पर सुशील कुमार शिंदे, प्रणीति शिंदे अड़े रहे. जब वोटिंग की बारी आई तो सुशील कुमार शिंदे और प्रणीति शिंदे ने खेल कर दिया. अगर दिलीप माणे नहीं तो अमर रजनीकांत पाटिल भी नहीं. ऐन चुनाव वाले दिन शिंदे ने निर्दलीय उम्मीदवार धर्मराज कराडी के समर्थन का एलान कर दिया. 

बीजेपी से कांग्रेस में आए कराडी को नहीं मिल पाया था टिकट 

धर्मराज कराडी बीजेपी से कांग्रेस में आए थे. इस उम्मीद में कि टिकट मिलेगा लेकिन गठबंधन धर्म के चक्कर में कहीं के नहीं रहे. निर्दलीय लड़ना पड़ा. कराडी की कहानी है कि सोलापुर साउथ में लिंगायत समुदाय की ठीकठीक आबादी है. कराडी भी लिंगायत हैं. लिंगायतों के भरोसे कराडी चुनाव में कूद पड़े. जिस सीट पर इतना बड़ा खेल शिंदे ने किया वहां प्रचार करने के लिए कांग्रेस ने रेवंत रेड्डी, ,सिद्धारमैया, डीके शिव कुमार कैंपेन करने आए थे. प्रणीति सबके साथ रहीं.

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शिंदे और कांग्रेस कुछ ऐसे करेंगे, इसकी भनक शिवसेना यूबीटी को लग चुकी थी. 11 नवंबर को अमर पाटिल के लिए उद्धव ठाकरे रैली करने आईं तो प्रणीति शिंदे हाजिरी लगाने भी नहीं आईं. कहा जाता है कि सोलापुर साउथ के कारण उद्धव ठाकरे प्रणीति शिंदे से नाराज चल रहे हैं. 

निर्दलीय और MVA की लड़ाई में बाजी न मार ले बीजेपी

जो इलाके नेता या परिवार के गढ़ माने जाते हैं वहां समर्थन की ऐसी अपील के मायने बड़े होते हैं. क्या पता सुशील कुमार और प्रणीति शिंदे के एमवीए उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय धर्मराज कराडी के समर्थन करने से पूरा समर्थन ही पलट जाए? इसमें खतरा बस ये है कि कहीं खींचतान में महायुति के बीजेपी उम्मीदवार सुभाष देशमुख बाजी न मार लें. अगर अमर रजनीकांत नहीं भी जीते और धर्मराज कराडी जीते तब भी सोलापुर साउथ कांग्रेस के कोटे में रहेगी. इसी गुणा-गणित से कोल्हापुर नॉर्थ सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवार मधुरिमा राजे के नामांकन वापस लेने के बाद एमवीए ने कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार राजेश लाटकर को अपनाया.

कहीं भारी न पड़ जाए शिवसेना यूबीटी की जबरदस्ती दावेदारी 

सोलापुर साउथ सीट पर शिवसेना यूबीटी ने हठयोग किया. कोई हक बनता नहीं था. 2004 में सुशील कुमार शिंदे इसी सीट से विधायक का चुनाव जीते थे. 1962 से 2014 के बीच केवल 1980 में कांग्रेस सोलापुर साउथ में हारी. शिंदे जिस दिलीप माने के लिए टिकट मांग रहे थे वो 2009 में जीते थे. शिवसेना का नंबर कभी लगा नहीं. चीजें बदलने लगी 2014 से. 

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2014 और 2019 में विधानसभा सीट बीजेपी के सुभाष देशमुख जीते लेकिन लोकसभा चुनाव में पासा पलट गया. सोलापुर साउथ सीट पर लीड कांग्रेस की प्रणीति शिंदे ने बनाई थी. इसीलिए सुशील और प्रणीति शिंदे अड़े हुए थे कि सीट यूबीटी के पास जानी नहीं चाहिए लेकिन गठबंधन धर्म के नाम पर हाईकमान ने उद्धव ठाकरे की बात मानकर अपना उम्मीदवार हटा लिया. जब पार्टी ने साथ नहीं दिया तो पिता-बेटी ने एक्स्ट्रीम स्टेप उठाकर निर्दलीय का समर्थन कर दिया.  

क्या प्रणीति शिंदे की बगावत पर होगी कार्रवाई?

सुशील कुमार शिंदे और प्रणीति ने खुलकर जो किया वो मानी तो जाएगी बगावत. महाराष्ट्र कांग्रेस इन्चार्ज रमेश चेन्निथला ने वादा किया था कि गठबंधन के धर्म का पालन किया जाएगा. जो पालन नहीं करेंगे, उस पर सख्त कार्रवाई होगी लेकिन सवाल है शिंदे के स्ट्रैचर का. सुशील कुमार शिंदे पुराने, रिटायर हो चुके कांग्रेस, गांधी परिवार के लॉयल नेता हैं. प्रणीति शिंदे राहुल की फेवरेट सांसद हैं. गठबंधन पार्टनर को खुश करने या एक सीट के लिए क्या हाईकमान इतना सख्त होगा कि शिंदे के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा?

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महाराष्ट्र में ऐसे चुनाव को सांगली मॉडल कहा जा रहा है. संजय राउत को भी भनक लग चुकी थी. उन्होंने आशंका जताई थी कि कांग्रेस सांगली मॉडल लागू करेगी. सांगली मॉडल लोकसभा से निकला. वहां भी शिवसेना यूबीटी के खेल से चुनाव जाते-जाते बचा. सांगली सीट शिवसेना यूबीटी ने जिद करके कांग्रेस से हथिया ली. कांग्रेस के बागी विशाल पाटिल निर्दलीय चुनाव में उतर गए. शिवसेना यूबीटी और महायुति दोनों को हराकर लोकसभा चुनाव जीत गए. चुनाव जीतकर वापस कांग्रेस के साथ हो लिए.

 

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