5 सवाल: क्या मोदी सरकार में विपक्ष को डराने का हथियार बनी ED? जानिए इसके काम, इससे जुड़े विवाद
सबसे प्रमुख बात ये है कि, ED ने PMLA के तहत 31 जनवरी 2023 तक कुल 5904 केस दर्ज किए हैं और मात्र 24 केस में सजा हुई है यानी 1 फीसदी मामलों में भी कन्विक्शन नहीं हुआ है. ये आंकड़ा ED को कटघरे में खड़ा करता है.
ADVERTISEMENT
5 Question on ED: इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) गठबंधन ने एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानी ED पर लगातार सवाल उठाए हैं. हाल के वर्षों में ED पर आरोप लगे कि उसने विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाया. पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में ED की टीम पर हमला भी हो गया. News Tak के खास शो ‘5 सवाल’ में इंडिया टुडे ग्रुप के Tak क्लस्टर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने ED के इतिहास, काम के तरीके, इससे जुड़े विवाद को समझाने की कोशिश की है.
ED चर्चा में क्यों?
पिछले दिनों ED पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस(TMC) के एक नेता शाहजहां शेख के यहां छापेमारी करने गई थी. तब शेख के समर्थकों ने ED अधिकारियों पर पत्थरबाजी करते हुए हमला बोल दिया. अधिकारियों को काफी चोट आई, और उनकी गाड़ियों को नुकसान पहुंचा. आनन-फानन में उन्हें अपनी जान बचाकर भागना पड़ा. यही वजह है कि ED एकबार फिर से चर्चा में आ गई है. बंगाल में विपक्षी दल TMC की सरकार है. अबतक तो विपक्ष ने ED के कामकाज की आलोचना, बयानबाजी की है, लेकिन अब पत्थरबाजी और हमले का मामला आया है. प्रदेश सरकार ने इसकी निंदा की है और FIR भी दर्ज कर ली है, लेकिन किसी केंद्रीय जांच एजेंसी के ऊपर हमले का ये पहला मामला आया है.
इसमें एक दूसरी वजह ये भी है कि, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सातवीं बार और अरविन्द केजरीवाल ने तीसरी बार ED के समन पर पेश होने से इनकार कर दिया है. विपक्ष ने ED से बचने का ये एक नया तरीका इजाद कर लिया है.
ED विपक्ष के निशाने पर है क्या?
विपक्ष बार-बार ये कह रहा है कि ED सिर्फ विपक्ष के नेताओं को निशाना बना रही है. इंडियन एक्स्प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से यानी जबसे केंद्र में बीजेपी और नरेंद्र मोदी की सत्ता आई है, तबसे ED ने कुल 121 केस दर्ज किए है. इन 121 में से 115 केस विपक्षी नेताओं पर तो सिर्फ 6 केस बीजेपी के नेताओं पर लगे हैं. इससे ये साफ है कि 90 फीसदी से ज्यादा केस विपक्ष के नेताओं पर ही दर्ज हुए हैं.
ADVERTISEMENT
2004 से 2014 तक की कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार की बात करें तो, इस दौरान ED ने कुल 19 मामले दर्ज किए. 15 विपक्ष पर और 5 कांग्रेस के नेताओं पर. यानी तब भी विपक्ष पर केस ज्यादा ही थे. हालांकि तब केस बहुत कम थे, लेकिन अब विपक्ष पर दर्ज मामलों की संख्या बहुत ज्यादा. सरकार का पक्ष ये है कि, हमारा चुनावी मुद्दा ही भ्रष्टाचार को कम करना है, उसी के मद्देनजर केन्द्रीय एजेंसियां कार्रवाई हो रही है. गृहमंत्री अमित शाह ने इसके विषय में विस्तार से आंकड़े भी दिए थे, जिससे सरकार का पक्ष भी मजबूत होता है. हालांकि विपक्ष का भी दावा अपनी जगह मजबूत है.
इन सभी के बीच बीजेपी पर ये आरोप लगता रहा है कि, अगर कोई भी नेता बीजेपी में शामिल हो जाता है तो उसके ऊपर से सभी मामले हट जाते हैं. विपक्ष कहता है कि, बीजेपी के पास एक वॉशिंग मशीन है. अगर कोई भी नेता उसके पार्टी में शामिल होना चाहता है, तो नेताओं के आरोपों को हटा दिया जाता है. इसका ताजा उदाहरण महाराष्ट्र से है. यहां नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी(NCP) पर पीएम मोदी सहित पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने ये आरोप लगाया था कि, वो हमेशा से ही करप्ट हैं. लेकिन इसके 1 हफ्ते बाद ही NCP का एक बड़ा धड़ा बीजेपी के साथ मिलकर सरकार में शामिल हो गया. तब सारे आरोप धरे के धरे रहे गए.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
ED क्या है, काम क्या है?
एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानी ED. इसका गठन 1956 में हुआ था. यह एक केन्द्रीय जांच एजेंसी है जो आर्थिक अपराधों की जांच करती है. यह मुख्य रूप से तीन कानूनों विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम(FEMA), प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट(PMLA) और भगोड़ा आर्थिक अपराधी एक्ट (FEOA) के तहत जांच करती है. यह केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के लिए काम करती है. ED के पास किसी को भी समन जारी करने, छापेमारी करने, गिरफ्तारी और संपत्ति के जब्ती का अधिकार है. वर्तमान में ED के चर्चे की सबसे बड़ी वजह प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट(PMLA) है.
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट(PMLA) क्या है?
PMLA कानून 2002 में बना और साल 2005 से लागू है. यह कानून देश में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए लाया गया था. इस कानून से पहले देश में अवैध तरीके से अर्जित किए गए पैसों के संदर्भ में कोई कानून नहीं था. जैसे यदि कोई गैरकानूनी गतिविधि करके पैसा बनाता है तो उसके लिए कोई पूर्ण कानून ही नहीं था. उसे केवल भ्रष्टाचार की ही सजा मिलती थी, पैसों के हेर-फेर के लिए कोई सजा ही नहीं थी. इन्हीं सब के लिए PMLA लाया गया था. इसके तहत 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.
सुप्रीम कोर्ट में ED को लेकर क्या विवाद है?
जब से PMLA कानून आया है, तभी से इस कानून की खूब आलोचना हो रही है. आलोचना ये है कि, ये कानून बहुत ही सख्त है. इसमें कुछ बातें है जिनपर लोगों को आपत्ति है. पहली ये कि इसमें 10 साल की सजा का प्रावधान है जो आमतौर पर 3-7 सालों की ही है. दूसरी ये कि इसके तहत अगर किसी के ऊपर कोई FIR होता है तो, उसे ये बताना जरूरी नहीं है कि किस मामले के तहत उनपर FIR दर्ज किया गया है, जबकि हर मामले में गिरफ्तारी से पहले FIR की कॉपी देना जरूरी है, ये कानूनी अधिकार भी है. इसे अभियुक्त बनाए गए आरोपियों के अधिकारों का हनन माना जा रहा है. इस मामले में किसी भी आरोपी को बेल मिलना बहुत मुश्किल है. क्योंकि आरोपी को खुद ही ये साबित करना पड़ता है कि वो निर्दोष है. वैसे सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा है कि, जब तक किसी आरोपी पर सजा साबित नहीं हो जाती तब तक आरोपी को बेल मिलना उसका कानूनी अधिकार है.
सबसे प्रमुख बात ये है कि, ED ने PMLA के तहत 31 जनवरी 2023 तक कुल 5904 केस दर्ज किए हैं और मात्र 24 केस में सजा हुई है यानी 1 फीसदी मामलों में भी कन्विक्शन नहीं हुआ है. ये आंकड़ा ED को कटघरे में खड़ा करता है.
ADVERTISEMENT