BAP के सबसे कमजोर पड़ी बीजेपी-कांग्रेस, ऐसा है चौरासी उपचुनाव का समीकरण

शरत कुमार

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ऊंट पर बैठकर नामांकन दाखिल करने पहुंचे राजकुमार रोत
ऊंट पर बैठकर नामांकन दाखिल करने पहुंचे राजकुमार रोत
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Chaurasi by-election: राजस्थान का 'चौरासी'  उपचुनाव कांग्रेस और बीजेपी के लिए अपना गढ़ बचाने का चुनाव हो गया है. भारत आदिवासी पार्टी के बढ़ते प्रभाव ने दोनों हीं राष्ट्रीय दलों की राजनीति को किनारे ढकेल दिया है. राज्य में बीजेपी की भजनलाल सरकार बनने के बाद पहला उपचुनाव बांसवाड़ा जिले बागीदौरा विधानसभा के लिए हुआ. जहां बाप पार्टी ने धमाकेदार जीत हासिल की. 

कभी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता रहे युवा सासंद राजकुमार रोत आदिवासियों की पहचान बने.आदिवासी स्वाभिमान के नारे के साथ बाप पार्टी को जबरदस्त सफलता दिलावाई है. बाप पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा भील प्रदेश बनाने का है तो बीजेपी का हिंदूत्व और आदिवासी कल्याण का है. कांग्रेस अतीत के अपने परंपरागत आदिवासी वोटों के जड़ की तलाश में है.

चौरासी में त्रिकोणीय मुकाबला 

चौरासी विधानसभा से BAP के विधायक राजकुमार रोत के डूंगरपुर-बांसवाड़ा के सांसद बनने की वजह खाली हुई है. भाजपा सुशील कटारा और उनके परिवार का टिकट देती थी. मगर इस बार कटारा परिवार का टिकट काटकर सीमलवाड़ा के प्रधान कारीलाल ननोमा को प्रत्याशी बनाया है. उसी तरह से कांग्रेस ताराचंद भगौरा या उनके परिवार को टिकट दिया करती थी. मगर कांग्रेस ने भी युवा सरपंच महेश रोत को प्रत्याशी बनाया है. भारत आदिवासी पार्टी ने भी पार्टी में युवा अनिल कटारा को प्रत्याशी बना कर मुकाबले को रोमांचक और त्रिकोणीय बना दिया है. बाप पार्टी में प्रत्याशी का चयन वोटिंग के जरिए हुआ है.

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चौरासी विधानसभा कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, उसके बाद भाजपा ने भी चुनाव जीते लेकिन 2018 में तीसरी पार्टी के रूप में बीटीपी आई और पहली ही बार में राजकुमार रोत ने जीत हासिल की. 2023 के चुनाव रोत ने बीटीपी तोड़कर भारत आदिवासी पार्टी बनाई और बाप से राजकुमार रोत ने भारी बहुमत से जीत हासिल की. लोकसभा चुनाव में डूंगरपुर बांसवाड़ा सीट से राजकुमार रोत के सांसद चुने जाने से यहां उपचुनाव हो रहा है. चौरासी विधानसभा क्षेत्र में करीब 2,35,000 के करीब मतदाता हैं. 

विधानसभा के जातिगत समीकरण

यह आदिवासी बहुल सीट है. यहां आदिवासी वोटरों की संख्या सबसे अधिक करीब 75 फीसदी है. यहां चुनाव का सारा दारोमदार आदिवासी मतदाता पर है. 25 फीसदी ही दूसरी जातियों जिसमें मुस्लिम, ब्राह्मण, राजपूत,और ओबीसी हैं. पिछले दो बार सेराजकुमार रोत यहां पर 2023 में 1 लाख 11 हज़ार 150 वोट मिले तो बीजेपी के सुशील कटारा को 41 हजार 950 और कांग्रेस के ताराचंद भगौरा को 28 हज़ार 210 वोट मिले. यानी बाप पार्टी के रोत 53 फीसदी वोटों के साथ करीब 70 हज़ार के अंतर से जीते. रोत को 2018 में 64119 और सुशील कटारा को 51185 और कांग्रेस के मंजू देवी रोत को 35915 वोट मिले.

कांग्रेस-बीजेपी के लिए चुनौती बनी बाप

चौरासी विधानसभा से अब तक कांग्रेस 5 बार और भाजपा 3 बार चुनाव जीती है, साथ ही 2 बार बाप पार्टी ने जीत हासिल की है.चौरासी में बाप पार्टी के साथ युवाओं की भारी संख्या को देखते हुए तीनों दलों ने युवाओं पर दांव खेला है. इससे पहले यहां तीन बार बीजेपी के सुशील कटारा जीते थे. उससे पहले केवल कांग्रेस ही जीतती थी. कांग्रेस के कमजोर होने की वजह से बाप पार्टी मजबूत होती चली गई. इस बार बीजेपी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बनवासी कल्याण परिषद के जरीए चौरासी में हार के अंतर को कम करने में लगी है. कांग्रेस में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता को टिकट मिलने से यूथ कांग्रेस की पूरी टीम पिछले बीस सालों से ख़राब प्रदर्शन को ठीक करने में लगी है.

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