'मुख्य सचिव हाजिर हो...' भजनलाल सरकार से हाईकोर्ट नाराज, एक लाख का जुर्माना लगाया
राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में हो रही मौत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार से कहा कि लोगों के जीवन से सरकार को खिलवाड़ करने नहीं दे सकते. स्वास्थ्य सेवा सरकार का धर्म है. इसको रोकने में असफल रहने के रवैए से नाराज होते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है.
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Rajasthan: राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में हो रही मौत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार से कहा कि लोगों के जीवन से सरकार को खिलवाड़ करने नहीं दे सकते. स्वास्थ्य सेवा सरकार का धर्म है. इसको रोकने में असफल रहने के रवैए से नाराज होते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. यही नहीं स्पष्टीकरण देने के लिए 27 नवम्बर को मुख्य सचिव सुधांश पंत को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने का आदेश भी दिया है. करीब 9 साल पहले दिए गए हाई कोर्ट के दिशा निर्देशों की पूरी तरह से पालना नहीं होने और सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से वकील और किसी अन्य प्रतिनिधि के उपस्थित नहीं होने से नाराज हाई कोर्ट ने यह आदेश दिए हैं.
जस्टिस अशोक कुमार जैन ने भरपाई व अन्य की 21 साल से लंबित अपील पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि 7 मई 2015 को जयपुर में फ्लाई ओवर व सड़कों को चौड़ा करवाने, मुख्य चौराहों-तिराहों के विकास, चारदीवारी क्षेत्र में पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था में सुधार व पार्किंग पर पाबंदी, सड़कों से अतिक्रमण हटाने और प्रदूषण रोकने के प्रभावी कदम उठाने जैसे 25 बिन्दुओं को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश दिए.
कोर्ट ने इन निर्देशों की ओर सरकार का ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस मामले में कोर्ट के निर्देश पर मई 2015 से लेकर सितम्बर 2022 तक महाधिवक्ता पैरवी के लिए हाजिर होते रहे लेकिन फरवरी 2024 में कोई हाजिर नहीं हुआ. फिर मार्च में महाधिवक्ता हाजिर हुए लेकिन इसके बाद दो तारीखों पर अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत व्यास पैरवी के लिएमौजूद रहे, लेकिन अब फिर से कोई नहीं आया.
कोर्ट ने इन स्थितियों का हवाला देकर कहा कि कोर्ट के 9 साल पुराने निर्देशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो गंभीर है. इस मामले में राज्य सरकार की लापरवाही पर जवाब देने के लिए सीएस को बुलाया जाना जरूरी है. ऐसे में हाई कोर्ट ने टिप्पणीकरते हुए कहा कि लगता है सरकार सड़क दुर्घटना जैसे गंभीर मुद्दों का समाधान खोजने में विफल रही है, लेकिन ऐसे में सरकार परहर्जाना लगाकर सुनवाई टालना उचित होगा.
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