अशोक चव्हाण ने कांग्रेस छोड़ी तो उन्हें एसेट बता आलाकमान को क्या संदेश दे रहे संजय निरुपम?
दक्षिण भारत को छोड़कर सारे देश में महाराष्ट्र अकेला राज्य माना जा रहा है जहां शिवसेना और एनसीपी तोड़ने के बाद भी बीजेपी की स्थिति INDIA गठबंधन से कमजोर मानी जा रही है.
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Ashok Chavan: महाराष्ट्र में शिवसेना, NCP के बाद कांग्रेस में जो हो रहा है वो पार्टी के लिए खतरे की घंटी है. मिलिंद देवड़ा, बाबा सिद्दीकी के बाद अब अशोक चव्हाण ने कांग्रेस को टाटा-गुड बाय बोल दिया. मिलिंद देवड़ा एकनाथ शिंदे की पार्टी में गए. बाबा सिद्दीकी ने अजित पवार की NCP ज्वाइन की. वहीं अशोक चव्हाण ने अभी तक खुलासा नहीं किया हैं कि, कहां जाएंगे, और किसको लेकर जाएंगे.
#WATCH | After resigning from Congress, Former Maharashtra CM Ashok Chavan says, "I have resigned from the Assembly membership as an MLA. I have given my resignation to the Speaker. I have resigned from the Congress Working Committee and Congress primary membership. I have not… pic.twitter.com/n0AzYyT6tQ
— ANI (@ANI) February 12, 2024
वैसे जाते-जाते अशोक चव्हाण ने जो भी कहा, उसमें उन्होंने न तो हाईकमान के लिए कोई कड़वाहट दिखाई, न किसी खास नेता पर निशाना साधा. इसी बीच संजय निरुपम ने सोशल मीडिया के जरिए कांग्रेस हाईकमान को खूब सुनाया है. असेट और लायबिलिटी का फर्क समझाया है. संजय निरुपम ने नाम तो नहीं बताया, लेकिन इशारा किया कि, एक नेता की कार्यशैली से परेशान होकर अशोक चव्हाण कांग्रेस से चले गए.
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पहले जानिए क्या कहा संजय निरुपम ने?
संजय निरुपम ने लिखा, ‘अशोक चव्हाण यकीनन पार्टी के लिए असेट थे. कोई उन्हें लायबिलिटी कह रहा है, कोई ED को जिम्मेदार ठहरा रहा है, यह सब जल्दबाजी में दिया हुआ रिएक्शन है. वे बुनियादी तौर पर महाराष्ट्र के एक नेता की कार्यशैली से बहुत परेशान थे. इसकी जानकारी उन्होंने समय-समय पर शीर्ष नेतृत्व को भी दिया था. अगर उनकी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाता तो, यह नौबत नहीं आती. अशोक चव्हाण साधन-संपन्न कुशल संगठनकर्ता एर जमीनी पकड़ रखने वाले सीरियस नेता है. भारत जोड़ो यात्रा जब पिछले साल नांदेड़ में पांच दिनों के लिए थी, तब समस्त नेतृत्व ने उनकी क्षमता का साक्षात दर्शन किया था. उनका कांग्रेस छोड़ना हमारे लिए बड़ा नुकसान है. इसकी भरपाई कोई नहीं कर पाएगा. उन्हें संभालने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ हमारी थी.
संजय निरुपम के ऐसे तेवर बता रहे हैं कि, कांग्रेस में उनका भी मन नहीं लग रहा है. हो सकता है किसी खास नेता की कार्यशैली से उनको भी प्रॉब्लम हो. उनके मन की बात वही जाने लेकिन मुंबई में संजय निरुपम को लेकर बहुत तरह की चर्चाएं पहले से ही चल रही हैं. आशंका जताई जा रही है कि, कुछ और नेता भी कांग्रेस से निकल सकते हैं. संजय निरुपम भी ऐसे ही एक नेता हैं जो नाराज बताए जा रहे हैं. उधर बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस भी इशारे कर रहे हैं कि, और खेला होने वाला है.
अब जानिए संजय निरुपम की सियासत के बारे में
संजय निरुपम पुराने शिवसैनिक रहे हैं. बिहार के रोहतास से मुंबई आकर संजय निरुपम बतौर पत्रकार पहले जनसत्ता, फिर शिवसेना के मुख पत्र सामना के हिंदी अखबार दोपहर का सामना से जुड़े. संजय राउत उनके संपादक हुआ करते थे. लिखने की आक्रामक शैली ने उनको शिवसेना में तेज प्रमोशन कराया. प्रमोशन पाते-पाते शिवसेना के टिकट पर 1996 में राज्यसभा भी पहुंच गए.
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शिवसेना से उन्होंने कांग्रेस में छलांग लगाई. कांग्रेस में आते ही उन्हें राज्यसभा का टिकट मिला. 10 साल राज्यसभा में गुजारते हुए संजय निरुपम मुंबई कांग्रेस में बढ़िया पैठ बना ली. बिहारी और उत्तर भारतीय टैग की बदौलत मुंबई नॉर्थ से 2009 में लोकसभा चुनाव जीतकर लोकसभा में आ गए. हालांकि 2014 के बाद संजय निरुपम की पॉलिटिक्स पार्टी तक सीमित रह गई. वे न ही राज्यसभा में जा पाए, न ही लोकसभा में.
इन सब के पीछे क्या है सियासत?
संजय निरुपम जैसे नेताओं के सामने कांग्रेस में दो मौके हैं. पहला इसी महीने होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र से टिकट पाना. दूसरा लोकसभा चुनाव के लिए टिकट पाना. ऐसी चर्चा चल रही है कि शिवसेना-एनसीपी से सीट शेयरिंग में कांग्रेस के हाथ मुंबई की ज्यादा से ज्यादा तीन सीटें आ सकती हैं. संजय निरुपम वाली मुंबई नॉर्थ सीट भी कांग्रेस के पास रहेगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है. हाल में कांग्रेस से जाने वाले किसी नेता को राज्यसभा का टिकट नहीं मिल रहा था.
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महाराष्ट्र में मजबूत है INDIA
दक्षिण भारत को छोड़कर सारे देश में महाराष्ट्र अकेला राज्य माना जा रहा है जहां शिवसेना और एनसीपी तोड़ने के बाद भी बीजेपी की स्थिति INDIA गठबंधन से कमजोर मानी जा रही है. लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया टुडे मूड ऑफ द नेशन सर्वे में भी ये निकलकर आया कि महाराष्ट्र में बीजेपी अलायंस से बेहतर कांग्रेस गठबंधन कर सकता है.
सर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र की 48 में से कांग्रेस-पवार-उद्धव के एमवीए अलायंस को एनडीए से ज्यादा 26 सीटें और 45 परसेंट वोट मिल सकते हैं. एनडीए को 40 परसेंट वोटों के साथ 22 सीटें मिलने का अनुमान है. एमवीए में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी हो सकती है जिसे 12 सीटें मिलने का अनुमान है.
कांग्रेस इस बात का घमंड कर सकती है कि, बीजेपी ने जैसे शिवसेना, फिर NCP तोड़ी वैसा कुछ कांग्रेस में नहीं कर पाई, लेकिन अब जैसे-जैसे पहली कतार के नेता एक-एक करके बाहर हो रहे हैं, कांग्रेस का यही घमंड अब चिंता बन रही है. मिलिंद देवड़ा और उनके पिता मुरली देवड़ा को मिलाकर कांग्रेस से देवड़ा परिवाक का संबंध 55 साल पुराना रहा. बाबा सिद्दीकी करीब 50 साल कांग्रेस में बिताने के बाद कांग्रेस को अलविदा कह गए.
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