राहुल गांधी के लेख से क्यों परेशान हुई बीजेपी? वरिष्ठ पत्रकार ने बता दी अंदर की बात
Rahul Gandhi Article: राहुल गांधी ने अपने लेख में नाम लिए बिना अंबानी और अडानी जैसे बड़े व्यापारिक घरानों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे एकाधिकार के खिलाफ हैं. वे चाहते हैं कि बिजनेस में कंपटीशन बनी रहे.
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Saptahik Sabha: कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में एक लेख लिखा. राहुल गांधी का ये लेख देश के सभी अखबारों में देश की सभी भाषाओं- अंग्रेजी, हिंदी, मराठी में पब्लिश हुआ है. राहुल गांधी के लेख पर बीजेपी हमलावर है. बीजेपी की आलोचना के बाद राहुल गांधी को अपने लेख पर ही सफाई देनी पड़ी. राहुल गांधी को कहना पड़ा कि मैं बिजनेस विरोधी नहीं हूं. उन्होंने अपने लेख में ऐसा कुछ लिख दिया है कि BJP के कई बड़े नेताओं ने उनकी निंदा की है.
राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी से लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी राहुल गांधी की निंदा की है. ऐसे में सवाल ये कि आखिर राहुल गांधी ने अपने लेख में ऐसा क्या लिख दिया कि खुद ही सफाई देनी पड़ी? राहुल गांधी की लेख से बीजेपी परेशानी क्यों हो गई? इसको लेकर हमने न्यूज तक के खास शो 'साप्ताहिक सभा' में सत्य हिंदी के संस्थापक और वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष से बातचीत की है.
राहुल गांधी के लेख में ऐसा क्या था जिससे बीजेपी नाराज है?
राहुल गांधी ने अपने लेख में नाम लिए बिना अंबानी और अडानी जैसे बड़े व्यापारिक घरानों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे एकाधिकार के खिलाफ हैं. वे चाहते हैं कि बिजनेस में कंपटीशन बनी रहे. उनका मानना है कि एकाधिकार देश की राजनीति और इकोनॉमी के लिए नुकसानदेह हो सकता है. राहुल का दावा है कि उन्हें बड़े व्यवसायों के खिलाफ नहीं बल्कि एकाधिकार के खिलाफ हैं. बीजेपी नेताओं को यह बयान एक तरह का सेमी सोशलिस्ट विचार प्रतीत हुआ, जिससे वे राहुल गांधी की आलोचना करने लगे.
राहुल गांधी ने लेख में एकाधिकार के क्या खतरें बताए?
राहुल गांधी ने इस लेख में ईस्ट इंडिया कंपनी का उदाहरण देकर बताया कि जब कोई बड़ा बिजनैस हाउस इतना शक्तिशाली हो जाता है कि वह बाकी प्रोफेशन को खत्म करने लगता है, तो यह खतरा बन जाता है कि वह राजनीति पर भी अपना अधिकार जमा लेगा. वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि राहुल गांधी का मानना है कि एकाधिकार से अन्य इंडस्ट्री को पनपने का मौका नहीं मिलता. इससे देश की अर्थव्यवस्था पर नैगेटिव असर पड़ता है. वे चाहते हैं कि छोटे और बड़े व्यवसायिक घराने एक समान आधार पर मुकाबला करें और किसी एक व्यवसायिक घराने का विशेष लाभ न हो.
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राहुल गांधी का मकसद क्या है – क्या वे अपनी छवि बदलना चाहते हैं?
आशुतोष ने न्यूज तक के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर से बात करते हुए कहा कि राहुन ने अपने लेख में जो कहा है, उसे दो नजरिए से देखा जा सकता है. एक नजरिया यह हो सकता है कि राहुल गांधी सफाई दे रहे हैं और दूसरा नजरिया यह हो सकता है कि राहुल गांधी देश के लिए अपनी आर्थिक नीति या आर्थिक विजन और इन दोनों के बीच का रास्ता पेश करना चाहते हैं. मैं इसे इसलिए देखता हूँ क्योंकि यह पहली बार नहीं है कि राहुल गांधी ने कहा है कि वह बड़े व्यापारों के खिलाफ नहीं हैं. वे यह कह रहे हैं कि वह अडानी और अंबानी के खिलाफ नहीं हैं. यह बात कई बार चुनावी रैलियों में उठाई जा चुकी है. उन्होंने यह साफ कर दिया है कि दरअसल वह अंबानी और अडानी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें दिक्कत है क्योंकि एकाधिकार बन रहा है और पूरा व्यापार सिर्फ दो व्यापारिक घरानों के पास जा रहा है. उन्हें इससे दिक्कत है और वे इसके परिणामों को समझाने की कोशिश करते हैं.
बीजेपी की प्रतिक्रिया कैसी रही?
बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी के लेख को एक राजनीतिक हथियार बनाकर पेश किया. उनके मुताबिक राहुल गांधी ने लेख में राजपरिवारों को अंग्रेजों का समर्थक बताया. इससे भारतीय राजघरानों के योगदान का अपमान हुआ. दिया कुमारी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया. बीजेपी का मानना है कि राहुल अपने लेख में राजघरानों को निशाना बनाकर एक पक्षपातपूर्ण और अनुचित नजरिया पेश कर रहे हैं.
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राहुल गांधी के लेख और बीजेपी की प्रतिक्रिया से यह साफ होता है कि दोनों पक्षों की राजनीतिक नजरिये में एक बड़ी खाई है. राहुल जहां अपने आर्थिक दृष्टिकोण को सुधार करने वाला मानते हैं, वहीं बीजेपी इसे राजनीतिक हमला कह रही है.
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