बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
केए पॉल चुनाव नहीं लड़ते. चुनाव लड़ाते भी नहीं. राजनीतिक व्यक्ति भी नहीं हैं. सामाजिक काम करते हैं. महाराष्ट्र में तूफानी चुनाव रिजल्ट आया. फिर से ईवीएम हैकिंग का हल्ला मचना शुरू हुआ तो दौड़ पड़े सुप्रीम कोर्ट. ये याचिका लेकर कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की बजाय चुनावों में बैलेट पेपर का इस्तेमाल हो.
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केए पॉल चुनाव नहीं लड़ते. चुनाव लड़ाते भी नहीं. राजनीतिक व्यक्ति भी नहीं हैं. सामाजिक काम करते हैं. महाराष्ट्र में तूफानी चुनाव रिजल्ट आया. फिर से ईवीएम हैकिंग का हल्ला मचना शुरू हुआ तो दौड़ पड़े सुप्रीम कोर्ट. ये याचिका लेकर कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की बजाय चुनावों में बैलेट पेपर का इस्तेमाल हो. कही तो यही बात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी लेकिन उन्होंने केवल भाषण दिया. सुप्रीम कोर्ट में मांग करने नहीं गए.
केए पॉल की बैलेट से चुनाव कराने की याचिका सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की बेंच ने सुनी. याचिका सुनवाई के लिए मंजूर नहीं की. याचिकाकर्ता को कुछ ऐसे डांट लगाई कि जब आप चुनाव जीतते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती है. जब आप चुनाव हार जाते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ हो जाती है. ईवीएम पर हल्ला मचाने वाले विपक्ष के नेताओं से बीजेपी भी यही कहती है.
याचिकाकर्ता केए पॉल ने पेश की दलील
याचिकाकर्ता केए पॉल ने एक और दलील पेश की कि चंद्रबाबू नायडू, जगन मोहन रेड्डी, यहां तक कि एलन मस्क ने भी कही है. अमेरिका के चुनाव में मस्क ने कहा था कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पॉल को फिर सुनाया कि जब चंद्रबाबू नायडू या रेड्डी हारते हैं, तो वो कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जाती है. जब वे जीतते हैं, तो वे कुछ नहीं कहते. हम इसे कैसे देख सकते हैं.हम इसे खारिज कर रहे हैं. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट से बैलेट पेपर से चुनाव कराने वाली बात खारिज हो गई.
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जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में बैलेट से चुनाव कराने की मांग वाली याचिका खारिज हुई उसी दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस संविधान रक्षक अभियान में बोल रहे थे. देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष खरगे ने भी बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग उठाई तो पूरा तालकटोरा स्टेडियम तालियों से गूंज उठा.
बोलने वाले अकेले मल्लिकार्जुन खरगे नहीं. शरद पवार भी ईवीएम के खिलाफ मुहिम की बात कह रहे हैं. महाराष्ट्र चुनाव में एमएनएस की दुर्गति हुई तो बीजेपी साइड वाले राज ठाकरे की भी आंखें खुली. कह रहे हैं कि EVM की जगह बैलेट पेपर से वोटिंग होनी चाहिए.
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हल्ला क्यों मच रहा
हल्ला इसलिए भी मच रहा है कि महाराष्ट्र में तो बंपर बहुमत से महायुति जीती लेकिन झारखंड में इंडिया गठबंधन की जीत हो गई. सोशल मीडिया पर ही नहीं, पार्टियां भी कह रही हैं कि शक न हो इसलिए छोटा चुनाव जिताकर बड़ा चुनाव बीजेपी जीत गई. मोदी ईवीएम वाले विवाद पर आम तौर पर बोलते नहीं लेकिन महाराष्ट्र की जीत से गदगद उन्होंने भी विपक्ष को सुना दिया.
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देश का पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ था. 1982 में पहली बार ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. तब ये केवल सांकेतिक था. केरल के एक बूथ पर ईवीएम से वोटिंग हुई थी. 1998 और 2001 के चुनाव के कुछ फेज में EVM का
इस्तेमाल हुआ। 2004 का लोकसभा चुनाव पहला था जिसमें पूरी तरह से ईवीएम से चुनाव हुआ था. उस चुनाव में शाइनिंग इंडिया का नारा लगाने वाली एनडीए सरकार की हार हुई थी. सबसे बड़ी पार्टी बनकर कांग्रेस ने यूपीए की सरकार बनाई थी.देश में बैलेट पेपर से चुनाव बंद भी इसीलिए हुआ था कि चुनाव में धांधली होती थी. बूथ कैप्चरिंग बहुत आम बात थी.
वोटरों की नई पीढ़ी आ चुकी है जिसने कभी बैलेट से चुनाव नहीं देखा. बैलेट पेपर यानी कागज पर उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह और नाम प्रिंट होते थे. वोटर को स्याही या इंक वाला मुहर या ठप्पा दिया जाता था. जिससे वो पसंद उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिन्ह के सामने लगाकर वोट देता था.
EVM पर खूब हल्ला
2014 के बाद बीजेपी के लगातार जीतने के बाद ईवीएम का हल्ला मचना शुरू हुआ. ईवीएम से बूथ कैप्चरिंग की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो गई. ईवीएम हैकिंग के आरोप लगने लगे जिसे कोई साबित नहीं कर पाया. उसके बाद ये शक होने लगा कि दिन भर की वोटिंग के बाद भी ईवीएम की बैटरी 99 परसेंट तक कैसे रह जाती है.
ईवीएम के खिलाफ बैलेट पेपर से चुनाव कराने वाली ऐसी दूसरी याचिका 4-5 महीने में सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई है. हरियाणा चुनाव के बाद कांग्रेस के दो कार्यकर्ता भी 20 सीटों पर गड़बड़ी की शिकायत लेकर सुप्रीम कोर्ट
से शिकायत करने पहुंचे थे. उन दिनों चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने याचिका सुनी थी. याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई थी कि ऐसा याचिका लगाने पर आप पर जुर्माना भी लगा सकते हैं.
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