राजस्थान में फर्जी डॉक्टरों का पर्दाफाश, बिना डिग्री के बन गए सर्जन-गाइनो, चिकित्सा मंत्री ने दी ये सफाई

ललित यादव

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Rajasthan: राजस्थान में फर्जी डॉक्टर्स से जुड़ा एक बड़ा भंडाफोड़ हुआ है. जहां झोलाछाप डॉक्टर 'राजस्थान मेडिकल काउंसिल' से रजिस्ट्रेशन करवाकर असली डॉक्टर बन गए और जमकर प्रेक्टिस करने लग गए. इनमें से कई तो सर्जन और गाइनी डॉक्टर हैं. 

राजस्थान मेडिकल काउंसिल (Rajasthan Medical Council) ने हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु या अन्य राज्यों के बिना वेरिफाइड रजिस्ट्रेशन के आधार पर फर्जी डॉक्टर को राजस्थान में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट बांट दिए. भास्कर ने इस मामले पर खुलासा किया है. राजस्थान में 98 ऐसे फर्जी डॉक्टर्स में बारे में जानकारी मिली है, जिन्होंने एक दिन भी मेडिकल की पढ़ाई नहीं की और उनको फर्जी तरीके से RMC की तरफ से सर्टिफिकेट मिल गए. 

कैसे किया खेल

दरअसल, फर्जी डॉक्टर्स ने RMC से सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए अलग-अलग राज्यों के काउंसिल में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट व एनओसी पेश की. इनमें उन्होंने फर्जी कागजात पेश किए. RMC ने उन्हीं के आधार पर बिना जांच किए सर्टिफिकेट जारी कर दिया. आवेदन में जो पता दिया गया वह भी फर्जी निकला.

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केस नंबर -1: डॉक्टर सरिमुल एच मजूमदार ने तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल से महिला डॉक्टर के रजिस्ट्रेशन नंबर में फर्जीवाड़ा किया और राजस्थान मेडिकल काउंसिल ने फर्जी डॉक्टर का 19 जुलाई 2024 को ओबेस्ट्रियशियन सर्जन और गायनो के लिए रजिस्ट्रेशन कर दिया.

केस नंबर-2: डॉक्टर गीता कुमारी, महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल से रजिस्टर्ड डॉक्टर के सर्टिफिकेट पर फर्जीवाड़ा किया. जुलाई 2024 में फर्जी डॉक्टर गीता कुमार को गाइनेकोलॉजिस्ट के तौर पर मरीज देने का सर्टिफिकेट राजस्थान मेडिकल काउंसिल ने दिया.

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केस नंबर-3: डॉक्टर देवेंद्र नेहरा ने महाराष्ट्र के दूसरे असली डॉक्टर के नाम पर फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया और फिर जून 2024 में राजस्थान मेडिकल काउंसिल से मरीज देखने का रजिस्ट्रेशन नंबर हासिल कर लिया.

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केस नंबर 4: महेश कुमार गुर्जर असली महिला डॉक्टर के सर्टिफिकेट में हेर फेर की फिर राजस्थान मेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन नंबर हासिल कर लिया.

क्या है नियम

दरअसल, राजस्थान मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन होता है, जिसके बाद आखिरी दिन सारे ओरिजनल सर्टिफिकेट के साथ आना पड़ता है लेकिन राजस्थान मेडिकल काउंसिल ने तय किया कि अगर आवेदक दूसरे राज्य का है तो सिर्फ रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और एनओसी की कॉपी ऑनलाइन दे दे. लेकिन राजस्थान मेडिकल काउंसिल ने उन फर्जी सर्टिफिकेट का सत्यापन ही नहीं किया. अब हालत ये है कि यहां से फर्जीवाड़ा करके जो सर्टिफिकेट पाए वो तो ना जाने कहां किसका इलाज कर रहे हैं. वहीं असली डॉक्टर सर्टिफिकेट के लिए लाइन में खड़े हैं.

RMC रजिस्ट्रार और चिकित्सा मंत्री ने क्या कहा

राजस्थान मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार राजेश शर्मा ने इस पर बताया, जिन्होंने दूसरे राज्य की काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवाया है उनकी NOC और रजिस्ट्रेशन के आधार पर राजस्थान में भी उनका रजिस्ट्रेशन कर दिया गया. राजेश शर्मा ने बताया, हम इसकी जांच करवाते हैं. हम अभी तक 14 डॉक्टर्स को निकाल दिया है. बाकि जितने भी होंगे उनको भी निकालेंगे और कार्रवाई करेंगे. चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिङ खींवसर ने मामले पर कहा कि हमने इस मामले पर कमेटी गठित की है. कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही कुछ कमेंट किया जा सकता है. 

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