UP में राहुल गांधी की नई रणनीति, BSP के जाटव वोट बैंक पर नजर, अब मायावती कौन सा दांव खेलेंगी?
हाल ही में राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति को लेकर बयान दिया, जिससे संकेत मिलता है कि कांग्रेस मायावती के जाटव वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है.
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करने के लिए राहुल गांधी एक नई रणनीति पर काम कर रहे हैं. उनका इरादा यह सुनिश्चित करना है कि जहां-जहां कांग्रेस कमजोर पड़ी है, वहां अपने पुराने वोट बैंक को फिर से हासिल किया जाए. इस संदर्भ में मायावती और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की भूमिका काफी अहम हो जाती है.
हाल ही में राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति को लेकर बयान दिया, जिससे संकेत मिलता है कि कांग्रेस मायावती के जाटव वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है. उत्तर प्रदेश में कुल दलित आबादी करीब 21-22% है, जिसमें 11-12% जाटव समुदाय के लोग हैं, जो पारंपरिक रूप से मायावती के कोर वोटर माने जाते हैं. वहीं, गैर-जाटव वोट बैंक पर भाजपा का दबदबा बन चुका है.
गठबंधन की संभावनाएं?
राहुल गांधी ने यह इशारा किया कि यदि 2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती, अखिलेश यादव और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ते, तो भाजपा को उतनी सीटें नहीं मिल पातीं, जितनी उसे मिली हैं. राहुल गांधी के अनुसार, अगर 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मायावती इस गठबंधन का हिस्सा बनती हैं, तो यह विपक्ष के लिए बहुत फायदेमंद होगा.
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गठबंधन की राजनीति में BSP को अब तक नुकसान- मायावती
हालांकि मायावती ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जब भी बसपा ने गठबंधन किया, तब उनका वोट तो ट्रांसफर हुआ, लेकिन गठबंधन के अन्य दलों का वोट उन्हें नहीं मिला. 2019 के लोकसभा चुनाव में जब समाजवादी पार्टी और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा, तब मायावती को ज्यादा सीटें मिली थीं, जबकि अखिलेश यादव को अपेक्षाकृत कम सीटों से संतोष करना पड़ा था. मायावती के अनुसार, गठबंधन की राजनीति में बसपा को अब तक नुकसान ही हुआ है.
मायावती की सियासी जमीन और राहुल गांधी का दांव
वर्तमान में मायावती की राजनीतिक स्थिति काफी कमजोर मानी जा रही है. लोकसभा में बसपा का कोई सांसद नहीं है, राज्यसभा में भी पार्टी की कोई मजबूत मौजूदगी नहीं है और उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी उनकी पार्टी सीमित सीटों पर सिमट गई है. इसके अलावा, मायावती पर यह आरोप भी लगते रहे हैं कि उनपर विभिन्न जांच एजेंसियों का दबाव बना हुआ है, जिसके कारण वे भाजपा विरोधी गठबंधन से दूरी बनाए रखती हैं.
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ताज कॉरिडोर और आय से अधिक संपत्ति के मामलों का भी उनके फैसलों पर असर पड़ता रहा है. इधर राहुल गांधी ने अपने हालिया बयानों में यह स्पष्ट किया कि वे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के संगठन को नए सिरे से खड़ा करना चाहते हैं. उनकी योजना जिला स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने की है, ताकि जब समाजवादी पार्टी के साथ सीट बंटवारे की बात हो, तो कांग्रेस के लिए 30-40 सीटों की मांग जायज ठहराई जा सके.
इसके अलावा, राहुल गांधी जाटव वोट बैंक को कांग्रेस की तरफ आकर्षित करने के लिए आंबेडकर और संविधान बचाने के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं. दलितों और पिछड़ों के लिए कांग्रेस को एक नई पहचान देने की कोशिश हो रही है.
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तो क्या मायावती गठबंधन का हिस्सा बनेंगी?
मायावती के प्रवक्ताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इसे बीजेपी की ‘बी टीम’ करार दिया है और कहा है कि कांग्रेस सिर्फ अपने फायदे के लिए क्षेत्रीय दलों को कमजोर करना चाहती है. मायावती अब तक कभी भी खुलकर यह नहीं कह पाई हैं कि वे इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनना चाहती हैं.
हालांकि, 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक परिस्थितियां बदल भी सकती हैं. यदि मायावती को यह महसूस होता है कि अकेले चुनाव लड़ने से उनकी पार्टी और ज्यादा कमजोर हो जाएगी, तो वे नए राजनीतिक समीकरणों को अपनाने के लिए मजबूर हो सकती हैं.
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश की राजनीति तेजी से बदल रही है और राहुल गांधी की नई रणनीति यह दर्शाती है कि वे कांग्रेस के लिए नए अवसर तलाश रहे हैं. मायावती अगर गठबंधन में शामिल होती हैं, तो भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है, लेकिन अभी के हालात में मायावती इस विचार से सहमत नहीं दिखतीं. आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि मायावती अपने कोर वोट बैंक को बचाने के लिए क्या कदम उठाती हैं और क्या राहुल गांधी अपनी रणनीति से कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में फिर से मजबूत कर पाएंगे या नहीं.
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