CM रेवंत रेड्डी के टाइम में तेलंगाना में आया जबरदस्त FDI, आंकड़े जानकर राहुल गांधी भी हो जाएंगे गदगद!

रूपक प्रियदर्शी

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Revanth Reddy: आंध्र प्रदेश का विभाजन करके अलग तेलंगाना राज्य की मांग तो अरसे से हो रही थी लेकिन करने के लिए कोई राजी नहीं था. न मोर्चा सरकारों ने किया, न वाजपेयी सरकार ने. आंध्र का क्रोध कोई लेना नहीं चाहता था. यूपीए सरकार 2 ने ये रिस्क लिया. 2014 में जाते-जाते तेलंगाना राज्य बना दिया. लेकिन हो गया बैकफायर. आंध्र प्रदेश से भी कांग्रेस का सफाया हो गया. तेलंगाना भी कांग्रेस के हाथ न आकर केसीआर के पास चला गया. 

करीब 10 साल लग गए कांग्रेस को तेलंगाना में वापसी करने में. कांग्रेस की वापसी कराने का कमाल कर दिखाया रेवंत रेड्डी ने. 2023 दिसंबर की बात है जब रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना सीएम का चार्ज लिया. अब चल रहा है नवंबर. करीब 11 महीने में रेवंत रेड्डी ने एक और ऐसा धाकड़ काम किया है जिसकी बहुत चर्चा हो रही है. 

रेवंत रेड्डी की अगुवाई में विदेशी निवेश का उछाल

तेलंगाना के एफडीआई यानी फॉरेन इन्वेस्टमेंट में जबर्दस्त जंप आया है. बहुत सारे राज्य पीछे छूट गए. 32 परसेंट का जंप मामूली नहीं. भारत में जितना फॉरेन इन्वेस्टमेंट है उसका 6.68 परसेंट शेयर तेलंगाना में लगा है. अप्रैल से जून के बीच 9 हजार 23 करोड़ का इन्वेस्टमेंट तेलंगाना में हुआ.  केसीआर की सरकार रहते 2022-23 में 10 हजार 319 करोड़  का एफडीआई आया था. रेवंत रेड्डी के आने पर 2023-24 में बढ़कर 25 हजार 94 करोड़ हो गया. मतलब 143 परसेंट प्लस की तेजी आई.

सबसे ज्यादा पैसे 8 हजार 457 करोड़ का इन्वेस्टमेंट हैदराबाद में हुआ. रेवंत रेड्डी सरकार की कोशिशों से मेडक, रंगारेड्डी और महबूबनगर में भी ठीक-ठीक पैसे लगे हैं. फॉरेन इन्वेस्टमेंट से ज्यादा कंपनियों बिजनेस शुरू करेंगी. ज्यादा जॉब्स क्रिएट होंगे. आईटी, सोलर, सोलर एनर्जी, फॉर्मा कंपनियों ने सबसे ज्यादा इंटरेस्ट दिखाया. फॉरेन इन्वेस्टमेंट के मामले में तेलंगाना की रैंक टॉप 5 में फोर्थ हो गई है. पहली तीन पोजिशन महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली के पास है. पांचवें नंबर पर गुजरात है.

फॉरेन इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए रेवंत रेड्डी की रणनीतियाँ

सीएम बनने के बाद रेवंत रेड्डी ने जितना जोर कांग्रेस के गारंटी वाले वादों को पूरा करने में जुटाया, उतना ही फोकस फॉरेन इन्वेस्टमेंट पर किया. सरकार बनते ही रेवंत रेड्डी ने हैदराबाद के कुतुब शादी टॉम्ब्स में बड़ी पार्टी रखी. अमेरिका, यूएई, यूके, जापान, जर्मनी, फिनलैंड जैसे 13 देशों के बिजनेस लीडर्स को डिनर पर बुलाया. Abhaya Hastam initiative का मतलब समझाया transparency, equality, welfare. बिजनेस की बातों ने वहीं से तेजी पकड़ी.

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अगले काम किया फ्लाइट पकड़कर पहुंच गए स्विट्जरलैंड के दावोस. हर साल दावोस में दुनिया की मेगा कंपनियों के सीईओ का जुटान होता है. इन्वेस्ट करने के नए-नए पते ढूंढे जाते हैं. दावोस जाकर रेवंत रेड्डी ने ऐसी ही मेगा कंपनियों को तेलंगाना का पता बताया और करीब 40 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट लाए.

दूसरे दौर में 10 दिन के लिए अमेरिका और साउथ कोरिया गए. वहां से 31 हजार करोड़ की इन्वेस्टमेंट डील लॉक की. इतने इन्वेस्टमेंट से तेलंगाना में 30 हजार जॉब्स क्रिएट होने वाले हैं. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक पहले 8 महीने में विदेश दौरों से रेवंत रेड्डी ने 81 हजार 564 करोड़ का इन्वेस्टमेंट सिक्योर कर लिया है. इतने सारे इन्वेस्टमेंट के जमीन पर दिखने में समय लगेगा. 

गौतम अदाणी ने भी किया इनवेस्ट

इन्वेस्टमेंट का भारी-भरकम नंबर तो सिर्फ फॉरेन इन्वेस्टमेंट का है. भारत की कंपनियां भी तेलंगाना में इन्वेस्ट करने में इंटरेस्ट दिखा रही हैं. कांग्रेस और राहुल गांधी के विरोध को झेलते हुए अदाणी भी पहुंचे तेलंगाना में इन्वेस्ट करने. रेवंत रेड्डी से दो-दो बार मीटिंग हो चुकी है.  गौतम अदाणी का ग्रुप 12 हजार 400 करोड़ इन्वेस्टमेंट करने वाला है. रेवंत रेड्डी के स्किल यूनिवर्सिटी के लिए 100 करोड़ का डोनेशन भी दिया है. 

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फॉरेन इन्वेस्टमेंट के लिए दक्षिण के राज्य कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु पहले से विदेशी कंपनियों की पसंद रहे. बैंगलोर, हैदराबाद फेवरेट डेस्टिनेशन बने. रेवंत रेड्डी को थोड़ा फायदा इससे भी हुआ कि इसका बैकग्राउंड चंद्रबाबू नायडू ने तब बना दिया था जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना एक ही राज्य होते थे. चंद्रबाबू सीएम से ज्यादा आंध्र के सीईओ कहे जाते थे. रेवंत रेड्डी ने भी वही सीईओ अवतार लिया है. 

चंद्रबाबू नायडू भी नए सिरे से सीईओ के रोल में आ रहे हैं. अब चैलेंज ये है कि हैदराबाद के तेलंगाना में चले जाने के बाद आंध्र प्रदेश में नया इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बनाना है जिसके लिए अमरावती, विजयवाड़ा में काम हो रहा है. 

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